सही तरीके से कार्य करने का चुनाव करें (भाग 2)

October 28, 2023

सही तरीके से कार्य करने का चुनाव करें (भाग 2)

  1. हमारे जीवन में अच्छे कार्य और बुरे कार्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। हमने अपने जीवन में जितने अधिक सकारात्मक और अच्छे कार्य किए होंगे, हम उतना ही अधिक खुश और हल्का महसूस करेंगे। इसलिए, अक्सर जो लोग जीवन से नाखुश या असंतुष्ट होते हैं, उन्होंने  अपने इस जीवन में या फिर पिछले जन्मों में कुछ बुरे कर्म किए होंगे जिनका ये परिणाम है। साथ ही, हम जितना अधिक सकारात्मक कार्य करते हैं, उतना ही अधिक हम इस दुनिया में परमात्मा द्वारा बताए गए सच्चे धर्म और कर्त्तव्य के आधार पर भलाई फैलाने का महत्वपूर्ण माध्यम बनेंगे। तो हमें स्वयं से यह सवाल करने की जरूरत है कि, क्या हम अपना जीवन केवल अपने लिए जीते हैं या फिर इस उद्देश्य के साथ कि – अच्छे बनकर अच्छाई फैलाओ, सकारात्मक रहकर सकारात्मकता फैलाओ!! सकारात्मकता कभी भी छुप नहीं सकती और हमें इसे दूसरों के साथ शेयर करना चाहिए। यह एक सुंदर लाभ की तरह है। दूसरी ओर बुरे कार्य हमें समाज में, हमारी स्वयं की नजरों में और परमात्मा की नजरों में हमारा सम्मान खो देते हैं, क्योंकि हम लोगों को अच्छाई के बजाय नकारात्मकता की ओर प्रेरित करते हैं।
  2. अच्छे कर्म ही संसार के ओरिजनल कर्म हैं। जैसे-जैसे दुनिया पुरानी होती गई, वैसे वैसे  काम, क्रोध, अहंकार, लालच, मोह, घृणा, ईर्ष्या, बदले की भावना और कई अन्य नकारात्मक भावनाओं के माध्यम से, विभिन्न प्रकार की नकारात्मकता इस संसार में प्रचलित हो गई। परंतु दुनिया के आरंभ में; मूलतः उत्तम पुरुष और महिलाएं इन सभी नकारात्मक भावनाओं के प्रभाव में नहीं थे। इसीलिए दुनिया में कहावत है कि, परमात्मा ने मनुष्य को अपने जैसा बनाया। दुनिया में अच्छाई परमात्मा के स्वभाव का रिफ्लेक्शन है और आज की दुनिया में व्याप्त नकारात्मकता शैतान अथवा रावण का। और ये सब कुछ और नहीं बल्कि, हमारे अंदर की कमज़ोरियाँ हैं।

(कल भी जारी रहेगा…)

नज़दीकी राजयोग सेवाकेंद्र का पता पाने के लिए

[drts-directory-search directory="bk_locations" size="lg" cache="1" style="padding:15px; background-color:rgba(0,0,0,0.15); border-radius:4px;"]
18 June 2025 Soul Sustenance Hindi

दूसरों के साथ ऊर्जा के लेन-देन को बेहतर बनाएं (भाग 3)

हम हर दिन ऊर्जा का लेन‑देन करते हैं—विचार, भावनाएँ, कर्म। अगर इसमें आध्यात्मिक समझ और प्रेम शामिल करें, तो रिश्तों की गुणवत्ता सुधरती है। लेकिन अधिक लगाव से अपेक्षाएं बनती हैं, जो दुख और तनाव लाती हैं। सीखें संतुलन से जुड़े रहना।

Read More »