ब्रह्माकुमारीज का 7 दिवसीय कोर्स (भाग 6)
क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।
March 6, 2024
कल के संदेश के आगे
एक लंबे समय से इस वर्ल्ड स्टेज पर अपना किरदार निभाते-निभाते तुम्हारी पवित्रता और शक्ति धीरे-धीरे कम होने लगी। और तुम अपनी सत्य पहचान ही भूल गए कि, तुम ये शरीर नहीं आत्मा हो और काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार जैसे विकारों ने तुम्हें जकड़ लिया। तुमने अपने प्रेम और सद्भावना के रियल स्वभाव को खो दिया और तुम एक दूसरे को धोखा देने लगे और आपस में लड़ने-झगड़ने लगे। इन सब के चलते तुम दुखी होते गए और अपने दुख-दर्द में मुझे पुकारने लगे। फिर तुमने मुझे अपने फिजिकल संसार में ढूंढना शुरू किया और ये भूल गए कि मैं तुम्हारा पिता सोल वर्ल्ड में रहता हूँ। इसके बाद तुम्हारी थोड़ी-थोड़ी याद के कारण कि- मैं तुम्हारी तरह ही एक ज्योति बिंदु प्रकाश हूँ, तुमने मंदिरों का निर्माण किया और मेरे बिंदु स्वरूप चिन्ह को मेरी यादगार का प्रतीक बनाया।
फिर अपने दुख-दर्द और टकराव से परेशान होकर तुम्हारी पुकार बढ़ती गई। मेरे कुछ पवित्र बच्चे; धर्म प्रचारक-अब्राहम, गौतम बुद्ध, जीसस क्राइस्ट, मोहम्मद, महावीर, शंकराचार्य, गुरुनानक आदि इस संसार में तुम्हारा मार्गदर्शन करने आए। वे सब तुम्हें जीवन जीने का सही तरीका सिखाने आए थे। उनमें से कुछ ने तुम्हें ये याद दिलाया कि- मैं सुप्रीम सोल एक ज्योति बिंदु प्रकाश, जोकि पवित्रता और प्रेम का सागर, तुम्हारा पिता है और ऊपर सोल वर्ल्ड में रहता है। वे तुम्हें मुझसे जोड़ने के लिए आए थे, पर तुमने मुझे उनमें ही ढूँढ़ना शुरू कर दिया।
जैसे-जैसे समय बीतता गया, तुम धर्म, पंथ और राष्ट्रीयता के नाम पर विभाजित होते गए। मेरे मीठे बच्चे, तुमने मेरे नाम पर युद्ध करने शुरू कर दिए। तुमने अपने इस संसार में तुम्हारे गोल्डन और सिल्वर ऐज के पूर्वजों- श्री राधेकृष्ण, श्री लक्ष्मीनारायण, श्री रामसीता आदि उन दैवीय आत्माओं की याद में, उनकी महिमा के लिए मंदिर बनवाए और उनमें मुझे देखना शुरू कर दिया। जैसे-जैसे तुम्हारी पुकार बढ़ने लगी, मेरे लिए भी तुम्हारी खोज बहुत तीव्र होती चली गई। तुमने मुझे प्रकृति में देखना शुरू कर दिया। यहां तक कि, तुम ये सोचने लगे कि मैं हर आत्मा में निवास करता हूँ। तुममें से कुछ ने अपना पूरा जीवन मुझे खोजने में समर्पित कर दिया, पर फिर भी मुझे ढूँढ़ नहीं पाए। और तुममें से कुछ अपने विज्ञान और तकनीक के संसार में इतना खो गए कि, यही मान बैठे कि मेरा अस्तित्व ही नहीं है। यह सबकुछ कॉपर ऐज (द्वापर युग) और आइरन ऐज (कलयुग) में घटित हुआ जो सतयुग और त्रेता के बाद, अगले 2500 वर्ष तक रहता है।
(कल भी जारी रहेगा)
क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।
क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।
क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।
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