जिंदगी की दौड़ में ना भागें…. प्रेजेंट मोमेंट को एंजॉय करें (भाग 4)

June 20, 2024

जिंदगी की दौड़ में ना भागें….प्रेजेंट मोमेंट को एंजॉय करें (भाग 4)

जब हम किसी चीज पर कार्य कर रहे हों, तो ये बहुत जरूरी है कि हम अपने मन को बैलेंस रखें। क्रोध, चिड़चिड़ापन, अहंकार या लालच के इमोशंस हमारे विचारों में असंतुलन पैदा कर सकते हैं। जब हम स्वयं में स्थित होते हैं और जीवन के साथ सहज होते हैं, तब हम किसी भी कार्य को पूरा करने की भरपूर एनर्जी महसूस करते हैं। अगर हम अपने प्रयासों को आसानी से बैलेंस करने में सक्षम हैं तो इसका अर्थ है कि हम अभी भी अपने लक्ष्यों की तरफ समान रूप से आकांक्षाओं के साथ बढ़ रहे हैं, लेकिन साथ ही जीवन के फ्लो का भी आनंद ले रहे हैं। जब हम इस बात को समझने लगते हैं कि जीवन में आनंद, स्वतंत्रता और खुशियां ही हमारे लिए सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हैं क्यूँकि ये हमारे लिए एक कंपास का कार्य करते हैं जिनकी मदद से हम अपने एफर्ट्स को अधिक शांति और संयम के साथ अपने लक्ष्यों की तरफ मोड़ सकते हैं। अपने ओरिजनल गुणों और सकारात्मक भावनाओं में स्थित रहने से, हमें अपने जीवन में सही निर्णय लेने में मदद मिलती है। और जब अपनी कोशिशों के साथ हम अपने लक्ष्य के प्रति कम लगाव रखते हैं, तब हम एक फ्लो महसूस करते हैं। ऐसे में आदर्श लोग, जगह और अवसर स्वत ही पैदा होते हैं, बिना किसी ऐसी महसूसता के कि इन सबके लिए बहुत अधिक प्रयास किया गया है। हालांकि, लोगों को ये सफलता दिख भी सकती है और नहीं भी, पर हमें ये महसूसता होने लगती है कि हमारे लिए ये एक्यूरेट है।

 

मेडिटेशन और डिटैच रहने का अभ्यास हमें सोल कांशियस बने रहने में मदद करता है और डूइंग (कर्ता) के ऊपर बीइंग (स्व) की महसूसता कराता है। हमारे लिए अपना स्वास्थ्य, आंतरिक खुशहाली और सफलता के सही मायने; किसी भी जॉब, सैलरी, डिग्री या अन्य किसी की राय से ज़्यादा मह्त्व रखते हैं। हम अपनी अवेयरनेस में स्थित रहकर शांति और खुशी की स्थिति बना सकते हैं, जहां उम्मीदों के तूफान को नियंत्रित किया जा सकता है। और साथ ही हम अपनी अधूरी जरूरतों से परेशान भी नहीं होते और सबसे सामान्य अनुभव भी हमारे लिए सुखद बन जाते हैं।

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