ब्रह्माकुमारीज का 7 दिवसीय कोर्स (भाग 6)
क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।
November 13, 2023
अक्सर हम लोगों से ऐसी चीजें करने की अभिलाषा रखते हैं जो हमारे गुणों, वैल्यूज और लक्ष्यों के अनुसार हों। और अगर वे हमारी उम्मीदों पर कुछ हद तक खरा उतरते हैं तो हम ये मानते हैं कि वह हमसे प्यार करते हैं। हम मन ही मन एक स्क्रिप्ट भी लिख लेते हैं कि कैसे वे हमारे प्यार में हमारी सभी इच्छाओं को पूरा करेंगे। लेकिन जब भी कभी वे किसी भी कारण से हमारी आवश्यकताओं वा उम्मीदों पर खरे नहीं उतरते तो हम नाराज हो जाते हैं।
तो आइए इस एक क्षण में अपने मन को सिखाएं कि जब लोग हमारे अनुसार नहीं होते हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि वे हमसे प्यार नहीं करते हैं। इसके लिए इन अफरमेशन को दोहराएं।
मैं खुशमिजाज प्राणी हूं। मुझे अपने अनुसार खुश रहना आता है। मुझे किसी से कोई उम्मीद नहीं है। मैं लोगों से प्यार नहीं मांगता हूं। मैं स्वयं प्रेमस्वरूप हूं… मैं सब में प्रेम बांटता हूं। मैं बिना किसी एक्सपेक्टेशन के सलाह देता हूं। फिर चाहे लोग मेरी बात माने या न माने… वे मुझसे प्यार करते हैं… लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि जैसा मैं कहता हूं वे वैसा करने में सक्षम हों… उनके द्वारा किए गए कार्य मेरे प्रति उनके प्यार को शो नहीं कर सकते। वे मुझसे प्यार करते हैं लेकिन ज़रूरी नहीं कि वे मेरी हर बात पर अमल करें… भले ही वे मेरी बात न सुनें… भले ही वे मेरे सुझाव पर अमल न करें… वे अपने थॉट प्रोसेस… अपने स्वभाव… अपनी क्षमता… अपनी प्रायोरिटीज … के अनुसार व्यवहार करते हैं जो भले ही मेरे अनुसार न हो। मैं उन्हें समझता हूं और ये उम्मीद नहीं करता कि, वे मेरे हिसाब से चलें … मैं अपने मन से बातें करता हूं… मैं अपने मन को उनका नजरिया समझाता हूं। मेरा मन मेरे प्रति उनके प्यार पर सवाल नहीं उठाता… वह मेरी बात सुनता है और शांत हो जाता है। मैं प्यार और सम्मान की ऊर्जा के साथ जवाब देता हूं। मुझे किसी से कुछ नहीं चाहिए।
अपनी चाहनाओं के आधार पर प्यार की परिभाषा को बदलने के लिए इन अफरमेशन को कुछ बार दोहराएं कि, जो कोई भी हमसे प्यार करता है जरूरी नहीं कि वह वही करे जो हम चाहते हैं। एक बार जब आप प्यार को एक्सपेक्टेशन से अलग कर के देखते हैं, तो लोगों को समझना और उन्हें स्वीकार करना स्वाभाविक हो जाता है।
क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।
क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।
क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।
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