परमात्मा कैसे इस विश्व को प्योर बनाते हैं? (भाग 3)

July 11, 2024

परमात्मा कैसे इस विश्व को प्योर बनाते हैं? (भाग 3)

जैसा कि हमने कल के संदेश में जाना कि, विश्व की सभी आत्माएं कॉपर और आयरन ऐज में अनेक प्रकार के नकारात्मक और अशुद्ध कर्म करती हैं। इसके परिणामस्वरूप, विश्व की हर  आत्मा के अंदर, वर्ल्ड ड्रामा के इन दोनों युगों में नकारात्मक और अशुद्ध संस्कार क्रिएट होते हैं। हम सभी आत्माओं का वास्तविक घर; सोल वर्ल्ड है जहां से सभी आत्माएं अलग-अलग युगों में आकर, अलग-अलग शरीर धारण कर अपना-अपना किरदार निभाती हैं। संसार की सभी आत्माएं जब तक सोल वर्ल्ड में रहती है वे सभी पूरी तरह से पवित्र होती हैं और जब वे इस भौतिक संसार में अपना किरदार निभाना शुरू करती हैं तब आइरन ऐज के अंत तक आते आते अपवित्र हो जाती हैं फिर उन सभी मानव आत्माओं को पवित्र बनकर वापस अपने घर; सोल वर्ल्ड में जाना होता है। ऐसा दो तरह से होता है- 1.परमात्मा के साथ यथार्थ रीति से संबंध बनाने से और पिछले संदेश में बताए गए चार पहलुओं द्वारा जो हैं: आध्यात्मिक ज्ञान, मेडिटेशन, दिव्य गुणों को धारण करना और आध्यात्मिक सेवा। 2. साथ ही, विभिन्न प्रकार की नकारात्मक स्थितियों और उनके प्रभावों द्वारा जो हैं; बीमारियां, प्राकृतिक आपदाएं, जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग, वित्तीय समस्याएं, आपसी संबंधों में संघर्ष, विभिन्न देश और समाज के अलग-अलग वर्गों के बीच संघर्ष, आपराधिक गतिविधियां और अन्य दूसरी कई तरह की नकारात्मक स्थितियों और उनके प्रभावों का सामना करके आदि। आज वैश्विक स्तर पर, दुनिया में और हर मानव के जीवन में यह सभी नकारात्मक परिस्थितियां निरंतर बढ़ रहीं हैं।


वर्ल्ड ड्रामा के अंत में एक ऐसा समय आता है जब पूरे विश्व की आत्माएं संपूर्ण पवित्र होने के बाद वापस सोल वर्ल्ड में जाना शुरू करेंगी। साथ ही, अन्य योनियों की आत्माएं भी विभिन्न नकारात्मक स्थितियों से गुजरकर पवित्र हो जाएंगी। वे भी मानव आत्माओं की प्योर वाईब्रेशन के प्रभाव में आ जाएंगी, भले ही वे परमात्मा को जान नहीं सकेंगी या उनके ज्ञान को नहीं समझेंगी। इसके साथ ही, मानव आत्माओं और अन्य आत्माओं के प्युरिफिकेशन  के परिणामस्वरुप, संपूर्ण प्रकृति भी शुद्ध हो जाएगी, क्यूँकि उसे भी उन सभी की प्योर वाईब्रेशन रिसीव होंगी। मानव आत्माओं के सोल वर्ल्ड में वापस आने के बाद, वे सभी कुछ समय के लिए शांति से सोल वर्ल्ड में रहेंगी और उस दुनिया में कुछ समय आराम करने के बाद, वे सभी अपनी-अपनी भूमिका निभाने के लिए अलग-अलग समय पर पृथ्वी ग्रह पर आएंगी, जो कि इस बात पर निर्भर करता है कि वे कितनी पवित्र हैं। सबसे अधिक पवित्र आत्माएं सबसे पहले आएंगी। इस तरह से, इस धरा पर पवित्रता के दो चरण यानि युग होंगे और फिर दो चरण नकारात्मकता और अपवित्रता के होंगे। इस प्रकार, 5000 वर्ष का यह वर्ल्ड ड्रामा रिपीट होगा। लेकिन इस पूरे प्रॉसेस में, परमात्मा जो सदा शाश्वत हैं, हमेशा अपने आध्यात्मिक स्वरूप में स्थिर रहते हैं और जब दुनिया अपवित्र होती है तब उसे पवित्र बनाते हैं। ऐसा बार-बार रिपीट होता है और ये एक शाश्वत प्रक्रिया है, जैसे कि विश्व नाटक शाश्वत है।

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