
कम बोलें, धीरे बोलें और मीठा बोलें
कम बोलना, धीरे बोलना और मीठा बोलना केवल एक कला नहीं, बल्कि प्रभावशाली कम्युनिकेशन की कुंजी है। जब हम शब्दों को सोच-समझकर बोलते हैं, तो वे सुनने वाले के दिल तक पहुंचते हैं।
January 17, 2024
किसी भी रिश्ते में दो या दो से अधिक लोग आपस में कनेक्टेड या रिलेटेड फील करते हैं। इसके अलावा, हम ये भी कह सकते हैं कि; जिस तरह से दो लोग आपस में बात करते हैं और व्यवहार करते हैं, इससे उनके आपसी रिश्तों को समझा जा सकता है। लेकिन स्पिरिचुअलिटी रिश्तों को और भी गहराई से देखती है जिसके अनुसार, रिलेशनशिप सिर्फ वो नहीं जो हम एक दूसरे से कहते हैं या करते हैं, बल्कि रिश्तों की सही परिभाषा है कि हम एक दूसरे के बारे में क्या सोचते हैं। स्पिरिचुअलिटी हमें सिखाती है कि रिश्तों में वर्ड्स और एक्शन में आने से पहले थॉट्स और फीलिंग्स का आदान प्रदान होता है।
रिश्ते हमारे जीवन की सबसे बड़ी पूंजी हैं और इनसे हमें खुशियां मिलती हैं। अपने रिश्तों को सफल बनाने के लिए और उनमें खुशियां अनुभव करने के लिए जरूरी है कि वे हमारे सही बिलीफ़ सिस्टम पर आधारित हों। अक्सर रिश्तों को लेकर हम सभी की एक गलत मान्यता होती है कि; रिश्तों का अर्थ माना सही तरह से बात करना और व्यवहार करना और ऐसा इसलिए है क्योंकि हम यही सोचते आए हैं कि दूसरे लोग हमारे बोलने और करने को ही देखते, समझते और जज करते हैं और यही वजह है कि हम अपने थॉट्स को इतना महत्व ही नहीं देते हैं। दरअसल हम यह जानते ही नहीं हैं कि पूरे दिन भर में हमारा मन कितने शक्तिशाली थॉट्स पैदा करता है जिनकी एनर्जी बहुत सूक्ष्म होती है और ये फास्ट गति से ट्रैवल करते हैं। इसलिए हमें ये ध्यान रखना चाहिए कि- जब भी हम किसी से इंटरेक्ट करते हैं तो जितना ध्यान हम अपने एक्शंस पर रखते हैं, उतना ही ध्यान हमें अपने थॉट्स पर भी रखना चाहिए। क्योंकि अगर हमारे थॉट्स नफरत, लालच, ईर्ष्या, पछतावा, स्वार्थ, अहंकार की नेगेटिव एनर्जी वाले हैं तो चाहे हम कितना ही पॉजिटिवली कार्य क्यूं न कर लें, न तो हम खुद संतुष्ट होंगे और न ही दूसरों को संतुष्ट कर पाएंगे। हमारे सभी रिश्तों में, हमारे थॉट्स के वाइब्रेशंस का प्रभाव, हमारे एक्शंस से कहीं ज्यादा पड़ता है। इसलिए हमें अपने रिश्तों में अपनी इनर इंटेंशन्स को महत्व देना चाहिए, जिससे हमारे रिश्तों में ट्रांसपेरेंसी बनी रहे। आने वाले दो दिनों के संदेश में; हम कुछ सामान्य उदाहरणों के द्वारा रिश्तों में थॉट्स एनर्जी के महत्व को और अधिक गहराई से समझने की कोशिश करेंगे।
(कल भी जारी रहेगा)
कम बोलना, धीरे बोलना और मीठा बोलना केवल एक कला नहीं, बल्कि प्रभावशाली कम्युनिकेशन की कुंजी है। जब हम शब्दों को सोच-समझकर बोलते हैं, तो वे सुनने वाले के दिल तक पहुंचते हैं।
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