
दूसरों को देने वाले बनें (भाग 2)
क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।
March 5, 2024
हम सभी परमात्मा/ ईश्वर को अपनी प्रार्थनाओं, भजनों और रीति-रिवाजों में पुकारते आए हैं। हमारे पास जो कुछ भी है, उसके लिए हम उन्हें धन्यवाद देते आए हैं…. उनकी शक्तियों की महिमा करते आए हैं… उन्हें मदद के लिए पुकारते आए हैं…. और हमारे पापों को क्षमा करने के लिए कहते आए हैं… इस तरह से हम सभी हर दिन परमात्मा से बात करते हैं…पर क्या हमने कभी ये जानने की कोशिश की है कि, वो हमसे क्या कहना चाहते हैं? इस महाशिवरात्रि या शिव जयंति (इस वर्ष 8 मार्च) पर, परमात्मा द्वारा दिए गए संदेश को सुनें जिसमें आपको वो सारे जवाब मिल सकते हैं जिन्हें आप वर्षों से जानना चाहते थे। आइए सुनें कि, वे हमसे क्या कह रहे हैं:
मेरे मीठे-मीठे बच्चे, तुम मुझे भूल गए हो, क्योंकि हम बहुत समय से नहीं मिले हैं। तुम सबने मेरे बारे में सुना है, पढ़ा है लेकिन अब वो समय आ गया है जहां मुझे तुमसे डायरेक्ट बात करनी है और तुम्हें उस सच के बारे में बताना है जिसे तुम हमेशा से ही जानना चाहते थे। इससे पहले कि मैं तुम्हें अपने बारे में बताऊँ, उससे पहले मैं तुम्हें ये याद दिलाना चाहता हूं कि, असल में तुम कौन हो? मीठे बच्चे, तुम वो नहीं हो जो तुम अपने बारे में नाम, जाति, धर्म, प्रोफेशन, संबंध संपर्क आदि के आधार पर सोचते आए हो। यहां तक कि, तुम ये शरीर भी नहीं हो जिसे तुम अपनी इन आंखों से देखते हो। तुम एक ज्योति बिंदु आत्मा हो, एक अति सूक्ष्म आध्यात्मिक प्रकाश; एक आत्मा जिसने कई जन्मों में, अलग-अलग रोल निभाने के लिए अनेक शरीर धारण किए हैं। तुम एक पवित्र, शांतस्वरूप, प्रेमस्वरूप और शक्तिशाली आत्मा हो।
आज से लगभग 5000 वर्ष पूर्व, तुम सब मेरे साथ अपने घर यानि आत्माओं के घर (सोल वर्ल्ड), जो संपूर्ण शांति और पवित्रता की दुनिया है, वहां रहते थे। फिर मेरे मीठे बच्चे, तुम्हें अपने किरदार निभाने के लिए; मुझे और अपने इस घर को छोड़कर भौतिक संसार में आना पड़ा। जब तुम इस धरा पर आए थे, तब तुम संपूर्ण, श्रेष्ठ, दिव्य और सतोप्रधान थे। हर एक आत्मा को किरदार निभाने के लिए, एक श्रेष्ठ फिजिकल बॉडी या कॉस्ट्यूम मिला था और उस समय ये संसार भी श्रेष्ठ था; एक दिव्य, प्रेम से भरपूर और समृद्धशाली संसार, जिसे स्वर्ग, जन्नत, बहिश्त आदि के नाम से जाना जाता था और जब तुम्हारा शरीर किरदार निभाते-निभाते बूढ़ा हो जाता था, तब तुम्हें उसे बदलकर एक नई बॉडी या कॉस्ट्यूम धारण कर अपने उस नए किरदार को निभाना होता था। इस तरह से, सोल वर्ल्ड से ज्यादा से ज्यादा आत्माएं इस भौतिक संसार में आपके साथ शामिल होती जाती हैं। और 2500 वर्ष तक तुम सभी आत्माएं खुशियों के संसार का आनंद लेती हैं, जिसे गोल्डन ऐज (सतयुग) और सिल्वर ऐज (त्रेतायुग) के नाम से जाना जाता है।
(कल भी जारी रहेगा)
क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।
क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।
क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।
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