सही-गलत के अंतर को विवेकपूर्ण ढंग से परखना

July 27, 2024

सही-गलत के अंतर को विवेकपूर्ण ढंग से परखना

आज के समय में चीज़ों की क़द्र करना और उन्हें अपना समझना अच्छा और सामान्य माना जाता है, जिसे भविष्य की सुरक्षा के रूप में देखा जाता है। लेकिन समय दिखाता है कि, सच्ची सुरक्षा केवल ईमानदार इरादों और सम्मानजनक कार्यों से ही मिलती है। इसके विपरीत, इच्छाएं और डर; हमें ऐसे विश्वासों को अपनाने पर मजबूर कर सकते हैं जो हमें कभी भी वास्तविक ख़ुशी की ओर कभी नहीं ले जा सकते।

 

अंतर कर पाना या परखने की क्षमता का अर्थ है: सही-गलत और सत्य-असत्य में भेद कर पाना। हम इस क्षमता का उपयोग अपने संस्कारों, विश्वास प्रणालियों और व्यवहारों का भेद करने के लिए कर सकते हैं। जब हम विवेकशील तरीके से अपने आप का भेद कर पाते हैं, तो हम इस क्षमता का उपयोग; दूसरों और परिस्थितियों का भेद करने के लिए भी कर सकते हैं। आजकल, हम में से अधिकांश लोग जानकारी के आधार पर, लोगों की राय या समाज में प्रचलित मान्यताओं के आधार पर भेद करते हैं। एक और आम तरीका है तर्क यानि कि लॉजिक के अनुसार परखना। लेकिन ये हम सभी का अनुभव है कि तर्क हमेशा सही साबित नहीं होता।

 

जब हम अंतर्मुखी होकर, आंतरिक मौन का अनुभव करते हैं, तब ही अवचेतन या सहज मन से जुड़कर विवेकपूर्ण तरीके से अंतर कर सकते हैं। परखने व विवेक करने की क्षमता का अर्थ है अपने उच्चतम और शुद्धतम स्व (सेल्फ) पर विश्वास करना, भले ही हमें विपरीत विचारों का सामना करना पड़े या जीवन की विभिन्न परिस्थितियों में सही और गलत धारणाएं उत्पन्न हों। ऐसे में हमें अपने आप से पूछना चाहिए- क्या मैं सही सोच रहा हूँ… मेरे कर्म का परिणाम क्या होगा… क्या यह मेरी आत्मा की शक्ति बढ़ा रहा है? हम अक्सर दूसरों के व्यवहार के बारे में आलोचनात्मक या निर्णयात्मक हो जाते हैं। ऐसे में परखने की शक्ति, हमें उनके संस्कारों का विश्लेषण करने में मदद करती है, जो उस व्यवहार को प्रेरित करते हैं। इससे हमें उनके साथ सहानुभूति रखने और अपनी आंतरिक शांति के साथ प्रतिक्रिया देने में मदद करती है, बजाय उनकी नकारात्मकता पर प्रतिक्रिया करना। यह क्षमता हमें शांत रहने और सही प्रतिक्रिया चुनने में मदद करती है, भले ही कोई और वैसा न भी हो। 

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