दूसरों की खुशियों का जश्न मनाएं
क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।
February 25, 2024
हमारे जीवन में दुआएँ; एनर्जी ट्रेजर के समान हैं, जिन्हें हम प्रतिदिन स्वयं के लिए देते हैं, एवम अपने संबंधों द्वारा और परमात्मा से प्राप्त करते हैं। जितना अधिक हम ये खजाने जमा करते हैं, उतना ही अधिक हम आंतरिक रूप से समृद्ध होते जाते हैं और हमारी आंतरिक शक्ति और खुशियां दोनों ही बढ़ती जाती हैं। अपने दिन की शुरुआत करने से; हम न सिर्फ खुद के लिए बल्कि अपने आस-पास के लोगों के लिए थॉट क्रिएट करना शुरू कर देते हैं और साथ ही, हम भिन्न-भिन्न व्यक्तित्व के लोगों के संपर्क में भी आते हैं। लोगों से मिलकर हमें उनकी खूबियां और कमजोरियां दोनों ही नजर आने लगती हैं और ऐसे में हम या तो उनकी अच्छाइयों से प्रभावित हो जाते हैं या फिर हमारे मन में उन लोगों के लिए घृणाभाव होता है जिनका व्यवहार हमारे लिए अच्छा नहीं है। इसके चलते कभी-कभी हम कुछ लोगों को नेगेटिव एनर्जी भेजते हैं और बदले में उनसे मिलने वाली दुआएं ब्लॉक हो जाती हैं। इतना ही नहीं, उनके प्रति हमारे विचार, शब्द और कर्म भी प्रभावित होते हैं और हम परमात्मा से मिलने वाली दुआएं भी गवां देते हैं, जो हमारे द्वारा किए गए हर सूक्ष्म से सूक्ष्म कार्य को भी देखते हैं। कभी-कभी हमारे ऐसे व्यवहार के चलते लोग हमसे असंतुष्ट हो जाते हैं और दूर होने लगते हैं और हमें नेगेटिव एनर्जी भेजने लगते हैं।
और जब हमारे जीवन में ऐसी नेगेटिव एनर्जी जमा होने लगती हैं तब हम हताश, उदास महसूस करते हैं और हमारा जीवन बाधाओं से भर जाता है।
ऐसे में जरूरी है कि, हम इस बात पर गौर करें कि, हम ऐसा क्या करें जिससे हमारा दूसरों से मिलने वाली दुआओं का खजाना प्रतिदिन बढ़ता रहे? क्योंकि जितना अधिक हम अपने जीवन में इस खजाने को बढ़ाते जाते हैं, उतना ही हमारा जीवन खुशियों से भरता जाता है और हम दूसरों के साथ भी हर पल हल्केपन के भाव के साथ खुशियां ही पाते हैं। इससे हमें अपना जीवन सार्थक महसूस होने लगता है। जब भी हम अपने जीवन में कुछ ऐसा सोचते हैं या करते हैं, जिससे हम अपनी आत्मा के सात ओरिजिनल संस्कार/ नेचर; शांति, प्रेम, सुख, आनंद, पवित्रता, ज्ञान और शक्ति के करीब पहुंचते हैं तो हम खुद को दुआएं देते हैं। ठीक इसी प्रकार, जब भी हम ऐसी ही सोच, दूसरी आत्मा के प्रति रखते हैं कि वे अपनी ओरिजिनल स्टेज को प्राप्त कर लें, तो हमें उनसे भी दुआएं मिलना शुरू हो जाती हैं। ऐसा करके हम परमात्मा की दुआओं के भी पात्र बन जाते हैं। हमारा दुआओं से भरपूर जीवन हमें सदा संतुष्टता महसूस कराता है।
क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।
क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।
क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।
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