June 21, 2025

सराहे जाने और आलोचना किए जाने पर स्टेबल रहें

अगर किसी के तारीफ करने से हमारा अहंकार बढ़ता है, तो आलोचना होने पर हमें दुख ज़रूर होगा। आध्यात्मिक ज्ञान हमें सिखाता है कि हम बस अपने कर्म पर ध्यान दें — न तारीफ से खुश हों, न आलोचना से दुखी। आइए इससे जुड़ी बातों को जानें: 

  1. अपनी पहले रिएक्शन पर ध्यान दें: जब कोई आपकी तारीफ करता है, तो क्या आप बहुत खुश हो जाते हैं? और जब कोई आलोचना करता है, तो क्या आप सफाई देने लगते हैं या गुस्सा करते हैं? अगर हाँ, तो अगली बार जब ऐसा कुछ हो, तो तुरंत प्रतिक्रिया न दें — थोड़ा रुकें और सोच-समझकर स्थिरता से जवाब दें।
  1. विनम्र बनें और खुद को परमात्मा का माध्यम समझें: दिल से जुड़े रहें, लेकिन भावनाओं में बहें नहीं। हर कार्य को यह सोचकर करें कि हर व्यक्ति की सोच अलग होती है।
  1. तारीफ से बहुत अधिक प्रभावित न हों: तारीफ केवल सामने वाले की सोच, उसकी अच्छी भावना और बड़ा दिल दिखाता है। तारीफ मिलने पर उसे धन्यवाद दें, और उस प्रशंसा को परमात्मा को अर्पित कर दें और यह मानें कि आपने सिर्फ एक माध्यम बनकर वह अच्छा कार्य किया है।
  1. अगर तारीफ में स्थिर रहना सीख गए, तो आलोचना को भी गरिमा से झेल पाएँगे: आलोचना करने वाला सिर्फ अपनी सोच, मनःस्थिति और स्वभाव दिखा रहा है। उसके साथ जुड़ी भावनात्मक ऊर्जा से खुद को अलग करें। फीडबैक को समझें — अगर कुछ सुधार की ज़रूरत हो तो करें, नहीं तो पूरी तरह छोड़ दें। खुद का और सामने वाले का सम्मान बनाए रखें और मन से शांत बने रहें।
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