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क्या प्यार मुझे दुःख पहुँचा सकता है?

August 12, 2024

क्या प्यार मुझे दुःख पहुँचा सकता है?

जीवन में जब हम कई नए रिश्ते बनाते हैं तो हम कुछ लोगों के साथ अपने गहरे विचारों और भावनाओं को साझा करते हैं और उन्हें अपने इनर वर्ल्ड को जानने देते हैं। जब वे भी इसी प्रकार हमारे साथ अपनी आंतरिक दुनिया साझा करते हैं, तो हम उस रिश्ते को संजोते हैं। हमारे बीच एक सार्थक जुड़ाव बनना शुरू हो जाता है। लेकिन जैसे-जैसे समय आगे बढ़ता है, प्यार में लगाव या मोह मिक्स होने लगता है। क्या आप जानते हैं कि, लगाव एक अस्थिर भावना है; यह बहुत बड़ी ख़ुशी का स्रोत हो सकता है, लेकिन साथ ही, यह हमें गहरी चोटें भी दे सकता है। जबकि शुद्ध प्रेम का अर्थ है दूसरे व्यक्ति को अपनी जिंदगी में पूरी तरह से शामिल कर लेना ताकि दोनों को ख़ुशी मिल सके। जब प्रेम होता है, तो हम लोगों का अच्छे से ख्याल रखते हैं, उन्हें उनकी आवश्यकतानुसार स्पेस देते हैं और साथ ही, हमें उन्हें खोने का डर नहीं होता। लेकिन जब प्रेम की जगह लगाव होता है, तो रिश्ता स्वयं पर केंद्रित हो जाता है। जब भी वे नाराज होते हैं, तो हम दुःख महसूस करते हैं। जब उनका व्यवहार बदलता है, तब हम हर्ट महसूस करते हैं। उन्हें खोने के डर से भी हम दुखी हो जाते हैं। और हम मानते हैं-“मैं उनसे प्यार करता/करती हूँ लेकिन वे मुझे दुःख देते हैं।” पर सच्चा प्यार कभी चोट नहीं पहुँचा सकता और नाही लोग चोट पहुँचा सकते हैं। बल्कि उनके प्रति प्यार के नाम पर हमारा लगाव हमें चोट पहुँचाता है।

 

हम अपने माता-पिता, जीवनसाथी, बच्चों, भाई-बहन या मित्र; किसी के लिए भी प्यार महसूस करते हैं। लेकिन, हमें यह समझने के लिए जागरूक होने की आवश्यकता है कि अगर हमारे प्यार में लगाव है तो ऐसा प्यार, देखभाल और निकटता, हमें दर्द के करीब ले जाती है। परंतु, जब हम रिश्तों के लेबल से अपनी पहचान करना बंद कर देते हैं और सभी को शुद्ध आत्मा के रूप में देखते हैं, तो हम बिना किसी लगाव के प्यार का अनुभव करते हैं। तो आइए, हम सभी सूक्ष्मता से अपने सभी करीबी संबंधों को चेक करें कि, क्या हम उनसे सच्चा प्यार करते हैं या फ़िर भावनात्मक रूप से जुड़े हुए हैं? 

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