थॉट वाईब्रेशन और उनका महत्व

July 14, 2024

थॉट वाईब्रेशन और उनका महत्व

क्या आप जानते हैं कि एटमॉसफियर यानि कि वायुमंडल शब्द के दो अर्थ होते हैं; एक हमारे चारों ओर मौजूद फिजिकल हवा से है और दूसरा उससे भी अधिक सूक्ष्म प्रभावों से है जो विचारों के वाईब्रेशन द्वारा एक विशेष स्थान में क्रिएट होते है। इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि  एक भीड़ भरे रेस्तरां का वायुमंडल एक मंदिर के वायुमंडल से अलग होता है। ऐसा मुख्यतः उस स्थान पर, अलग-अलग विचारों और भावनाओं के प्रभाव से होता है। यहां तक कि जो व्यक्ति देख या सुन नहीं सकता, उसमें भी इस अन्तर को समझने की क्षमता होती है। विचारों और भावनाओं को देखा तो नहीं जा सकता है पर उनका नान-फिजिकल और फिजिकल प्रभाव कहीं अधिक शक्तिशाली होता है। भगदड़ या भूकंप के दौरान लोगों में जो भय और दर्द पैदा होता है और दूसरी तरफ क्रिकेट मैच में लोगों में जीतने की अपार खुशी पैदा होती है; ऐसे दो उदाहरण क्लियरली दर्शाते हैं कि किस प्रकार विचारों से वायुमंडल बनता है।

 

सूक्ष्म स्तर पर हम सभी ने सामान्य तौर पर टेलीपेथी का अनुभव किया है कि-मैं अभी आपके बारे में ही सोच रहा था और आपने मुझे कॉल किया या मैसेज किया। विचार दूर-दूर तक लोगों को जोड़ने का कार्य करते हैं। डॉक्टर हमें ये जानकारी देते हैं कि भौतिक शरीर में लगभग 90% बीमारियों की वज़ह साईकोसोमेटिक होती है। जिसका क्लीयर अर्थ है कि ये सब बीमारियाँ हमारे ही मन की दशा से डायरेक्टली या इनडायरेक्टली प्रभावित होती हैं। यह मानव शरीर को इस बात का जीता जागता उदाहरण बनाती हैं कि विचार किस प्रकार मैटर को प्रभावित करते हैं।


चूँकि ये संसार सभी व्यक्तियों के सामूहिक और निजी दुनिया से बना हुआ है, तो इस बात को आसानी से समझा जा सकता है कि संसार का सूक्ष्म वायुमंडल हम सभी के विचारों के सामूहिक प्रभावों से ज्यादा कुछ भी नहीं है।

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