
सच्चे रिश्ते वही होते हैं जहाँ आत्मनिर्भरता और भावनात्मक स्वतंत्रता हो। जानिए कैसे दूसरों को सहयोग करते हुए उन्हें सशक्त बनाएं।
May 16, 2025
परमात्म साथ से हमारे जीवन को गहराई और महत्व मिलता है
आज हम जीवन को अलग-अलग तरीकों से आनंदित होकर जी रहे हैं। पाँचों इंद्रियों के सुख के अनेक स्रोत हैं। हम उन सुखों को भोगते हैं, कुछ पल खुश होते हैं और फिर भूल जाते हैं। यह चक्र बार-बार चलता है; आनंद मिला, फिर गया। हम कभी-कभी यह सोचते भी हैं कि यह ख़ुशी टिकाऊ क्यों नहीं होती? फिर भी हम अगली ख़ुशी की तलाश में लग जाते हैं — कुछ ऐसा जो हमें दोबारा थोड़ी देर के लिए अच्छा महसूस कराए। हम हमेशा इस तरह सुख की खोज में रहते हैं, लेकिन यह खोज कभी पूरी नहीं होती — बस थोड़ी देर के लिए रुक जाती है। कुछ समय बाद फिर हमारा मन कुछ नया चाहता है। इस प्रक्रिया से क्या हुआ है? हमारे जीवन का महत्व हमारे अपने ही मन में कम होता जा रहा है। हमें लगता है कि शायद यह जीवन जीने का सही तरीका नहीं है — कहीं कुछ कमी है। मन चिंता करता है कि इसका हल क्या है?
हमसे भूल क्या हुई? हमने मनुष्यों से, भौतिक वस्तुओं से, संपत्ति और प्रकृति से दोस्ती कर ली, लेकिन अपने सबसे सच्चे और सर्वोच्च मित्र ईश्वर को भुला दिया — जो पूर्ण ज्ञान, गुणों, शक्तियों और विशेषताओं से भरपूर हैं। क्या ईश्वर हमें अच्छे रिश्ते बनाने से मना करते हैं? क्या वे हमें जीवन में अच्छी वस्तुओं का उपभोग करने से रोकते हैं? क्या वे हमें सुंदर स्थानों को देखने और उनका आनंद लेने से रोकते हैं? बिलकुल नहीं। वे तो कहते हैं — यह सब करते रहो। अच्छे से परिवार को रखो, मित्रता निभाओ, अपने कार्य में आगे बढ़ो, अच्छी पढ़ाई करो, ऊँचे पद तक पहुँचो, और जीवन को भरपूर जियो — लेकिन यह सब करते हुए मुझे मत भूलो। ईश्वर हमसे पूछते हैं — जब तुम्हें इस आधुनिक दुनिया में इतनी सारी चीज़ें मिल गईं, तब तुमने मुझे क्यों भूलना शुरू कर दिया? उन्हें पता है कि जब दुनिया थोड़ी कम उन्नत थी, तब लोग उन्हें ज़्यादा याद करते थे — क्योंकि तब इंद्रिय सुखों के साधन कम और आकर्षणहीन थे। उस समय वे हमारे लिए अधिक महत्वपूर्ण थे। तो फिर हम कहाँ खो गए? जब हमने भौतिकता को जीवन का केंद्र बना लिया। अपने जीवन के महत्व को फिर से पाने के लिए, हमें ईश्वर और उनके सतत संग के महत्व को फिर से पाना होगा। क्योंकि केवल यही हमें जीवन में गहराई, संतोष और स्थायी आनंद देगा।
(कल भी जारी रहेगा…)
सच्चे रिश्ते वही होते हैं जहाँ आत्मनिर्भरता और भावनात्मक स्वतंत्रता हो। जानिए कैसे दूसरों को सहयोग करते हुए उन्हें सशक्त बनाएं।
परमात्मा, ब्रह्मांड की सर्वोच्च आध्यात्मिक शक्ति हैं। उनके प्रेम और शक्ति से आत्मा को शांति, आनंद और दिव्यता का अनुभव होता है।
https://youtu.be/UPQS0cK9fLk हम सभी ने अपने जीवन में साधु महात्माओं, माता-पिता, शिक्षक, परिवार के सदस्यों और मित्रों द्वारा दिए गए “आशीर्वाद की पॉवर” को अनुभव किया होगा। ब्लेसिंग माना – उनके
while wealth and fame are desirable and often necessary aspects of modern life, they should not be pursued at the expense of happiness. Happiness should not be viewed as the end goal but as a constant companion in our journey.
It highlights the importance of facing life’s challenges, including loss and grief, with high vibrational, positive thoughts, underscoring the belief in the transformative power of self-reflection and mental resilience.
Discover how to pack your mental luggage for life’s journey, focusing on forgiveness, understanding, and the power of blessings to live a lighter, more joyful life.
अपने दिन को बेहतर और तनाव मुक्त बनाने के लिए धारण करें सकारात्मक विचारों की अपनी दैनिक खुराक, सुंदर विचार और आत्म शक्ति का जवाब है आत्मा सशक्तिकरण ।
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