कर्म करते हुए आत्मिक स्थिति में रहने का अभ्यास (पार्ट 1)

March 15, 2024

कर्म करते हुए आत्मिक स्थिति में रहने का अभ्यास (पार्ट 1)

हम सभी के जीवन में, पूरे दिनभर कई सारे एक्शन होते रहते हैं, जो अपने आप में महत्वपूर्ण होते हैं, लेकिन हमें हर कदम पर उनके साथ एडजस्ट करना होता है। जैसे आज सुबह आपकी कोई मीटिंग है जो कुछ घंटों तक चलने वाली है। इसके बाद आपको एक ऐसे प्रोजेक्ट पर काम करना होगा, जो ऑफिस में काफी समय से पेंडिंग है और फिर, आपको कुछ जरूरी फ़ोन कॉल करनी हैं। ऐसा सबकुछ हर रोज होता ही रहता है। इसे ही एक्शन ओरिएंटेड या कर्म प्रधान होना कहा जाता है। इसके साथ ही, मैं अपने रोल को सफल बनाने के लिए हर दिन कड़ी मेहनत करता हूं। मैं अपने रिश्तों में प्यार और सम्मान बनाए रखना चाहता हूं और ऐसा करते हुए, अपने मन की शांति और संतुष्टि को भी डिस्टर्ब नहीं करना चाहता हूं। मैं यह सब करते हुए भी याद रखता हूं कि, मुझे अपने भौतिक शरीर को स्वस्थ रखना है और अपने जीवन के अन्य विभिन्न क्षेत्रों को भी सुचारू रूप से चलाना है। इसके अलावा, मेरा स्वयं का निजी समय; जिसमें मैं खुद को समय देता हूं, उसे भी भुलाया नहीं जा सकता है। 

 

इसलिए, एक दिन में किए गए इतने सारे कार्य हमें कई बार थका देते हैं। ऊपर बताई गई दिनचर्या आज एक प्रोफेशनल की आम दिनचर्या बन चुकी है। आपके जानने से पहले ही दिन शुरू होता है और समाप्त हो जाता है, जिसमें आपको कोई भी फ्री समय नहीं मिल पाता है। इसके अलावा, आजकल, लगभग हर किसी के जीवन में लोकल जर्नी में लगने वाले, एक्स्ट्रा समय नाम का एक और डायमेंशन जुड़ चुका है। फिर, हमें कुछ बातों का ध्यान रखना होता है जैसे कि हमारा खानपान, आराम और नींद और यहां तक कि, इस बात का भी ध्यान रखना कि लोग मुझसे क्या एक्सपेक्ट करते हैं, उनकी मांगों को पूरा करते हुए उन्हें संतुष्ट रखना। इन सबके बीच एक चीज जो स्टेबल रहती है वह है मैं, यानि कि इनर बीइंग। आध्यत्मिकता; हमें हमारे शांति, प्रेम, आनंद और शक्ति के आंतरिक खजानों से स्वयं को स्थिर और समृद्ध रखने की अदभुत तकनीक सिखाती है। और जब मेरे चारों ओर सबकुछ इतना परिवर्तनशील और गतिशील है, तो मुझे ऐसा रहने की जरूरत है। मेरे स्टेबल रहते हुए भी, मेरे चारों ओर सब कुछ घूमता रहता है। इसका मतलब है कि, मैं निरंतर एक सकारात्मक मानसिक स्थिति में रहता हूं। मैं रिएक्ट नहीं करता, बल्कि केवल रिस्पॉन्ड करता हूं। मैं कर्म करता हूं, लेकिन कर्म कॉन्शियस नहीं बनता। मैं आत्म-अभिमानी रहता हूँ या इनर बीइंग कॉन्शियस रहता हूँ।

(कल जारी रहेगा…)

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