16th feb 2025 soul sustenence hindi

February 16, 2025

संबंधों को सुंदर बनाएं, अहंकार को त्यागें (भाग 2)

जब भी आप किसी व्यक्ति के संपर्क में आते हैं, तो यह सुनिश्चित करें कि आप स्वयं के प्रति सच्चे बने रहें, लेकिन साथ ही दूसरे व्यक्ति को उनकी स्वतंत्रता भी दें। इसका अर्थ यह है कि उन्हें अपने तरीके से एक्सप्रेस करने दें, न कि जिस तरह से आप चाहते हैं, वे उस तरह से एक्ट व एक्सप्रेस करें। उन्हें कठपुतली की तरह नियंत्रित करने की आवश्यकता नहीं है। उन्हें बताएं, मार्गदर्शन दें, लेकिन साथ ही अपने विचारों, दृष्टिकोण, गुणों और संस्कारों के लगाव को छोड़ने के लिए भी तैयार रहें, जिन्हें आप सही और परिपूर्ण मानते हैं।  इसके अलावा, जब आवश्यक हो, तो अपने विचारों की बजाय दूसरे व्यक्ति के विचारों को स्वीकार करने की क्षमता विकसित करें। कई लोगों के लिए यह सबसे कठिन कार्य होता है और इसके लिए आध्यात्मिक शक्ति और बहुत अधिक प्रेम की आवश्यकता होती है। साथ ही, हमें विनम्रता और संतोष जैसे गुणों की आवश्यकता होती है, जो आपके घरवालों, मित्र संबंधियों, अपने बच्चे के साथ या अपने बॉस के साथ, किसी दोस्त के साथ या अपने जीवनसाथी के साथ जैसे किसी भी रिश्ते के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।  

 

क्या आप जानते हैं कि किसी भी बात या परिस्थिति में अपने आत्म-सम्मान को बनाए रखना और साथ ही उनमें दूसरों के विचारों का भी योगदान करने देना, इन दोनों के बीच एक बहुत महीन रेखा होती है। हमें अपने विचारों की दीवारों को गिराने कि मैं ही सही हूं, और दूसरों को अपने सोचने की प्रक्रिया में शामिल करने की अनुमति देनी चाहिए। कई बार हम डर के कारण अपने विचारों में किसी को प्रवेश नहीं करने देते, क्योंकि हमें लगता है कि दूसरा व्यक्ति हमारे स्थान पर हावी हो सकता है। याद रखें, जो लोग झुकना जानते हैं और दूसरों के विचारों को उतना ही सम्मान देते हैं जितना अपने विचारों को, वे ही वास्तव में सभी के दिलों पर राज करते हैं। लोग शक्ति से नियंत्रित नहीं होते, बल्कि प्रेम और सम्मान से उनका दिल जीता जाता है। और यह तब संभव होता है जब हम न केवल शारीरिक रूप से, बल्कि विचारों और भावनाओं के स्तर पर भी दूसरों को आगे रखते हैं।

(कल जारी रहेगा)

18 march 2025 soul sustenance hindi

नकारात्मक विचारों को आध्यात्मिक शक्ति से बदलना (भाग 3)

आंतरिक शक्ति विकसित करने के लिए दृढ़ संकल्प और सकारात्मक सोच जरूरी है। जानिए कैसे संस्कार बदलकर, मेडिटेशन और ईश्वर से जुड़कर अपनी आत्मशक्ति को मजबूत बनाएं।

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