
सच्चे रिश्ते वही होते हैं जहाँ आत्मनिर्भरता और भावनात्मक स्वतंत्रता हो। जानिए कैसे दूसरों को सहयोग करते हुए उन्हें सशक्त बनाएं।
May 18, 2025
परमात्म साथ से हम अच्छाईयों का विकिरण करते हैं
मानव जीवन का एक बहुत महत्वपूर्ण पहलू यह है कि हम दूसरों को कितनी अच्छाई प्रदान करते हैं। याद रखें, ईश्वर एक सुंदर आत्मा हैं, यानि कि परम आत्मा। क्योंकि वह पूर्ण ज्ञान या सत्य, सभी गुणों और शक्तियों से परिपूर्ण हैं, वह हर आत्मा और भौतिक जगत की सेवा बिना किसी शर्त के करते हैं। उनके जैसा कोई नहीं है और वह हमेशा हर पल बिना किसी अपेक्षा के देना जानते हैं। हम उनके इस संस्कार को अनुसरण करते हुए अपना सकते हैं। उनके साथ रहते हुए, हम अधिक पूर्णता महसूस कर सकते हैं, क्योंकि वह दुनिया में दिखाई देने वाले गुणों के सागर हैं। उनका अच्छा स्वरूप हर मानव आत्मा में विभिन्न रूपों में बसा हुआ है, क्योंकि वह मानवता के संसार के पेड़ के बीज हैं। हमारे जीवन में उनके होने के अनुभव से, हम उनके समान ही अच्छाई का स्वरूप; मास्टर अच्छाई के सागर के रूप में विकसित होते हैं। हमारा व्यक्तित्व भी पूरी तरह से विकसित होता जाता है और हमारी संगति में हर कोई सकारात्मक रूप से लाभान्वित होता है। हमारे विचार, शब्द, क्रियाएँ और कंपन सब इस तरह से सेवा करने लगते हैं जैसे ईश्वर बिना किसी इच्छाओं और अपेक्षाओं के सेवा करते हैं।
उनके पास रहने से, हम उनके मीठेपन, मासूमियत, विनम्रता और उदारता की शुद्ध ऊर्जा को ग्रहण करते हैं और यह ऊर्जा फिर हमारे माध्यम से दूसरों तक पहुँचती है। इसके साथ-साथ, जब हम इस ऊर्जा का विकिरण करते हैं, तो हम संतोष का अनुभव करते हैं और हमसे जुड़े सभी लोग हमें आशीर्वाद देते हैं, जिससे हमारे जीवन का मार्ग सुगम, आनंदमय और अड़चन हीन बनता जाता है। दूसरी ओर, जब हम केवल अपने भौतिक अस्तित्व पर ध्यान केंद्रित करते हैं और ईश्वर को भूल जाते हैं, तो हम अपनी चेतना के अंदर खाली रहते हैं और हमारे भीतर ज्ञान, गुण और शक्तियों की कमी हो जाती है। ऐसी अवस्था में, हम केवल अपनी इच्छाओं को पूरा करने और अपने नकारात्मक संस्कारों तथा कठिन परिस्थितियों से निपटने पर ध्यान केंद्रित करते हैं, बजाय इसके कि हम यह सब दूसरों के लिए भी करें। इसके अलावा, जब हम दूसरों के साथ अच्छाई करने की अवस्था में होते हैं, तो हम बहुत कुछ प्राप्त करते हैं और साथ ही ईश्वर का आशीर्वाद लगातार हमारे साथ रहता है, जो हमें उनके और करीब लाता है। यही वह सबसे बड़ा उपहार है जो हम उनसे प्राप्त करते हैं।
सच्चे रिश्ते वही होते हैं जहाँ आत्मनिर्भरता और भावनात्मक स्वतंत्रता हो। जानिए कैसे दूसरों को सहयोग करते हुए उन्हें सशक्त बनाएं।
परमात्मा, ब्रह्मांड की सर्वोच्च आध्यात्मिक शक्ति हैं। उनके प्रेम और शक्ति से आत्मा को शांति, आनंद और दिव्यता का अनुभव होता है।
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