
सराहे जाने और आलोचना किए जाने पर स्टेबल रहें
आत्मिक स्थिरता सिखाती है कि न तारीफ में खोएं, न आलोचना से दुखी हों। जानें अध्यात्मिक दृष्टिकोण से स्थिर और शांत रहने के उपाय।
December 2, 2024
हम सभी के जीवन में अनिश्चितताएं और अप्रत्याशित परिस्थितियाँ बार-बार आती हैं। इसके पीछे कारण क्या है? क्यों, आज हमारे जीवन में कठिन परिस्थितियाँ बढ़ रही हैं? परमपिता परमात्मा द्वारा बताए गए विश्व नाटक के ज्ञान के अनुसार, हम सभी वर्तमान में विश्व नाटक के अंतिम चरण में, यानि कि कलियुग या आयरन युग के अंत में हैं। इस समय, दुनिया में सभी आत्माएँ अपने पिछले कई जन्मों में किए गए नेगेटिव कर्मों के नेगेटिव संस्कारों को ढो रही हैं। ये नेगेटिव संस्कार, मन में नेगेटिव विचार और भावनाओं जैसी कठिन परिस्थितियाँ पैदा कर रहे हैं। और हमारे शरीर, अन्य आत्माओं और पर्यावरण को लगातार नेगेटिव ऊर्जा रेडिएट कर रहे हैं और सभी के शरीरों, संबंधों, धन संपत्ति और भूमिकाओं आदि में कठिन परिस्थितियों को आकर्षित कर रहे हैं। हमें इन कठिन परिस्थितियों को धैर्य और शक्ति के साथ हल करना होगा। आइए, ऐसे तीन स्टेप्स को जानें, जिनके माध्यम से हम कठिन परिस्थितियों को सफलतापूर्वक और कम समय में हल कर सकते हैं:
स्टेप 1- किसी भी परिस्थिति को शांति से स्वीकार करना: किसी भी कठिन परिस्थिति को हल करने का सबसे पहला कदम है, उसे शांति और समझ के साथ स्वीकार करना। यदि हम किसी परिस्थिति का विरोध करें और उससे डरें, तो वह और बड़ी भी हो जाती है और इसे हल करने में अधिक समय लग जाता है। कई बार परिस्थिति इतनी बड़ी नहीं होती, लेकिन यह सोच कि हमारे जीवन में कठिन परिस्थिति आ गई है, उसे बड़ा बना देती है। हमारे मन की सकारात्मक स्थिति को बनाने और सही सोच, परमात्मा की मदद और दूसरों के मार्गदर्शन द्वारा परिस्थिति को बदलने से पहले, हमें इस समझ के साथ परिस्थिति को स्वीकार करना चाहिए कि यह किसी व्यक्ति या बाहरी शक्ति के कारण नहीं है, बल्कि यह हमारे अपने किसी पिछले जन्म के नेगेटिव कर्मों या इस जन्म के नेगेटिव कर्मों का परिणाम है। हमें खुद से बात करनी चाहिए और अपने मन को हल्का महसूस कराना चाहिए कि हम बुरे आदमी नहीं हैं, हम अच्छे हैं, और हममें कई विशेषताएँ हैं और परमात्मा हमसे प्रेम करते हैं। ऐसी परिस्थिति किसी के भी जीवन में आ सकती है, हम अकेले नहीं हैं। स्वीकार्यता, हमें अधिक मजबूत और स्थिर बनाएगी, जबकि परिस्थितियों का विरोध, हमें कमजोर और अस्थिर करेगा।
(कल जारी रहेगा …)
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सच्चा प्रेम तब आता है जब हम स्वयं से और परमात्मा से जुड़े होते हैं। निस्वार्थ प्रेम हमारे मन को शांति और आत्मिक शक्ति देता है।
‘मैं करूँगा’ कहें, ‘मैं कोशिश करूँगा’ नहीं। सोच और शब्दों की पॉजिटिव एनर्जी सफलता को आकर्षित करती है। आज से अपने शब्द बदलें।
अपने दिन को बेहतर और तनाव मुक्त बनाने के लिए धारण करें सकारात्मक विचारों की अपनी दैनिक खुराक, सुंदर विचार और आत्म शक्ति का जवाब है आत्मा सशक्तिकरण ।
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