March 12, 2025

विचार, शब्द और कर्म में अनिर्णय की स्थिति को कैसे दूर करें

जल्दी और दृढ़ निर्णय लेना हर किसी के लिए आसान नहीं होता। कुछ लोग अलग-अलग विकल्पों के बीच इतने उलझ जाते हैं कि निर्णय लेने के बाद भी इधर-उधर की सोचते रहते हैं।

 

  1. क्या आपको अंतिम निर्णय लेना कठिन लगता है? क्या आप अक्सर यह तय नहीं कर पाते कि क्या पहनें, कहाँ जाएँ, क्या चुनें, क्या खाएँ, क्या खरीदें या फिर कैसे प्रतिक्रिया दें और आप बार-बार अपना निर्णय बदलते रहते हैं? और फिर बाद में यह सोचते हैं; काश मैंने यह निर्णय लिया होता, न कि वह…!

 

  1. हमारा सचेतन यानि कांशियस मन दुनिया भर की सूचनाओं, दूसरों के विचारों और सार्वजनिक मतों से भरा हुआ होता है। इसलिए यह सही है कि हम मार्गदर्शन लें, अपने अनुभवों पर विचार करें, विकल्पों का मूल्यांकन करें और परिणामों को तौलें। लेकिन एक बार निर्णय लेने के बाद अपने आप पर भरोसा करें और उसे बदलने की नहीं सोचें।

 

  1. अत्यधिक विचार करना हमेशा निर्णय लेने में मददगार नहीं होता। सही निर्णय लेने की शक्ति बढ़ाने के लिए मन और बुद्धि को शांत करें। मेडिटेशन के अभ्यास द्वारा अपने मन और बुद्धि को स्थिर करें और सही, त्वरित और दृढ़ निर्णय लें। जब निर्णय आपकी क्षमताओं और मूल्यों पर आधारित होगा, तो वह हमेशा आपके लिए सही ही होगा।


4. अपने निर्णयों को पूरी तरह स्वीकार करें, उन्हें सर्वश्रेष्ठ तरीके से निभाएँ और उनके परिणामों की जिम्मेदारी भी  लें। जब आप अपनी आंतरिक आवाज़ और परमात्मा के मार्गदर्शन को सुनने का अभ्यास करेंगे, तो निर्णय लेना आपके लिए सहज और स्वाभाविक बन जाएगा, चाहे आपको दूसरों की सलाह की आवश्यकता हो या नहीं।

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