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December 19, 2024
परमात्मा से सही तरीके से प्रेम करना भी हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण पहलू है, जिसमें परमात्मा भी हमारे अन्य सभी रिश्तों की तरह ही बहुत महत्वपूर्ण हैं। परमात्मा के साथ बच्चे या मित्र की भूमिका निभाने के लिए भी प्रेमपूर्ण विचार और व्यवहार की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए, परमात्मा से केवल मांगना और बदले में कुछ न देना, परमात्मा के करीब होने का सही तरीका नहीं है। बल्कि स्वयं को बदलकर उनके जैसा बनना ही परमात्मा का सच्चा प्रिय बनना है। प्रेम, खुशी, संतोष, साफ दिल और सत्यता जैसे गुण आपको परमात्मा के सुंदर सहयोग और सहारे के योग्य बनाते हैं, खासकर जब आप जीवन के कठिन समय से गुजर रहे हों। ऐसे समय में, परमात्मा की मदद के बिना आप उन समस्याओं से बाहर नहीं निकल सकते।
परमात्मा के साथ एक और महत्वपूर्ण रिश्ता; शिक्षक और विद्यार्थी का है। इस रिश्ते में परमात्मा हमें आध्यात्मिक ज्ञान के साथ-साथ अनेक दिव्य गुणों से परिपूर्ण बनाते हैं। इसलिए इस रिश्ते में, हमें परमात्मा के एक सर्वोच्च शिक्षक के रूप में किए गए प्रयासों का महत्व समझना चाहिए। साथ ही, हमें यह भी समझना चाहिए कि वे, जो समय और ऊर्जा हमें परिपूर्ण करने और हमारी आध्यात्मिकता के लेवल को उठाने में करते हैं जिससे हम अच्छे कर्म करने वाला मनुष्य बनते हैं, उसके बदले हमें उन्हें क्या देना चाहिए? परमात्मा के साथ एक और रिश्ता जिसे हम कभी-कभी निभाना भूल जाते हैं, वह है उन्हें बच्चे की तरह देखना। परमात्मा हमें अनेक तरीकों से संभालते हैं और वह यह हमारे उनके प्रति स्नेह और सम्मान के बदले में करते हैं। वे एक निरंतर आध्यात्मिक शक्ति की छत्रछाया की तरह हैं। उनकी दृष्टि हम पर हमेशा रहती है, और वे हमें हर कठिनाई से बचाते हैं। जब भी आप परमात्मा को सर्वोच्च गुरु के रूप में याद करते हैं, इसका मतलब है कि आप उनके दिए गए सभी निर्देशों का पालन करते हैं। इसका मतलब यह भी है कि जब आप दूसरों के संपर्क में आते हैं, तो आपकी स्थिति भी परमात्मा जैसी पवित्र हो। यही आपको उनके निरंतर शुभचिंतन का पात्र बनाता है, जो आपको हल्का और खुश रखता है।
(कल जारी रहेगा…)
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