18th dec 2024 soul sustenence hindi

December 18, 2024

निःस्वार्थ प्रेम सुंदर संबंधों की चाभी है (भाग 3)

जब भी आप किसी रिश्ते में खुशी का अनुभव करना चाहते हैं, तो पूरे दिल से प्यार करना सीखें। यह बात अक्सर सुनने को मिलती है, लेकिन इसका मतलब है बिना किसी सीमा और बिना किसी शर्तों के प्यार करना अर्थात बिना यह सोचे कि दूसरा व्यक्ति मेरे साथ कैसा होना चाहिए। दूसरे शब्दों में, हम अपने मन में दूसरे व्यक्ति के स्वभाव, सोच, बोल और व्यवहार की इतनी तय छवि बना लेते हैं कि हम उन्हें खुद को स्वाभाविक रूप से व्यक्त करने ही नहीं देते। ऐसा इस हद तक हो सकता है कि दूसरा व्यक्ति खुलकर बोलना या व्यवहार करना ही बंद कर दे। उनका असल रूप कहीं खो जाता है। कभी-कभी उनका व्यक्तित्व ऐसा खोल बना लेता है जो हमने तैयार किया होता है और कई बार वे जीवनभर उस खोल से बाहर नहीं निकल पाते। इसका मतलब है कि वह व्यक्ति हमारी इच्छानुसार कठपुतली बन जाता है और हमारी हर मांग को पूरा करता है, बिना सोचे समझे कि इसमें उसका खुद का अस्तित्व कहीं खो रहा है। इस स्थिति के लिए जिम्मेदार कौन है? हम हैं। हम अपने व्यक्तित्व के आधार पर दूसरे व्यक्ति को ढालते हैं। यह एक नकारात्मक कर्म है जिसके लिए हम जिम्मेवार बन जाते हैं। इसे ही सशर्त प्यार कहते हैं। 

 

दूसरी ओर, बिना शर्त प्यार वह है जिसमें आप चाहते हैं कि जिसे आप प्यार करते हैं, वह अपनी स्वाभाविक पहचान बनाए रखे, अपने यथार्थ  रूप  को कायम रखे। वह अपने अलग व्यक्तित्व, विशेष हिम्मत, क्षमताओं और गुणों के साथ आपके जीवन का हिस्सा हो। ऐसा तब होता है जब उनके ये गुण और क्षमताएं, आपकी शक्ति के साथ मिलकर एक सुंदर जोड़ी बनाते हैं। साथ ही, आप अपने गुणों पर भी ध्यान देते हैं और उन्हें कर्म में यूज़ करते हैं। यही सच्चा प्यार है। जब इस तरह का प्यार जीवन में उतारा जाता है, तो यह खुशियों से भरे रिश्ते की मजबूत नींव बन जाता है। ऐसे रिश्ते में दो लोग एक-दूसरे की प्यारभरी संगति का आनंद लेते हैं, लेकिन एक-दूसरे की व्यक्तिगत स्वतंत्रता में हस्तक्षेप किए बिना। 

(कल जारी रहेगा…)

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