April 9, 2025

समय के साथ शांतिपूर्ण रहना (भाग 1)

हम सभी भावनात्मक स्वतंत्रता या एक शांतिपूर्ण मनःस्थिति की इच्छा रखते हैं, जहाँ हम स्वयं के साथ सहज हों और अपने आसपास की हर चीज़ से संतुष्ट महसूस करें। ऐसे क्षणों का स्वाद हम सभी ने चखा है और हमें पता है कि वे कितने सुखद और सुकून भरे होते हैं। लेकिन हम उन्हें बनाए नहीं रख पाते। हमारे जीवन की गुणवत्ता इस बात पर निर्भर करती है कि हम समय के तीन पहलुओं; अतीत, वर्तमान और भविष्य से कैसे निपटते हैं। हम समय के स्वामी बनकर जीते हैं या उसके शिकार, यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम अपने मन को किस पहलू पर केंद्रित करते हैं और अपनी भावनात्मक ऊर्जा कहाँ लगाते हैं। हमारे पास केवल वर्तमान क्षण ही हैं, और हमें इसे उपयोगी बनाना चाहिए। लेकिन अधिकतर समय हमारा मन वर्तमान में नहीं होता। यह या तो अतीत की घटनाओं में उलझा रहता है या भविष्य की कल्पनाएँ करता रहता है। अतीत की यादें और भविष्य की योजनाएँ महत्वपूर्ण हैं, लेकिन यदि हम या तो पीछे देखने या आगे सोचने में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि वर्तमान में जीना भूल जाते हैं, तो यह सही नहीं है और जीवन के किसी भी क्षेत्र में अच्छे परिणाम नहीं देता।

अतीत के बारे में सोचना उन दृश्यों को फिर से बनाने जैसा है जिन पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं है। वे केवल हमारी यादों में जीवित रहते हैं। जब कोई पुरानी याद सक्रिय होती है, तो उससे जुड़ी पूरी भावनात्मक ऊर्जा भी जागृत हो जाती है। फिर, हम एक याद से दूसरी और दूसरी से तीसरी में बह जाते हैं, जिससे भावनात्मक उतार-चढ़ाव का एक सिलसिला शुरू हो जाता है, जो हमारे समय और ऊर्जा को नष्ट करता है। हमें पता भी नहीं चलता कि अचानक हमारा मन क्यों अशांत हो जाता है? ऐसा इसलिए क्योंकि हमारे विचार अतीत में कहीं उलझ गए थे। भविष्य के बारे में सोचना हमारे मन की स्क्रीन पर उस दृश्य को चित्रित करने जैसा है, जिसे हम चाहते हैं या जिसकी हम अपेक्षा कर रहे हैं। लेकिन वह दृश्य वास्तविकता बनेगा या नहीं, यह हमें नहीं पता। लेकिन इन सभी कल्पनाओं का बोझ हमारे मन पर पड़ता है और इसकी ऊर्जा धीरे-धीरे खत्म होने लगती है। अतीत या भविष्य में उलझा हुआ मन वर्तमान को बर्बाद कर देता है। समय वास्तव में हमें नुकसान नहीं पहुँचाता। हमारा मन ही स्वयं को अतीत और भविष्य की जंजीरों में बाँध लेता है और अपने लिए दुःख पैदा करता है। यही वह समय होता है जब हम समय के दास बन जाते हैं। अगले भाग में हम यह जानेंगे कि समय के आयाम पर कैसे नियंत्रण पाया जाए।

(कल जारी रहेगा)

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