08th oct 2024 soul sustenence hindi

October 8, 2024

विचारों पर नकारात्मक प्रभाव से ऊपर उठना (भाग 1)

हमारे मन द्वारा कई प्रकार के विचार उत्पन्न किए जाते हैं, जिनकी तीव्रता, जागते या सोते समय उनकी संख्या अलग-अलग होती है, या फिर किसी कार्य को करते समय या खाली बैठे हुए भी उनकी संख्या बदलती रहती है। इन विचारों में अपार क्षमता होती है, जो सकारात्मक या नकारात्मक दोनों ही हो सकती है। ये हमें सशक्त या कमजोर कर सकते हैं। और यह इस पर निर्भर करता है कि हम क्या सोचते हैं और कितना सोचते हैं?

 

हमारा मन एक जगह से दूसरी जगह भटकने की प्रवृत्ति रखता है। हमारे कई विचार संदेह, भय, असुरक्षा, चिढ़, चिंता, तुलना करने जैसी भावनाओं से भरे होते हैं; जो ईर्ष्या, नफरत, हीन भावना, अहंकार, इच्छाएँ, उत्साहहीनता, तनाव आदि जैसी भावनाओं को जन्म देते हैं। ये सभी विचार निरर्थक होते हैं और हमें कमजोर करते हैं। ये हमारी एकाग्रता को कमज़ोर करते हैं और साथ ही हमारी आंतरिक स्पष्टता को भी कम करते हैं। कभी-कभी हम अपने मन में कुछ प्रकार के विचारों को दोहराते रहते हैं। अधिकतर दोहराए जाने वाले ये विचार; नकारात्मक या व्यर्थ होते हैं और उपरोक्त भावनाओं से संबंधित होते हैं। यहाँ तक कि, कभी-कभी जरूरी विचार भी बार-बार दोहराए जाने से, अनावश्यक या व्यर्थ बन जाते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि हम श्रेष्ठ और एकाग्र तरीके से सोचें, कम सोचें और शक्तिशाली सोचें। इस प्रकार के विचारों में बहुत स्पष्टता, फोकस और आध्यात्मिक शक्ति होती है जिससे हमें उन्हें सफलतापूर्वक कार्यान्वित करने में मदद करती है। एक नकारात्मक या व्यर्थ विचार वा विचारों की श्रृंखला हमारी संतुष्टि और आध्यात्मिक जागरूकता की क्षमता को रोक सकती है और हमें दुखी कर सकती है। दूसरी ओर, एक सकारात्मक विचार या विचारों की श्रृंखला; हमारे आंतरिक स्व के आनंद और समृद्धि का अनुभव कराने की कुंजी हो सकती है। लेकिन आवश्यक है कि वह विचार शुद्ध, सशक्त, स्पष्ट और एकाग्र हो।

(कल जारी रहेगा…)

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