रक्षाबंधन का आध्यात्मिक महत्व

August 19, 2024

रक्षाबंधन का आध्यात्मिक महत्व

रक्षाबंधन का त्यौहार तिलक लगाने, पवित्र धागा बांधने, मिठाइयाँ खिलाने, शुभकामनाओं और उपहारों के आदान-प्रदान से शुरू होता है। आइए, इस पर्व से जुड़ी बातों के आध्यात्मिक महत्व को समझें:

 

1.ग्रीटिंग– हमारा हर विचार और शब्द लोगों के लिए एक ब्लेसिंग की तरह है। उनका व्यवहार और संस्कार चाहे कैसे भी हो, हमें उनके लिए सिर्फ प्योर और पॉजिटिव थॉट्स ही क्रिएट करने चाहिए इससे उन्हें अपने संस्कार बदलने की शक्ति मिलती है। साथ ही, जब हम उन्हें दुआएं देते हैं वो उनकी वास्तविकता बन जाती है और इससे उनका भाग्य बदलने लगता है। आइए अपने अतीत के सारे दर्द, जिन्हें हम अभी तक पकड़े हुए हैं उन्हें मिटा दें क्यूँकि उन सभी से हमें इंप्यूर और नेगेटिव वाईब्रेशन मिली है।

 

2.तिलक– हम सभी अपने मस्तक के बीचों बीच तिलक लगाते हैं, जो कि हमारी आत्मा का स्थान है और ये हमारी तीसरी आँख को दर्शाता है। तिलक लगाने का अर्थ; इस सत्यता के प्रति जागरूक होना है कि मैं ये शरीर, भूमिका या सम्बंध नहीं हूँ। मैं एक पवित्र आत्मा हूँ और हर एक प्राणी जिसके संपर्क में मैं आता हूं वो भी एक आत्मा है। इससे इस जीवन में हमने जो कुछ भी प्राप्त किया है, उसके प्रति हमारा देहभान समाप्त हो जाता है जो कि सभी विकारों का आधार है। जबकि आत्म अभिमान सभी सद्गुणों का आधार है।

 

3.राखी– राखी शब्द रक्षा शब्द से आया है जिसका अर्थ होता है सुरक्षा। राखी बाँधने का अर्थ है कि अपने  हर विचार, शब्द और कर्म में पवित्रता और प्रेम के मूल संस्कारों का उपयोग करना। जब राखी रूपी पवित्र धागा हमारी कलाई पर बंधा रहता है, तो वो हमें स्वयं और परमात्मा से किए गए वायदे याद दिलाता है।

 

4.मिठाइयाँ– ये हमें याद दिलाती हैं कि हमारे विचार, शब्द, भावनाएं और इरादे हमेशा मीठे हों। इससे हमारे संबंधों में सद्भाव बनता है।

 

5.गिफ्ट– आइए, इस रक्षाबंधन अपनी किसी भी एक आदत, संस्कार या लत जिससे हमें परेशानी हो रही है उसे छोड़ दें। ये सबसे अच्छा उपहार है जो कि हम स्वयं को, अपने परिवार को और परमात्मा को दे सकते हैं।

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