
दूसरों को देने वाले बनें (भाग 2)
क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।
March 30, 2024
यदि हम किसी से भी पूछें कि, उन्हें क्या लगता है कि, किस व्यक्ति ने उन्हें जीवन में सबसे ज्यादा दुख दिया है? तो अधिकतर लोग ऐसे व्यक्ति के बारे मे इशारा करेंगे; जिन्हें वे प्यार करते हैं या बहुत प्यार करते थे। पर क्या कभी आपने इस बात को गहराई से सोचा है कि, ऐसा क्यूँ है? ऐसा इसलिए होता है क्यूंकि, हम सभी इस बात को मानते आए हैं कि – प्यार की एनर्जी बाहर से फ्लो होकर, हमारे अंदर प्यार का अनुभव करने की हमारी अंदरूनी चाहत को पूरा करती है। अपनी इस जरूरत को पूरा करने के लिए, हम खुद को दूसरों से अटैच करते हैं और किसी एक ऐसे व्यक्ति से खुद को जोड़ लेते हैं जिसे हम बहुत प्यार करते हैं और ये विश्वास करते हैं कि, वो हमें अपने प्यार से भर देगा और इससे हम स्वयं को मजबूत, भरपूर और संतुष्ट महसूस करेंगे। लेकिन इसके चलते हम दूसरों पर निर्भर होने लगते हैं और अक्सर हम सभी ने देखा है कि जब ऐसा नहीं होता, तो हम दुखी हो जाते हैं। सच्चाई यह है कि – प्यार एक एनर्जी है, जो हम सभी के अंदर मौजूद है और वो हमेशा अंदर से बाहर की ओर फ्लो करके सामने वाले तक पहुंचती है और उन्हें लाभ पहुंचाती है। यह कभी भी बाहर से अंदर की ओर नहीं आती है।
यदि हम प्यार की एनर्जी के फ्लो को रिवर्स यानि कि, बाहर से अंदर की ओर लाने की कोशिश करेंगे, तब हम प्यार के लिए बाहर यानि दूसरों के ऊपर निर्भर करना शुरू कर देंगे। इसका एक वैक्यूमिंग इफेक्ट होता है; जिस प्रकार अपने लिविंग रूम को साफ़ करने के लिए जब हम वैक्यूम यूज़ करते हैं, तो वो वैक्यूम अच्छी और बुरी; दोनों ही चीजों को एब्जार्ब कर लेता है। अगर हमने छोटी सी, लेकिन बहुत जरूरी और कीमती चीज कार्पेट पर गिरा दी, तो वैक्यूम क्लीनर उसे भी गंदगी (जिसकी हमारे लिए कोई वैल्यू नहीं है और उसे हम घर के अंदर नहीं चाहते) यानि धूल के साथ एब्जार्ब कर लेगा। ऐसे ही, जब हम इमोशनल लेवल पर वैक्यूमिंग इफेक्ट के साथ रहते हैं, तो हम जिस किसी भी व्यक्ति से प्यार करते हैं तो न सिर्फ उनके प्यार, देखभाल, कंसर्न, गुणों, शक्तियों, विशेषताओं आदि की एनर्जी को एब्जॉर्ब करते हैं, बल्कि उनकी कमजोरियों, चिंताओ, डर आदि की नेगेटिव एनर्जी भी एब्जॉर्ब कर लेते हैं। और इस तरह से एक डिपेंडेंसी क्रिएट होती है जोकि हमारे लिए प्रतिकूल दिशा में काम करती है जिससे इमोशनल पेन पैदा होता है। परंतु इसका मतलब ये बिल्कुल भी नहीं है कि, हम दूसरों का प्यार स्वीकारना ही बंद कर दें, लेकिन अब हम अपनी खुशियों और इनर वेल बीइंग के लिए दूसरों के प्यार पर निर्भर नहीं करते हैं। साथ ही साथ, जब हम सबको प्यार देते हैं, उसकी एनर्जी रेडिएट करते हैं तो सबसे पहले स्वयं हम उसका अनुभव करते हैं। और यही तो हम चाहते हैं – प्यार का अनुभव, है ना?
क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।
क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।
क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।
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