
हर दिन मेडिटेशन करें और शुभकामनाएं भेजें — मेडिटेशन और शुभकामनाओं का प्रभाव से स्वस्थ मन और शरीर पाएँ
July 2, 2025
आइए स्वयं से पूछें कि, क्या हम तभी स्वतंत्र अनुभव कर सकते हैं जब कोई बाहरी दबाव मौजूद न हो? हम सभी अपने ऑफिसेज में कई प्रकार का दबाव महसूस करते हैं जैसेकि; निर्धारित समय सीमा में और निश्चित विधि और गाइडलाइंस के अनुसार कार्य करने में, दूसरों की अपेक्षाओं के अनुरूप अपना प्रदर्शन बनाए रखने में और अपने सहकर्मियों के प्रदर्शन के समान अच्छा प्रदर्शन करने में। इसी तरह से हम अपने रिश्तों में, उन्हें सफल बनाने का, दूसरों को संतुष्ट करने और उनसे सम्मान पाने का दबाव महसूस करते हैं। बच्चे पढ़ाई में, सबसे बेहतरीन प्रदर्शन करने का दबाव महसूस करते हैं, जो न केवल इसलिए होता है कि यह उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए जरूरी है, बल्कि दूसरों द्वारा पॉजिटिव दृष्टि से देखे जाने और प्रशंसा पाने की इच्छा भी इसके पीछे का एक कारण है। हम अपने परिवार की आवश्यकताओं, आराम और विलासिता को पूरा करने और समाज में एक निश्चित छवि बनाए रखने के लिए अधिक से अधिक धन कमाने का दबाव महसूस करते हैं। साथ ही, जीवन में आने वाली समस्याओं के कारण भी हम दबाव महसूस करते हैं और जब हम उन्हें जल्दी या फिर उस तरीके से सॉल्व नहीं कर पाते हैं जैसा हम चाहते हैं। जीवन के किसी भी क्षेत्र में असफलता या उसका डर हमारे अंदर दबाव पैदा करता है। कभी-कभी हम इसलिए भी दबाव का अनुभव करते हैं क्योंकि हमारा मन उस तरह काम नहीं कर पाता जैसा हम चाहते हैं या फिर जब हम अपनी नेगेटिव पर्सनालिटी को अपनी इच्छानुसार पॉजिटिव पर्सनालिटी में बदल नहीं पाते हैं। साथ ही अपने इस बिलीफ के कारण, जब हम अपने निर्धारित लक्ष्यों और उद्देश्यों को समय पर या एक निश्चित तरीके से हासिल नहीं कर पाते और कुछ गलत हो जाता है जो दबाव महसूस कराता है। हममें से कुछ लोगों के लिए शारीरिक बीमारियाँ या उनके होने का डर भी दबाव पैदा कर सकता है।
और इस तरह से जब हमारा जीवन अनगिनत प्रकार के दबाव वाले स्पीड ब्रेकरों में बदल जाता है जो एक के बाद एक आते रहते हैं, हमें परेशान करते हैं और हमें रिलैक्स्ड होने ही नहीं देते हैं। और इन स्थितियों में हमें ऐसा लगता है कि, ये सारे दबाव हमारे जीवन पर शासन कर रहे हैं और इवेंचुअली हम स्वतंत्र महसूस नहीं करते हैं। अंततः लंबे समय तक, दबाव की भावना पैदा करने और उससे जुड़ी बातों का बोझ उठाने की यह आदत हमें भावनात्मक और आध्यात्मिक स्तर पर थका देती है।
(कल भी जारी रहेगा…)
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