मन के लिए हेल्थी इमोशनल डाइट (भाग 3)

January 6, 2024

मन के लिए हेल्थी इमोशनल डाइट (भाग 3)

कल के संदेश में हमने देखा कि, किस प्रकार लोगों की ऐसी बातें सुनना जिनके बारे में हम कुछ नहीं कर सकते, हमारे ऊपर नकारात्मक प्रभाव डालता है और हमने ये निर्णय लिया कि, हम उनकी बातों को नहीं सुनेंगे। ऐसा करने के लिए, हम में से ज्यादातर लोग सामने वाले से यही कहते हैं कि, हम अपना समय बर्बाद न करें। पर इसकी जगह हमें यह कहना होगा कि, आइए अपनी एनर्जी बचाएं। हो सकता है कि हमारे पास समय हो, लेकिन भावनात्मक रूप से पहले से ही कमजोर होने के कारण अगर हम बेकार की बातचीत में शामिल होते हैं तो हम और भी कमजोर हो जाएंगे।

 

नीचे शेयर किए गए विकल्पों के द्वारा हम नकारात्मक आहार से दूर रह सकते हैं और इनमें से किसी का भी उपयोग न सिर्फ हमारे लिए, साथ ही साथ हमसे बात करने वाले व्यक्ति और जिसके बारे में बात की जा रही है उन सभी के लिए फायदेमंद होगा।

 

ऑप्शन 1. विनम्रता और दृढ़ता के साथ हम किसी और के इशूज, संस्कार या व्यवहार के बारे में सुनने से मना कर सकते हैं। हमारे लिए जरूरी है कि उस स्थिति को हम ठीक उसी तरह से संभालें, जैसे हम कॉन्शियसली अपने शारीरिक आहार पर ध्यान देते हैं और कुछ भी गलत चीजों को खाने से इंकार कर देते हैं, भले ही वे कितनी भी आकर्षक क्यों न हों, या कितने भी प्यार से दी गई हों। आइए इसी प्रकार हम स्पष्ट रूप से, गलत वा मेंटल स्वास्थ्य के लिए नेगेटिव इमोशनल डाइट को लेने से मना करके अनुशासित बनें। 

 

ऑप्शन 2. हमें अपनी बातचीत को प्रॉब्लम ओरिएंटेड से सॉल्यूशन ओरिएंटेड करना चाहिए। हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि, हमसे बात करने वाले व्यक्ति को स्थिति को संभालना आना चाहिए, ताकि दूसरे व्यक्ति के साथ उसकी समस्याएं हैं उनका समाधान हो सके। और हम जिससे बात कर रहे हैं उसके संस्कार के बारे में चर्चा करनी चाहिए, न कि उस व्यक्ति के संस्कार के बारे में जो मौजूद नहीं है।

 

ऑप्शन 3. हमें ये कोशिश करनी चाहिए कि, हम बात करने वाले व्यक्ति का नजरिया बदल सकें। इसके लिए, हम जिस व्यक्ति के बारे में बात करते हैं उसकी पॉजिटिव बातों को देखना चाहिए। दरअसल, किसी के भी बारे में शिकायत करते समय लोग उसके बारे में अच्छे गुणों को नहीं स्वीकार  कर पाते हैं।

 

ऑप्शन 4. हमें कभी भी पैसिव लिस्नर नहीं बनना चाहिए कि, जो कुछ भी हो रहा है उस पर चुपचाप अपना सिर हिला दें। ऐसा करने से हम उनके विचारों को अपनी स्वीकृति दे देते हैं। अक्सर ये देखा गया है कि, हम शिष्टाचार या अपने दायित्व के नाम पर किसी की बातें सुनते हैं या फिर इस डर से कि, अगर हम उनकी बात नहीं सुनते हैं तो हमारे रिश्ते खराब हो सकते हैं। यहां हमें ये ध्यान रखना होगा कि- जिस तरह शरीर के लिए अस्वास्थ्यकर खाना ठीक नहीं है वैसे ही हमारे मन के लिए अस्वास्थ्यकर खाना ठीक नहीं है और यह न सिर्फ हमारे लिए बल्कि उनके लिए भी अच्छा है।

(कल जारी रहेगा….)

नज़दीकी राजयोग सेवाकेंद्र का पता पाने के लिए

[drts-directory-search directory="bk_locations" size="lg" cache="1" style="padding:15px; background-color:rgba(0,0,0,0.15); border-radius:4px;"]
13 May 2025 soul sustenance Hindi

कम बोलें, धीरे बोलें और मीठा बोलें

कम बोलना, धीरे बोलना और मीठा बोलना केवल एक कला नहीं, बल्कि प्रभावशाली कम्युनिकेशन की कुंजी है। जब हम शब्दों को सोच-समझकर बोलते हैं, तो वे सुनने वाले के दिल तक पहुंचते हैं।

Read More »
12 May 2025 soul sustenance Hindi

मुश्किल समय में लोगों से बात करें… उनके बारे में बातें न करें

रिश्तों में खुलकर बात करना क्यों ज़रूरी है? जानिए कैसे दूसरों से शिकायत करने की बजाय, अपने मतभेद सीधे उस व्यक्ति से शेयर करने से रिश्ते मजबूत बनते हैं। साथ ही, नेगेटिव वाइब्रेशन से कैसे बचें और पॉजिटिव संवाद से संबंधों को गहराई दें

Read More »
11 May 2025 soul sustenance Hindi

अपनी सकारात्मकता की ढाल को मजबूत बनाएं

सकारात्मकता की शील्ड से खुद को नकारात्मक परिस्थितियों से बचाएं! अपनाएं 8 पॉजिटिव टिप्स जैसे आध्यात्मिक जागरूकता, परमात्मा का साथ, और अंतर्मुखता का अभ्यास। इस लेख में जानिए कैसे बनें मानसिक रूप से मज़बूत और शांत

Read More »