अंदर के ‘मैं’ का अहसास और अनुभव (भाग 1)
हम सभी अपना जीवन बहुत तेज़ी से जीते हैं, एक दृश्य के समाप्त होते ही अगले दृश्य में चले जाते हैं, फिर पहले दृश्य को
October 30, 2023
हम सभी जानते हैं कि, हर जगह चाहे घर या फिर कार्यस्थल पर कुछ नियम लागू करने से बहुत फर्क पड़ता है। जैसे कि; जागने/सोने का समय, भोजन का समय, तौर-तरीके, ड्रेस कोड, वर्क एथिक्स आदि के लिए दिशानिर्देश वा नियम; अनुशासन और कल्चर क्रिएट करते हैं। लेकिन क्या होता है कि, हम नियम बनाते समय उन लोगों से सहमति नहीं लेते जिनके लिए वे नियम बनाए जा रहे हैं। इसलिए, कुछ लोग या तो उनको फॉलो ही नहीं करते हैं, या फिर अनिच्छा से करते हैं।
तो आएं, इस मोमेंट में हम देखें कि, आप कैसे सबकी सहमति लेकर नियम बनाते हैं, और उनमें नियमों का पालन करने की इच्छा पैदा करते हैं –
मैं एक शक्तिशाली प्राणी हूँ। मैं अपनी जिम्मेदारियों का ईमानदारी से निभाता हूं। मैं अपने जीवन में वैल्यूज को अपनाता हूं। परिवार, दोस्तों, सहकर्मियों के साथ अपने रोल के द्वारा… मैं सभी को सम्मान के साथ अनुशासित और सशक्त बनाता हूं। लेकिन जब कुछ आदतें बनानी होती हैं… मैनर्स (शिष्टाचार) का पालन करना होता है… एथिक्स (नैतिकता) अपनानी होती है… बेस्ट प्रैक्टिसेज अपनानी होती हैं... मैं सभी की सहमति लेता हूं। मैं अपने घर, ऑफिस में हर व्यक्ति से परामर्श करता हूं….मैं उम्र, उनके पद, पोजीशन के आधार पर उनमें अंतर नहीं करता… मैं सभी के साथ समान व्यवहार करता हूं… मैं सभी को चर्चाओ में शामिल करता हूं। मैं अपनेपन की भावना पैदा करता हूं। मैं अपना सुझाव देता हूं कि, क्या करना है… कैसे करना है… क्यों करना है… मैं सभी को स्पष्ट रूप से समझाता हूं…और मैं अपने विचार नहीं थोपता…मैं उनके फीडबैक लेता हूं… मैं उन्हें बिना किसी डर या अवरोध के अपने विचार व्यक्त करने की आजादी देता हूं… इससे वे इन्वॉल्व होने…अपनी बात रखने… और सलाह दिए जाने को सराहते हैं। कई बार उनकी राय अलग होती है लेकिन मैं उन्हें समझता हूं… उसके आधार पर बेस्ट ऑप्शन का मूल्यांकन करता हूं… एक समाधान पर पहुंचता हूं… एक नियम या दिशानिर्देश; जिसे लागू करने के लिए हर कोई सहमत होता है…हर कोई खुश होता है। मैं उनकी सहमति लेता हूं…मैं उन्हें इसे लागू करने में मदद करता हूं। वे स्वेच्छा से उस बात का पालन करते हैं जिस पर सभी स्वीकृति और सहमति होती है….वे अकाउंटेबिलिटी (जवाबदेही) लेते हैं। वे नियमों का पालन सहजता से करते हैं। वे मेरा सम्मान करते हैं…मैं उनका सम्मान करता हूं…मैं हर किसी को बेहतर बनने के लिए मार्गदर्शन करता हूं। मैं घर और कार्यालय में एक हेल्थी, हाई वाएब्रेशनल वातावरण बनाने में हेल्प करता हूं…जहां अनुशासन हो…अच्छे शिष्टाचार…स्वस्थ आदतें…खुशी…और सद्भाव हो।
इस तरह से रूल्स एंड रेगुलेशन निर्धारित करने के लिए और एक सद्भाव कल्चर विकसित करने के लिए; इस एफरमेशन को कुछ बार दोहराएं। आप देखेंगे कि, कैसे सभी लोग अपनी इच्छा से नियमों का पालन करेंगे बजाय इसके कि, नियम उनके ऊपर थोपे जाएं।
हम सभी अपना जीवन बहुत तेज़ी से जीते हैं, एक दृश्य के समाप्त होते ही अगले दृश्य में चले जाते हैं, फिर पहले दृश्य को
हम सभी इस जीवन रूपी नाटक में अभिनेता हैं और कई भूमिकाएं निभा रहे हैं। हर दृश्य में हमें अपनी स्क्रिप्ट लिखने और उसपर अभिनय
प्रतिदिन परमात्मा द्वारा दिए गए ज्ञान को अपने मन में दोहराएं– प्रतिदिन परमात्मा हमसे ज्ञान साझा करते हैं, जिसे हम पढ़ते हैं और अपनी डायरी
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