परमात्मा के ट्रस्टी कैसे बनें? (भाग 2)

December 12, 2023

परमात्मा के ट्रस्टी कैसे बनें? (भाग 2)

कल के संदेश के आधार पर, यह महसूस करना महत्त्वपूर्ण है कि यह सभी खजाने मेरे अपने हैं और उनके सही उपयोग से मेरी स्वयं की आध्यात्मिक उन्नति की अपार संभावनाएं हैं। लेकिन उनके साथ फिर अटैचमेंट होना बहुत स्वाभाविक हो जाता है क्योंकि वे अपने हैं, इसलिए उनके साथ डीटैचमेंट बनाए रखना भी उतना ही जरूरी है, क्योंकि वे हमारे हैं और हम आसानी से उनके प्रभाव में आ सकते हैं। क्योंकि यह सभी जानते हैं कि जहाँ मोह होता है वहाँ अहंकार आ ही जाता है और इन खज़ानों का दुरुपयोग होने लगता है। तब इस स्थिति में ट्रस्टीशिप का कॉन्सेप्ट बहुत मदद करता है। परमात्मा; हमें इन खजानों का ज्ञान, उनके उपयोग करने की विधि बताने के साथ हमारे बेनिफिट के लिए यह भी बताते हैं कि, एक बार जब हमें यह एहसास हो जाए कि ये खजाने क्या हैं, तो हमें इन खजानों को उन्हें समर्पित कर देना चाहिए। और यहां ये जानना जरूरी है कि, यह समर्पण अदृश्य या अभौतिक है, नाक़ी भौतिक या विजिबल।

एक बार जब यह खज़ाना हम परमात्मा को समर्पित कर देते हैं तो दुनियावी समर्पण की तरह यह खजाने वे अपने पास नहीं रखते, क्योंकि वे बेहद के दाता और निराकार या अशरीरी हैं और वे सभी खजाने हमें ही वापस लौटा देते हैं। देखा जाए, तो इस समर्पण का भाव बहुत गहरा है लेकिन सिर्फ मानसिक स्तर पर, नाकि शारीरिक स्तर पर। लेकिन वे एक शर्त पर हमें ये खजाने वापस देते हैं क्योंकि ये खजाने अब हमारे नहीं, तो समर्पण के बाद हमें उन पर अपने अधिकार की भावना को दूर करना होगा और एक ट्रस्टी बनकर उनकी देखभाल करनी होगी। कल के संदेश में बताए गए पॉइंट के आधार पर, हमें इन खजानों का उपयोग, केवल परमात्मा द्वारा बताए गए उद्देश्य के लिए ही करना होगा, कि स्वयं को और अन्य आत्माओ को उनके सत्य की स्थिति के करीब कैसे लाना है? क्या आप जानते हैं कि ट्रस्टी शब्द ट्रस्ट शब्द से लिया गया है। यहां परमात्मा की अपने बच्चों से ये चाहना या आशा है कि, हम किसी भी समय, किसी भी कीमत पर, इन खजानों की देखभाल वा उपयोग करते समय उनके भरोसे को न तोड़ें, क्योंकि खजाने भले ही हमारे पास हैं लेकिन वे अब हमारे नहीं हैं, वे परमात्मा के हैं और हम सिर्फ आध्यात्मिक ट्रस्टी के रूप में इनकी देखभाल करते हैं।

(कल जारी रहेगा…)

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