रिश्तों में नॉन जजमेंटल बनें

January 11, 2024

रिश्तों में नॉन जजमेंटल बनें

हम सभी अपने आस पास के लोगों से, परिवार, मित्र या अपने कलीग से ये आशा रखते हैं कि वे अपने हर थॉट्स और इमोशंस हमारे साथ शेयर करें। परन्तु जब वे उदास होते हैं या उनसे कोई गलती हो जाती है, तब वे ऐसा नहीं कर पाते हैं, क्योंकि उन्हें हमारे जजमेंटल होने का, हमारे रिजेक्शन या रिएक्शन का डर होता है। इसलिए आजकल लोग अपने प्रियजनों से बात करने की जगह, काउंसलर्स से बात करना पसंद करते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि वे नॉन जजमेंटल होकर उन्हें सही सलाह देंगे। 

आज के संदेश के द्वारा समझते हैं कि किस प्रकार हम बिना जजमेंटल हुए एक काउंसलर के समान लोगों की मदद कर सकते हैं।

 

एफर्मेशन

मैं आत्मा प्रेम से भरपूर हूं। मैं रहमदिल हूं। मैं सबके साथ एडजस्ट करती हूं… और वे जैसे हैं, उन्हें वैसे ही एक्सेप्ट करती हूं। मैं बिना किसी शर्त के उन्हें प्यार देती हूं और स्वीकार करती हूं...चाहे वे कोई हो और कैसा भी व्यवहार करते हों। एक्सपेक्टेशंस की जगह एक्सेप्टेंस मेरा नेचुरल स्वभाव है। मैं इस बात को समझती हूं कि मुझसे मिलने वाले लोगों के स्वभाव और गुण मुझसे अलग हो सकते हैं; कोई इमोशनली डिस्टर्ब हो सकता है…किसी से कोई छोटी या बड़ी गलती हो सकती है.. या वे किसी दुविधा में हो सकते हैं। जब मैं उनसे एक परिवार के सदस्य, मित्र या कलीग के रूप में बात करता हूं तो मैं उनके प्रति अपने थॉट्स और इमोशंस का ध्यान रखता हूं.. और मैं उन्हें भी पॉजिटिव, प्योर, नॉन जजमेंटल रखता हूं… मैं एक काउंसलर की तरह सामने वाले की भावनाओं को समझता हूं और सम्मान देता हूं.. उनके व्यवहार और शब्दों का मुझ पर प्रभाव नहीं पड़ता … मैं समझता हूं कि वे मुझसे अलग हैं। मैं किसी को भी गलत या सही का लेबल देकर जज नहीं करता … नाही मैं अपनी एनर्जी उन्हें जज करने, क्रिटिसाइज करने और रिजेक्ट करने में वेस्ट करता हूं। हो सकता है कि वे जो भी कहते हैं या करते हैं, वो मेरे लिए सही न भी हो, पर ये उनकी सच्चाई है…और  उनके लिए वह सही हो सकता है। पर मैं ये थॉट क्रिएट नहीं करता कि, वे सही हैं या गलत हैं। मेरी यह एक्सेप्टेंस पॉजिटिव एनर्जी रेडिएट करती है और बदले में मुझे भी उनसे एक्सेप्टेंस ही मिलती है। इससे उनकी हीलिंग होती है…और वे मुझसे बातचीत करने में सहज महसूस करते हैं। मैं उनकी बात ध्यान से सुनता हूं…और उन्हें अपनी सलाह, निर्देश और अनुशासन; प्यार और सम्मान के साथ देता हूं।

 

इन एफर्मेशन को दोहराने से हम लोगों के लिए जजमेंटल नहीं होंगे। वे जैसे हैं, उन्हें वैसे ही स्वीकार करके, अपने रिश्तों को मजबूत बना सकेंगे और साथ ही अपनी भावनाओं के लिए उन्हें जिम्मेदार भी नहीं ठहराएंगे।

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