21st April Soul Sustenance Hindi

रूटीन कर्म करते हुए, अपनी बीइंग को पहचानें (भाग 3)

जब हम अपने रिअल आध्यात्मिक स्वरूप में स्थित होकर कर्म करते हैं  तब ही सच्ची मन की खुशी और संतोष से भरा जीवन संभव है। मान लीजिए कि आपके स्कूल में कोई महत्वपूर्ण परीक्षा है और आपने उसकी पूरी तैयारी बहुत ईमानदारी और लगन से की है। परीक्षा देना आपके लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती हो सकता है लेकिन फिर भी, अपनी सारी मेहनत के बावजूद, आप परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं। ऐसे में हम दुखी हो सकते हैं लेकिन क्या हम कभी सोचते हैं कि इस तरह की स्थितियां पोजिटीव या नेगेटिव हो सकती हैं, लेकिन क्या हम अपने मन के विचारों, और भावनाओं को उन स्थितियों के द्वारा कंट्रोल होकर उनके मुताबिक चलने देते हैं। साथ ही, याद रखें कि आपके जीवन का उद्देश्य केवल धन कमाना, कई तरह के रोल प्ले करना, अपने परिवार और बच्चों की देखभाल करना और परीक्षा में श्रेष्ठ प्रदर्शन कर अच्छी डिग्री प्राप्त करना नहीं है। इस दुनिया में कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं, जिसके जीवन में सब कुछ उसके अनुसार चल रहा हो। इसलिए इन दुनियावी चीजों पर आधारित, हमारे जीवन के ये उद्देश्य कभी हमारे अनुसार या कभी हमारे अनुसार नहीं भी हो सकते हैं, और उनको अपना एकमात्र उद्देश्य बनाना थका देने वाला और आधी-अधूरी खुशियों वाला हो सकता है।

जब हम अपनी सोच को नये तरीके से कर्म में लाने और अपनी भावनाओं को बेहतर बनाने का एक उच्च उद्देश्य रखते हैं, तो हमारे चारों ओर हमारी छोटी सी दुनिया – हमारा परिवार, हमारे आसपास की थोडी बड़ी दुनिया – हमारा कार्य करने का स्थान, और फिर उससे बड़ी दुनिया – हमारा समाज और हमारा देश और फिर पूरा संसार बदलने लगेगा। तो यदि हम सभी, पूरी मानव जाति; खाने और खिलाने, कमाने और खर्च करने, उत्पादन करने और प्राप्त करने के शोर्ट टर्म उद्देश्यों से पहले, एक महान उद्देश्य को आगे रखते हैं, तो हमारी बाहर की दुनिया की सभी चीजें, अधिक सटीकता और सुंदरता से भरी होंगी। तो, आज एक कदम आगे बढ़ाइए और उन खास इंसानों की तरह जीना शुरू कीजिए, जो कर्म से पहले (डूइंग) अपने स्व (बीइंग) से प्यार करते हैं। यह आपके चारों ओर, शांति और प्रेम से भरे खुशियों के स्वर्ग जैसे छोटे-छोटे संसार, जो पूरी दुनिया में एक बडे और सुंदर स्वर्ग का निर्माण करेंगे।

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