08th nov 2024 soul sustenence hindi

November 8, 2024

विचारों और चित्रों का सूक्ष्म खेल (भाग 2)

आत्मा के विचारों और चित्रों की गुणवत्ता उसके संस्कारों पर निर्भर करती है। इसी के अनुसार, आत्मा विभिन्न प्रकार की सकारात्मक या नकारात्मक भावनाओं का अनुभव करती है। जब आत्मा पहली बार सोलवर्ल्ड से भौतिक रंगमंच पर अवतरित होती है, तब उसके संस्कार उच्च गुणवत्ता वाले होते हैं, उस समय विचार और चित्रों का यह खेल शुद्ध और सकारात्मक होता है, इसलिए आत्मा केवल शांति, प्रेम और आनंद जैसी सकारात्मक भावनाओं का ही अनुभव करती है। जैसे-जैसे आत्मा विभिन्न शारीरिक शरीरों के माध्यम से अलग-अलग भूमिकाएँ निभाती है और जन्म-मरण के चक्र में नीचे आती है, यह गुणवत्ता घटती जाती है, जिससे अशांति, घृणा और दु:ख जैसी भावनाओं का अनुभव होने लगता है।

 

एक महत्वपूर्ण बिंदु यह है कि किसी भी गहरी भावनात्मक अनुभूति, चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक, का मुख्य कारण उस विशेष भावना से संबंधित विचारों और चित्रों की एक साथ उत्पत्ति है, जैसेकि एक निकट संबंधी की मृत्यु की घटना को सोचने और उसे कल्पना में देखने से तुरन्त ही दु:ख की गहन अनुभूति होती है। इसी प्रकार बचपन में अपनी माँ द्वारा दिए गए प्यार भरे आलिंगन को सोचने और उसकी कल्पना करने से तुरन्त ही गहरा सुख अनुभव होता है। इन दोनों सूक्ष्म प्रक्रियाओं के बीच इस प्रकार का तालमेल ही वास्तविक एकाग्रता है। किसी भी प्रकार की आध्यात्मिक अनुभूति की कुंजी, इन दोनों प्रक्रियाओं को आध्यात्मिक रूप से सकारात्मक बनाना है। ब्रह्माकुमारीज में सिखाए जाने वाले राजयोग मेडिटेशन में, मन में आध्यात्मिक विचारों की प्रक्रिया और बुद्धि में आध्यात्मिक चित्रों की कल्पना की जाती है, जिसमें आत्मा और परमात्मा के बारे में सकारात्मक विचार और चित्र क्रिएट करके आत्मा के मूल गुण और परमात्मा के शाश्वत गुणों- शांति, आनंद, प्रेम, सुख, पवित्रता, शक्ति और सत्यता का अनुभव किया जाता है।

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05th dec 2024 soul sustenence hindi

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