ब्रह्माकुमारीज का 7 दिवसीय कोर्स (भाग 6)
क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।
February 6, 2024
आज वैज्ञानिकों ने हमारे शरीर की कार्यप्रणाली के बारे में बहुत कुछ जान लिया है, लेकिन अभी भी ज्यादातर लोग इस रहस्य को नहीं समझ पाए हैं कि, वास्तव में एक इंसान जीवित कैसे रहता है, यह अभी भी एक अनसुलझा रहस्य है। कई लोग यह भी मानते हैं कि, ये दिमाग़ के अंदर केमिकल और इलेक्ट्रिकल एक्शंस का सारा खेल है। लेकिन इस सोच से परे, अगर हम थोड़ा ऊपर उठकर सोचें, तो समझ पाएँगे कि, स्पिरिचुएलिटी हमें हमारे रियल स्व के क़रीब ले जाने के साथ-साथ, हमारे आध्यात्म स्व के बारे में भी ओरिएंट और ट्रेन भी करती है। इससे पहले मैं स्वयं के रियल स्वरूप से अंजान था, अपनी अवेयरनेस से अनजान था और स्वयं से बहुत दूर था। इसमें अपने करीब आने के लिए सबसे पहले मैंने अपने मन की शक्ति; मनोबल की सही ताकत और उपयोग के बारे में समझा। मैंने एक शांत जगह को चुना जहां बिना किसी रुकावट के, मैं हर दिन अपने इनर वर्ल्ड पर फोकस करने के साथ, अपने मन की रचनात्मक क्रिएशंस; थॉट्स, भाव-भावनाओं, स्वभाव आदि को गहराई से जान सकूँ।
मन क्या है और यह कैसे काम करता है, इसके बारे में पूरी दुनिया भर में बहुत सारे कॉन्फ्लिक्टिंग तर्क मौजूद हैं। लेकिन ब्रह्माकुमारीज़ संस्था द्वारा सिखाए गए राजयोग अभ्यास के माध्यम से इस तथ्य की पुष्टि हुई है कि, हमारा मन; जोकि विचारों, भावनाओं, वृत्ति और दृष्टिकोण को जन्म देता है, वो शरीर की नहीं बल्कि आत्मा की फैकेल्टी है। इसे हम एक टेलीविजन और उसमें चल रही मूवी में फर्क के द्वारा समझ सकते हैं। क्योंकि मूवी तो डायरेक्टर की क्रिएशन होती है नाकि टेलीविजन की, यह तो सिर्फ़ एक माध्यम है उस मूवी को दिखाने का। ऐसे ही हमारे मन की चार रचनाओं; संकल्प, भाव-भावना, वृत्ति आदि का जन्म सबसे पहले आत्मा यानि नॉन फिजिकल अवेयरनेस में होता है न कि दिमाग़ में। क्योंकि टीवी की तरह हमारा ब्रेन शरीर का सिर्फ एक यंत्र है जिसके द्वारा इन सारे भावों को शब्दों, कर्म, बोल, व्यवहार और शारीरिक हावभाव द्वारा एक्सप्रेस किया जाता है। तब मैंने महसूसता के साथ इस अंतर को समझा तो खुद में एक शक्ति के संचार को महसूस किया। इसी समझ से, अब मैं अपनी परखने की शक्ति द्वारा, अपनी रचनाओं; संकल्पों, भाव-भावनाओं, दृष्टिकोण का सही चयन कर पाता हूं जो मेरे साथ-साथ अन्य लोगों के लिए भी बड़े अमूल्य हैं। क्योंकि अगर सही परख नहीं है तो मेरी और अन्य लोगों की अवस्था ऊपर या नीचे हो सकती है।
क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।
क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।
क्या आपका आत्म-सम्मान हार और जीत पर निर्भर करता है? इसे बदलें! खुद को आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखने का तरीका जानें, आत्मा की शक्ति को पहचानें, और हर कर्म को खुशी से करें।
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