25th oct 2024 soul sustenence hindi

October 25, 2024

राजयोग द्वारा आत्मा को शुद्ध बनाएं

हम सभी आध्यात्मिक ऊर्जा या आत्माएं हैं, जो विश्वनाटक में अनेक जन्म लेती हैं और इन जन्मों में कई प्रकार के कर्म करती हैं। आत्मा मूल रूप से आत्मलोक (परमधाम) में रहती है और भौतिक दुनिया में विभिन्न शारीरिक शरीरों में अलग-अलग भूमिकाएं निभाने आती है। प्रत्येक आत्मा के कर्म उसकी मौलिक शुद्धता और उसकी विशिष्ट संस्कारों पर निर्भर करते हैं। आत्माएं अनेक संबंधों से गुजरती हैं और अलग-अलग जन्मों में अन्य आत्माओं को सुख और दुख देती हैं। साथ ही, आत्माएं हर जन्म में प्रकृति के पांच तत्वों के साथ संपर्क में आती हैं और उन्हें मिलने वाली सकारात्मक या नकारात्मक ऊर्जा के आधार पर कर्म संबंध बनते हैं, जो यह निर्धारित करते हैं कि आत्मा कितनी अशुद्ध हो गई है।


ईश्वर; जो हमारे परमपिता और परमात्मा हैं, जन्म और पुनर्जन्म के चक्र में नहीं आते हैं। इसलिए, उनकी शुद्धता व पवित्रता कभी कम नहीं होती और वे सदा ही पवित्रता के सागर हैं। वही एकमात्र हैं जो हर आत्मा और उसके विभिन्न जन्मों को जानते हैं और यह भी जानते हैं कि आत्मा मूल रूप से कितनी शुद्ध थी। आज के समय में, जब आत्माएं अत्यधिक अशुद्ध हो चुकी हैं, वे हमें राजयोग की विधि सिखलाते हैं। इस योगाभ्यास में आत्मा अपने परमात्मा को आत्मलोक यानि परमधाम में याद करती है और उनकी सकारात्मक (पवित्र) आध्यात्मिक ऊर्जा को आत्मसात करती है, जिससे वह शुद्ध हो जाती है।

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28 march 2025 soul sustenance hindi

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