17th feb 2025 soul sustenence hindi

February 17, 2025

संबंधों को सुंदर बनाएं, अहंकार को त्यागें (भाग 3)

याद रखें कि हर रिश्ते में वही व्यक्ति वास्तव में नेतृत्व करता है जो दूसरे को हमेशा आगे रखता है, भले ही देखने में ऐसा न भी लगे। इसका अर्थ है कि कभी-कभी किसी विषय पर सहमत न होने के बावजूद, दूसरे व्यक्ति की राय को स्वीकार करना। अक्सर, घरों और ऑफिस में आप देखेंगे कि कहीं लोग एक-दूसरे के साथ बहुत घनिष्ठ होते हैं, जबकि कहीं पर मतभेद और नकारात्मक ऊर्जा का आदान-प्रदान होता है। कुछ स्थानों पर, दो सहकर्मियों के बीच इतना अच्छा तालमेल होता है कि उनका कार्यदिवस सुचारू रूप से बीतता है और वे आपस में कभी झगड़ते नहीं। दूसरी ओर, कुछ लोग साथ काम नहीं कर सकते और उनके बीच मतभेद रहता है। इसका मुख्य कारण है ये सोच कि, मैं तुमसे ज्यादा समझदार हूँ, मैं अधिक मेहनती हूँ, मैं अधिक कुशल हूँ, या मैं तुमसे अधिक बुद्धिमान हूँ। ऐसे विचार रिश्तों को खराब कर देते हैं और उनमें प्रेम व निकटता को पनपने नहीं देते।  

 

कहा जाता है कि आपसी मतभेदों को भुलाकर मित्र बनो। लेकिन ध्यान देने योग्य बात यह है कि दो लोगों की सोच में हमेशा मतभेद रहेंगे, क्योंकि कोई भी दो व्यक्ति पूरी तरह से एक समान नहीं सोच सकते हैं। इन मतभेदों को भुलाने का अर्थ है उन्हें हल करना। यही सफलता की कुंजी है। कार्यालय में सफलता केवल आपकी प्रतिभा और व्यक्तिगत प्रदर्शन से नहीं आंकी जाती, बल्कि इस बात से भी तय होती है कि आप अपने रिश्तों को कितनी अच्छी तरह से सँभालते हैं। जो लोग विनम्र और मधुर स्वभाव के होते हैं, वे कार्यस्थल पर अत्यधिक सम्मान पाते हैं। लोग उनके साथ रहना पसंद करते हैं, बजाय उन लोगों के जो अहंकारी और अपने विचारों में अड़ियल होते हैं। याद रखें, कि जीवन बहुत छोटा है। तो क्यों न अपने माता-पिता, जीवनसाथी, सहकर्मी, सास-ससुर या किसी भी प्रियजन के साथ हर दिन का आनंद लिया जाए क्योंकि वे सब आपके लिए महत्वपूर्ण हैं और आप उनके लिए। इसलिए, अहंकार का त्याग कर उनसे आशीर्वाद पाएं। 

27 march 2025 soul sustenance hindi

अपने जीवन में 6 प्रकार की संतुष्टता लाएं

“क्या आप सच में अपने जीवन से संतुष्ट हैं? जानिए आत्मसंतुष्टि के 6 गहरे आयाम – स्वयं, रिश्ते, परमात्मा और जीवन के प्रति सही दृष्टिकोण अपनाकर अपने भीतर स्थायी खुशी और संतोष कैसे पाएं!”

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26 march 2025 soul sustenance hindi

ईज़ी रहें, बिजी नहीं

“क्या आप हमेशा ‘मैं बहुत बिजी हूं’ कहते हैं? यह आदत आपकी कार्यक्षमता और खुशी को कैसे प्रभावित करती है, जानें। आइए, बिजी से ईज़ी बनने का मंत्र अपनाएं और समय की कमी से मुक्त होकर जीवन का आनंद लें!”

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25 march 2025 soul sustenance hindi

आध्यात्मिक समझ से भाई-बहनों की प्रतिस्पर्धा को समाप्त करें

भाई-बहनों की प्रतिस्पर्धा को आध्यात्मिक समझ से समाप्त करें। तुलना और ईर्ष्या को छोड़कर प्रेम, सम्मान और आत्म-संतोष को अपनाएँ। ✨🕊️

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