सहयोग करें, प्रतिस्पर्धा नहीं

June 24, 2024

सहयोग करें, प्रतिस्पर्धा नहीं

सच्चा सहयोग देना माना हर परिस्थिति में, हर किसी के साथ अपनेपन की भावना और सशक्तिकरण के इरादे के साथ अनकंडीशनली सपोर्ट करना। इससे हमारे विनम्रता, प्रेम, करुणा और सहानुभूति के रियल गुण शक्तिशाली होते हैं और अहंकार, ईर्ष्या, आक्रोश और प्रतिस्पर्धा जैसे नेगेटिव संस्कारों को समाप्त करने में मदद मिलती है। सहयोग की इस प्रक्रिया में अक्सर हमें कुछ करने की आवश्यकता नहीं होती है, बस खुद को शांत और स्थिर रखना होता है। हमारी यही वाईब्रेशन  हमारे आस-पास के लोगों को सहज बनाने और उन्हें एक सुंदर अनुभव प्रदान करने में सहायक होती हैं। इतना ही नहीं, हमारी वाईब्रेशन उनके जीवन में कठिन परिस्थितियां आने पर उनकी दिव्यता के इमर्ज होने में भी मदद करती हैं।


क्या आप जानते हैं कि सहयोग, प्रतिस्पर्धा के लिए एक तरह के एंटीडोट यानि न्यूट्रिलाइजर का कार्य करता है। हममें से कई लोग यही मानते आ रहे हैं कि यह जिंदगी एक कॉम्पिटिशन है, जिसमें कभी-कभी हम लोगों से आगे बढ़ने के लिए अपने नैतिक मूल्यों से भी समझौता कर लेते हैं और तनाव, क्रोध, ईर्ष्या और नफरत आदि के शिकार हो जाते हैं। इसलिए आइए, आज खुद से एक वादा करें और इसे आत्मसात भी करें कि हमारा किसी से कोई कॉम्पिटिशन नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति को अपने अतीत और वर्तमान में किए गए कर्मों का फल मिलता है और हर एक को वही मिल रहा है जो उनके लिए उचित है। हम अपनी उपलब्धियों को केवल खुद के रिफरेंस के अनुसार इम्प्रूव कर सकते हैं और बढ़ा सकते हैं नाकी किसी दूसरे के रिफरेंस के अनुसार। जब भी हम किसी की मदद करते हैं या सहयोग देते हैं तब हमें अत्यधिक संतुष्टि और संतोष का अनुभव होता है और हमारी आत्मा की शक्ति बढ़ती है। साथ ही, जिस व्यक्ति को हम सहयोग देते हैं उससे दुआएं भी मिलती हैं। दूसरी तरफ यदि हम अपने संस्कारों और आपसी राय में मतभेदों के चलते लोगों को अस्वीकार करते हैं तो हमारे प्यार, शेयर करने और केयर करने की एनर्जी ब्लॉक हो जाती है। इसके अलावा, जब भी सहयोग करें तो इसके पीछे की अपनी इंटेंशन को भी चेक करें कि कहीं हम किसी उम्मीद में तो नहीं हैं कि इसके बदले में हमें भी कुछ मिले। यदि ऐसा है तो आपके सहयोग की एनर्जी में लालच की एनर्जी की मिलावट हो जाती है। साथ ही, हमें ये भी चेक करना होगा कि हम जिसे सहयोग कर रहे हैं उससे खुद को श्रेष्ठ तो नहीं मान रहे या हमारी ईगो तो आड़े नहीं आ रही है। ईगो हमारी एनर्जी को दूषित कर देती है। जब हम अलग-अलग संस्कारों को शेरिंग और केयरिंग की भावना के साथ एडजस्ट और एक्सेप्ट करते हैं तो इस पूरे विश्व को अपनी प्योर वाईब्रेशन रेडीएट करते हैं। हमारे वाईब्रेशन विश्व की सामूहिक चेतना पर प्रभाव डालने में सक्षम होते हैं। क्योंकि जब हम बदलेंगे तब दुनिया बदलेगी और अधिक एकजुटता और सद्भाव से भरपूर हो जाएगी।

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