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अपनी आसक्तियों / लगाव के बारे में जानना (भाग 1)

अपनी आसक्तियों / लगाव के बारे में जानना (भाग 1)

आसक्ति या लगाव, आंतरिक (internal) या बाह्य (external) दो तरीके से काम करते है, आइये उनके बारे में समझें –

बाहरी लगाव के कुछ सामान्य उदाहरण हैं:

– आपका शरीर (फिजीकल बॉडी),

– अन्य व्यक्ति (उनके शरीर, रोल, काम करने का तरीका, गुण, विशेषता या कोई अन्य संस्कार और उनका व्यक्तित्व),

–  आपके पास कितनी वस्तुएं/ चीजें है,

–  आपके परिवार, समाज या आपके प्रोफेशन में आपका पद, पोजीशन व आपकी प्रतिष्ठा,

–  धन- संपत्ती,

–  स्थान की उपलब्धता,

–  खान- पान,

–  खरीदारी करने की क्षमता और भौतिक सुख-सुविधाएं,

–  पहनावा (कपड़े),

– टेकनॉलोजी और उसके विभिन्न माध्यम की उपलब्धता,

– आप किस तरह दिखते हैं, कपड़े पहनते हैं या खुद को शारीरिक रूप से व अपने संपूर्ण व्यक्तित्व को प्रेजेंट करते हैं,

– काम -काज में किसी विशेष स्किल का होना,

– कोई विशेष रुचि या शौक जैसे: फिल्में देखना, ऑनलाइन सोशल नेटवर्किंग आदि।

– आपकी दिनचर्या या घर व कार्यस्थल पर काम करने का एक स्पेसिफिक तरीका,

– दूसरों के द्वारा सम्मान पाना,

– लोग आपको कैसे देखते हैं, कैसा व्यवहार करते हैं या वे आपके बारे में क्या सोचते हैं…. इत्यादि।

यहां पर बाहरी लगाव व आसक्ति के कुछ उदाहरणों के बारे में बताने का गंभीर प्रयास किया गया है, जिनके बारे में हमें सूक्ष्मता से जांच करके उसके ऊपर कंट्रोल पाने की अति आवश्यकता है। स्पीरिचुएलिटी हमें आत्म-चेतना (soul consciousness) और परमातम चेतना (supreme soul consciousness) का ज्ञान देती है और इनके अनुभव के द्वारा आत्मा बाहरी आसक्तियों और उसके विभिन्न रूपों पर काबू पाने के लिए सशक्त होती है, और जिनके बिना, आत्मा पूरी तरह से फ्रीडम अनुभव नहीं कर पाती है।

(कल जारी रहेगा…)

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