
रिश्तों में पीड़ा से मुक्त होने का अनुभव (भाग 1)
रिश्तों में पीड़ा से मुक्त होना सीखें! निःस्वार्थ प्रेम अपनाएं, भावनात्मक संतुलन बनाए रखें और गहरे आध्यात्मिक संबंधों का अनुभव करें। 🌸
October 26, 2024
जब हम शारीरिक रूप से अस्वस्थ होते हैं, तो अधिकतर या तो हम घबरा जाते हैं या फिर परेशान हो जाते हैं। हम बार-बार केवल बीमारी के बारे में ही सोचते और बात करते हैं। और क्योंकि मन और शरीर का आपस में गहरा संबंध है, इसलिए हमारी हर सोच हमारे शरीर की हर कोशिका को प्रभावित करती है। हमारी सोच हमें ठीक भी कर सकती है या नुकसान भी पहुँचा सकती है। क्या आप जानते हैं कि बीमारी के विचार हमें और अधिक बीमार बना देते हैं। बार-बार स्वास्थ्य के विचार एक स्वस्थ शरीर को प्रकट करते हैं। एक मिनट का ब्रेक लें और शारीरिक बीमारी पर अपनी प्रतिक्रिया के बारे में सोचें। क्या बीमार होना आपको ज़रूरत से ज़्यादा सोचने पर मजबूर करता है? क्या आप सवाल करते हैं कि ऐसा क्यों हुआ, यह आपके साथ कैसे हो सकता है? क्या शारीरिक स्वास्थ्य की पूर्णता न होने के विचार आपको परेशान करते हैं? चिकित्सा विज्ञान ने स्पष्ट रूप से सिद्ध कर दिया है कि हमारी भावनात्मक स्थिति हमारे शारीरिक स्वास्थ्य के स्तर को निर्धारित करने में बड़ी भूमिका निभाती है। इसका मतलब है कि किसी मौजूदा बीमारी के बारे में चिंता, तनाव, दर्द या भय उसे और बढ़ा देगा। शरीर को स्वास्थ्य की ऊर्जा देने से उपचार में मदद मिलती है। इसलिए हमें बीमारी को स्वीकार करने की जरूरत है, स्वास्थ्य को बहाल करने पर ध्यान केंद्रित करना है और उपचार के अलावा शरीर को लगातार हीलिंग (स्वास्थ्यकारी) ऊर्जा भेजनी है। ऐसे विचारों के साथ हीलिंग, जैसे कि सबकुछ सही है, मेरा जीवन सुंदर है, मेरा शरीर स्वस्थ है। अपने मन की शक्ति को अनुकूलित करें ताकि आपके शरीर में पूर्ण स्वास्थ्य उत्पन्न हो सके। बीमारी के विचारों से पूर्ण उपचार की ओर शिफ्ट करें। खुद को याद दिलाएं – मैं अपने शरीर की हर स्थिति को स्वीकार करता/ करती हूँ और मेरा शरीर मुझे स्वीकार करता है। हमारी ऊर्जाएं सामंजस्य में हैं। मैं अपने मन से एक स्वस्थ शरीर का निर्माण करता/करती हूँ।
हर पल स्वयं को एक खुशहाल आत्मा के रूप में महसूस करना शुरू करें। आप अपने मन और शरीर के स्वामी हैं। अपने शरीर की हर कोशिका को खुशी और प्रेम की ऊर्जा भेजें और अपने शरीर की देखभाल करें। नियमित रूप से व्यायाम करें। अपने शरीर के लिए जो कुछ भी स्वस्थ है, वही खाएं और पिएं। यदि शरीर अस्वस्थ है, यदि कोई बीमारी है, दर्द है, तो यह जानें कि सही ढंग से कैसे सोचना है और अपनी बीमारी के बारे में चिंता न करें। अपने परिवार को चिंतित न होने दें। केवल सर्वोत्तम चिकित्सा और उपचार पर ही ध्यान केंद्रित न करें, अपने विचारों पर भी ध्यान दें और अपने विचारों द्वारा अपने शरीर को ठीक करें। अपने शारीरिक स्वास्थ्य के हर पहलू पर अपने मन, विश्वास, विचार, दृष्टिकोण और व्यवहार से नियंत्रण रखें। अपने शरीर के ठीक होने के लिए एक सकारात्मक माहौल बनाएं, खुश रहें और केवल आराम और हीलिंग के विचार फैलाएं। बार-बार सोचें, बोलें और कल्पना करें- मैं पूरी तरह स्वस्थ हूँ…मेरे शरीर की हर कोशिका आराम कर रही है…हर अंग अपनी परफेक्ट स्टेट में काम कर रहा है…सभी पैरामीटर सामान्य हैं…मेरा शरीर इलाज को रिस्पॉन्ड कर रहा है… मेरी दवाइयाँ मुझे केवल बेहतर स्वास्थ्य दे रही हैं नाही कोई साइड-इफेक्ट … मुझे कोई असुविधा नहीं है… मैं ठीक हो गया हूँ… मेरी रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतरीन है…मैं अच्छा महसूस कर रहा हूँ, आदि।
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