स्थाई खुशी को स्वभाव में लाएं

May 29, 2024

स्थाई खुशी को स्वभाव में लाएं

खुशी; हमारे जीवन के सबसे महत्वपूर्ण और डिफाइन (परिभाषित) गुणों में से एक है। हम सभी अपने जीवन में हर समय खुश रहना चाहते हैं और किसी भी पल उसे खोना नहीं चाहते। क्योंकि मनुष्य जीवन में ख़ुश रहने से ज़्यादा महत्वपूर्ण कुछ भी नहीं है। ये हमारी सबसे पहली प्राथमिकता है। लेकिन साथ में हम ये भी महसूस करते हैं कि, खुशियां स्थाई नहीं होती हैं और ये बहुत आसानी से आती और चली जाती हैं। ऐसा इसलिए है क्यूंकि, आज संसार में अधिकतर लोगों के लिए खुशियां बाहरी फैक्टर्स पर डिपेंड करती हैं और वर्तमान समय में ये लगातार बदलते रहते हैं और उनमें कुछ न कुछ उतार-चढ़ाव होता ही रहता है। इसलिए कुछ लोगों का मानना है कि, शाश्वत रूप से खुशी कभी भी स्थिर और स्थाई नहीं रही है और संसार में कभी ऐसा समय आया ही नहीं जब खुशी स्थाई रही हो। लेकिन ये सच्चाई नहीं है क्यूंकि परमात्मा; खुशी और आनंद के सागर हैं और उनके वायब्रेशन, वाणी और कर्मों से बनी ओरिजिनल दुनिया, खुशी और सुख से भरपूर थी जिसमें किसी भी प्रकार का कोई दुख होता ही नहीं।

 

अंततः, हमें ये समझने की जरूरत है कि ख़ुशी की दुनिया के हमारे मूल संस्कार जिसमें हम सभी रहते थे वे स्थाई खुशी के थे नाकि अस्थायी। एक और बात जिसे हम सभी को समझने की जरूरत है कि भले ही खुशी की दुनिया में हर चीज प्योर और परफेक्ट थी, लेकिन हमारी खुशी हमारी आंतरिक आत्मा की संतुष्टि पर निर्भर थी न कि बाहरी किसी चीज पर। बाहर की हर चीज माना हमारी शारीरिक सुंदरता, हमारे रिश्ते नाते, हमारी भूमिकाएं, हमारा स्वास्थ्य, हमारी अपार सम्पत्ति और प्रकृति द्वारा दिए गए सुंदर उपहार; जिन्हें हम  प्यार करते थे और उसका आनंद भी लेते थे। लेकिन हमारी खुशी उन पर निर्भर नहीं थी। और आज के समय में जरूरी है कि, बाहरी दुनिया में भले कुछ भी हो रहा हो, अनकंडीशनली खुश रहने के संस्कारों से स्वयं को भरपूर करें। ऐसा इसलिए क्यूंकि, आज की यह वर्तमान दुनिया कुछ और वर्षों के बाद, स्थाई खुशी के युग यानि कि सतयुग में प्रवेश करेगी, जिसे स्वयं परमात्मा फिर से रच रहे हैं और हम सभी इसका हिस्सा होंगे। और हम सभी अपने वर्तमान संस्कारों से ही सुंदर भविष्य बनाएंगे।

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