25th aug 2024 soul sustenence hindi

August 25, 2024

संबंधों में सामंजस्य बनाए रखने की ज़िम्मेदारी लेना

जब भी किसी संबंध में कोई संघर्ष हो, तो समस्या न तो उस व्यक्ति के साथ होती है और न ही हमारे बीच होती है। बल्कि संघर्ष हमारे मन में होता है और हमारी उस व्यक्ति के बारे में सोच से होता है जैसे कि- उन्हें दोष देना, उनका विरोध करना या उन्हें अस्वीकार करना। हम मानते हैं कि संघर्ष हम दोनों ने क्रिएट किया है, इसलिए उसे हल करने के लिए भी हम दोनों ही जिम्मेदार हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि यदि, हम में से एक भी व्यक्ति दूसरे के लिए अच्छी सोच रखता है, तो संघर्ष कम होने लगता है। जब भी आपका किसी से मतभेद होता है, तो क्या आप आहत या क्रोधित हो जाते हैं और उनसे यह अपेक्षा करते हैं कि वे सामंजस्य बहाल करने के लिए कदम उठाएं? या फिर आप स्वेच्छा से इसे पहले की तरह, सौहार्दपूर्ण शर्तों पर वापस लाने के लिए पहल करते हैं? या फिर आप यह मानते हैं कि चूंकि संघर्ष आप दोनों ने शुरू किया था, इसलिए इसे ठीक करने के लिए भी आप दोनों की आवश्यकता है? अक्सर एक संबंध तब टूटने लगता है, जब एक व्यक्ति दूसरे के लिए नकारात्मक रूप से सोचने लगता है। हमारे शब्द और व्यवहार बिल्कुल सही हो सकते हैं, लेकिन नकारात्मक सोच की तरंगें, संबंध की नींव को प्रभावित करती हैं, आंतरिक तनाव उत्पन्न करती हैं और इसे संघर्ष में बदल देती हैं। एक संघर्षित संबंध (conflicted relationship) को ठीक करने के लिए केवल किसी एक व्यक्ति की ज़रूरत होती है। तो आइये, हम वही व्यक्ति बनते हैं। यह मायने नहीं रखता कि, समस्या का कारण कोई एक था या हम दोनों थे। यह भी मायने नहीं रखता कि, ऊर्जा का आदान-प्रदान कितना नकारात्मक रहा है। जब हममें से एक व्यक्ति दूसरे के लिए सकारात्मक और शुद्ध सोच रखना शुरू करता है, तो हमारी तरंगें फैलती हैं और उनके विचार प्रक्रिया को भी बदल देती हैं। और एक बार जब वे ठीक हो जाते हैं, तो संघर्ष समाप्त हो जाता है और सामंजस्य स्थापित हो जाता है। किसी भी संघर्षित संबंध को ठीक करने की ज़िम्मेदारी लें। अतीत को छोड़ दें, उन्हें माफ कर दें और उन लोगों के लिए शुद्ध और सुंदर विचार रखें। उनके लिए अपनी सोच बदलें ताकि संबंधों की ऊर्जा बदल सके।

 

यदि आप सभी के साथ अच्छे संबंध रखते हैं तो आपके संबंध खुशी और सामंजस्य का स्रोत हैं। और यदि कोई मतभेद या असहमति है भी, तो संघर्ष से दूर रहें। भले ही आप दूसरे व्यक्ति के दृष्टिकोण को समझ नहीं पा रहे हों, यह जान लें कि उनके लिए उस समय जो वे कह रहे हैं या कर रहे हैं, वही सही है। सही या श्रेष्ठ होने के अहंकार से ऊपर उठकर, सामंजस्य को प्राथमिकता दें और ईमानदारी से संघर्ष को हल करने का प्रयास करें। दूसरे व्यक्ति के आपको ठीक करने की प्रतीक्षा न करें, वे पीड़ा में हो सकते हैं, वे आपको नकारात्मक ऊर्जा भेज सकते हैं, लेकिन आप स्थिर हैं और उनकी नकारात्मकता का सामना अपनी देखभाल और शक्तिशाली प्रेम की तरंगों से करें। अपनी ओर से प्रेम की ऊर्जा को प्रवाहित करते रहें, सामंजस्यपूर्ण विचार उत्पन्न करें और अपने संबंधों को आदर्श स्थिति में देखें। अपनी शुद्ध तरंगें फैलाएं ताकि वे भी अपनी भावनात्मक फ़्रीक्वेन्सि को बढ़ा सकें और इसे आपके जैसी सकारात्मक और शुद्ध बना सकें।

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