
रिश्तों में पीड़ा से मुक्त होने का अनुभव (भाग 1)
रिश्तों में पीड़ा से मुक्त होना सीखें! निःस्वार्थ प्रेम अपनाएं, भावनात्मक संतुलन बनाए रखें और गहरे आध्यात्मिक संबंधों का अनुभव करें। 🌸
October 9, 2024
एक महत्वपूर्ण पहलू जो हमें ध्यान केंद्रित करने के स्वस्थ और सकारात्मक अनुभव में बने रहने नहीं देता, वे हमारे जीवन में हम पर पड़ने वाले विभिन्न प्रकार के प्रभाव हैं। ये प्रभाव दो प्रकार के होते हैं: बाहरी प्रभाव और आंतरिक प्रभाव।
बाहरी प्रभावों में वे लोग आते हैं, जिनके संबंध संपर्क में हम अपने घर, कार्यस्थल, स्कूल या कॉलेज, बाज़ार, विभिन्न प्रकार की मीडिया आदि या अन्य कहीं भी आते हैं। ये लोग हमारे मित्र, माता-पिता, जीवनसाथी, शिक्षक, गुरु, डॉक्टर, पड़ोसी, ऑफिस के सहकर्मी, बॉस, वो अभिनेता या खिलाड़ी हैं जिनकी हम प्रशंसा करते हैं, यहाँ तक कि वे लोग जिनके बारे में हम दैनिक अख़बारों में पढ़ते हैं आदि। हम अपने जन्म से ही इन प्रभावों से अवगत होते आए हैं। ये प्रभाव केवल शारीरिक स्तर पर ही नहीं होते, बल्कि दूसरों की सूक्ष्म मानसिक तरंगों के स्तर पर भी हो सकते हैं। हम इनमें से कुछ या सारे लोगों से बातचीत करते हैं और समय बिताते हैं और जब भी हम ऐसा करते हैं, तो वे हमें शारीरिक स्तर पर सलाह या राय देते हैं, और हम सूक्ष्म, भावनात्मक ऊर्जा के स्तर पर भी उनसे प्रभावित होते हैं। उदाहरण के लिए, हम हर दिन अपने कार्यस्थल पर कई घंटे बिताते हैं। हम हमेशा अपने कार्यालय के प्रमुख से तो बातचीत नहीं कर सकते, लेकिन फिर भी उनका व्यक्तित्व कार्यालय में हर एक व्यक्ति को सूक्ष्म स्तर से प्रभावित करता है। कार्यालय का वातावरण मुख्य रूप से बॉस के व्यक्तित्व से प्रभावित होता है। इसी तरह, हम इस बात का ध्यान रख सकते हैं कि हम मीडिया के केवल सकारात्मक पहलुओं के संपर्क में आएं और नकारात्मक पक्ष को न सुनें, लेकिन मीडिया द्वारा प्राप्त होने वाली हिंसा, दुःख और अपवित्रता की खबरों के संपर्क में आने से हर जगह जो नकारात्मक वातावरण बन गया है, उसका प्रभाव सूक्ष्म स्तर पर हम पर अवश्य पड़ता है, भले ही हमें इसका एहसास न हो। जब हम गर्भ में होते हैं तब भी हमारे माता-पिता का प्रभाव हमारे ऊपर पड़ता है।
कल के संदेश में, हम आंतरिक प्रभावों के कई प्रकारों के बारे में जानेंगे।
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