
सफलता के 5 खूबसूरत पहलू (भाग 3)
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January 3, 2024
1.शांतिपूर्वक और सम्मानपूर्वक अपनी बात रखें- अक्सर जीवन की विभिन्न स्थितियों में जब दूसरे हमारी बात से सहमत नहीं होते और हमारी राय को सम्मान नहीं देते, तो हम क्रोधित हो जाते हैं। तब हमें ये गलत लगता है और हम इसके बारे में कुछ करना चाहते हैं। ऐसे समय पर हम अपनी राय साझा कर सकते हैं और सामने वाले को ये भी समझा सकते हैं कि इस स्थिति में यह कैसे फायदेमंद हो सकता है। लेकिन हमें यह सब बिना किसी अहंकार के और बहुत शांति और सम्मान के साथ करना चाहिए।
2.सुनिश्चित करें, कि दूसरों की भावनाएं आहत न हों- आध्यात्मिकता हमें सिखाती है कि, क्रोधित होना मानवीय रिश्तों की अच्छाई के विरूद्ध है और अगर सही तरीके से अपनी बात रखी जाए, जिसमें न तो हम दूसरों को दुख दें और न ही दूसरों की भावनाओं पर हावी हों तो ये गलत नहीं होगा। इसलिए जहां भी जरूरी हो, हमें एसर्टिव रहकर परिस्थितियों में भी सफल होना सीखना चाहिए।
3.अपना दृष्टिकोण देने के लिए समय लें, आलोचनात्मक न बनें- रिश्तों का एक बहुत ही महत्वपूर्ण आध्यात्मिक आयाम है कि हमें बोलने से पहले सोचना चाहिए, क्योंकि एक बार बोले गए शब्द कभी वापस नहीं आते और नाही सुनने वाला व्यक्ति उन शब्दों को कभी भूलता है। इसलिए एसर्टिव होना अच्छी बात है पर हमें अपनी इस पावर का गलत उपयोग नहीं करना चाहिए और उसे सकारात्मक तरीके से बातचीत का हिस्सा बनाना चाहिए।
4.परमात्मा के प्रेम को अपने दृढ़ स्वभाव का हिस्सा बनाएं- याद रखें कि हमारी एसर्टिवनेस, परमात्म प्रेम और अच्छाई से भरपूर होनी चाहिए, क्योंकि तभी यह अपना प्रभाव छोड़ सकेगी। परमात्म प्रेम होना बहुत जरूरी है क्योंकि ये हमें दूसरों के लिए आध्यात्मिक प्रेम से तो भरपूर करता ही है साथ ही ये हमें केयरिंग भी बनाता है जो एसर्टिव होने के साथ साथ बहुत ही जरूरी है। इसके अलावा, हमारे दिल का प्यार यह सुनिश्चित करता है कि, हम एसर्टिव होते हुए भी ब्लंट नहीं बल्कि बहुत नर्म हैं।
5.दूसरों की राय सुनें और उन्हें समझें– रिश्तों में दूसरा व्यक्ति क्या कहना चाह रहा है, उसे सुनना और गहराई से महसूस करना बहुत जरूरी है, नहीं तो एसर्टिवनेस का गलत उपयोग हो सकता है जिससे हमारे रिश्तों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। जितना अधिक हम सामने वाले को सहयोग देंगे, उतना ही हम उन्हें संतुष्ट कर पाएंगे।
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