रिश्तों में थॉट एनर्जी का महत्व (भाग 2)

January 18, 2024

रिश्तों में थॉट एनर्जी का महत्व (भाग 2)

कभी-कभी पति-पत्नी का रिश्ता रेत के उस महल की तरह होता है, जो बाहर से देखने में तो बहुत सुंदर लगता है, पर कमज़ोर नींव के चलते किसी भी समय गिर सकता है और ऐसा अक्सर तब होता है जब उनकी आपसी ओपिनियन, पर्सनेलिटीज और लाइफस्टाइल में तालमेल नहीं होता है। ऐसे रिश्तों में, बाहरी तौर पर तो सबकुछ ठीक लगता है क्योंकि दोनों ही पार्टनर्स में; एक दूसरे को स्वीकार करने की, भरोसा करने की, आपसी समझ की और बातों को लेट गो करने की एनर्जी; उनके बोल चाल और व्यवहार में दिखाई देती है, पर अगर रिश्ते की नींव ही मजबूत नहीं है तो ये कभी भी गिर सकता है। क्योंकि इस नींव की बुनियाद है; दोनों के मन में चलने वाले थॉट्स और फीलिंग्स। अक्सर दोनों के मन अपेक्षाएँ, अस्वीकृति, अविश्वास, गलतफहमियाँ, स्वामित्व और संदेह जैसे नेगेटिव इमोशंस से भरे होते हैं। और ये नेगेटिव इमोशंस पॉजिटिव इमोशंस के साथ उनके कार्यव्यवहार में भी दिखते हैं। लेकिन उन्हें लगता है कि, वे अपनी तरफ से इस रिश्ते को बेस्ट और पॉजिटिव कंट्रीब्यूशन दे रहे हैं, फिर वे यही आशा सामने वाले पार्टनर से भी रखते हैं जोकि कभी-कभी पूरी नहीं होती, जिससे उनके रिश्तों में समस्याएं और बढ़ जाती हैं। इसके अलावा, उन्हें अपने अंदर चल रहे नेगेटिव इमोशंस का भी पता नहीं होता है, जोकि एक पावरफुल फोर्स के साथ- साथ, उनके पॉजिटिव कंट्रीब्यूशन के विपरीत कार्य करता है। और फिर नेगेटिव इमोशंस धीरे-धीरे रिश्ते के किले को कमज़ोर करते रहते हैं जिसकी वजह से वो कभी भी टूट सकता है। 

 

एक दूसरा उदाहरण कॉरपोरेट वर्ल्ड से लेते हैं जहां किसी भी अच्छे कॉरपोरेट आर्गेनाइजेशन को प्रॉफिट, रेवेन्यू और जॉब जैसे बाहरी उद्देश्यों को पूरा करने के अलावा, अपनी आर्गेनाइजेशन में प्रेम और खुशी से भरपूर प्रॉब्लमफ्री माहौल बनाना होता है। क्योंकि ये सभी कारक किसी भी आर्गेनाइजेशन के बाहरी उद्देश्य को पूरा करने में भी मदद करते हैं। स्पिरिचुअल के पहले सिद्धांत के अनुसार; किसी भी आर्गेनाइजेशन का लीडर, सीईओ या मैनेजिंग डायरेक्टर उस आर्गेनाइजेशन के बीज के समान होता है। उसका हर एक थॉट न सिर्फ आर्गेनाइजेशन के हर एक कर्मचारी तक पहुंचता है बल्कि पूरी आर्गेनाइजेशन पर अपना प्रभाव डालता है। स्पिरिचुएलिटी का दूसरा सिद्धान्त कहता है कि- आर्गेनाइजेशन के लीडर की इंटरनल रूलिंग और कंट्रोलिंग पावर का सीधा-सीधा संबध, उसके आर्गेनाइजेशन के लोगों को हैंडल करने की पावर पर होता है। अगर लीडर का मन वेस्ट और नेगेटिव थॉट्स से भरा हुआ है या यूं कहें कि, उसके मन में शांति, प्रेम और खुशी के थॉट्स नहीं है तो पहले स्पिरिचुअल सिद्धांत के अनुसार; उसके ये वाइब्रेशंस उन सभी लोगों तक पहुंचते हैं जो उसके साथ काम करते हैं। साथ ही, ऐसे लीडर के अंदर रूलिंग और कंट्रोलिंग पावर कम होने के कारण, हैंडलिंग पावर भी ऑटोमेटिकली कम होती है। और इन दोनों सिद्धांतों के आधार पर; ऐसा लीडर अपनी आर्गेनाइजेशन में एक पॉजिटिव एनवायरनमेंट क्रिएट करने में सफल नहीं हो पाता है।

(कल भी जारी रहेगा)

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