परमात्मा, हमारे जीवन का प्रकाशस्तंभ: शिक्षक दिवस पर विशेष
शिक्षक दिवस पर विशेष: जानिए कैसे परमात्मा, हमारे परम शिक्षक, जीवन की हर चुनौती में हमें मार्गदर्शन करते हैं। आदर्श शिक्षक की भूमिका और ईश्वर के दिव्य शिक्षण का महत्व।
किसान देश की शान है, वह त्याग और तपस्या का दूसरा नाम है। वह जीवन भर मिट्टी से सोना उत्पन्न करने की तपस्या करता रहता है। तपती धूप, कड़ाके की ठंड तथा मूसलाधार बारिश भी उसकी इस साधना को तोड़ नहीं सकती। भारत मुख्य रूप से गांवों का देश है और गांवों में रहने वाली अधिकांश आबादी किसानों की है और कृषि उनके आय का प्रमुख स्रोत है। वर्तमान समय में भारत की आबादी का 70% खेती के ज़रिए उत्पन्न आय पर निर्भर है।
किसान को भारत की आत्मा कहा जाता है, जिसे अन्नदाता की उपाधि प्राप्त है। कृषि ही किसान का जीवन है, यही उसकी आराधना है और यही उसकी शक्ति है। भारतीय किसान को धरती माता का सच्चा सपूत कहा जाता है। जिसका जीवन माँ धरती की तरह करुणा का महासागर है। हमारे दिवंगत राष्ट्रपति श्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने नारा दिया था ‘जय किसान जय जवान’ । ब्रह्माकुमारीज़ का यह नारा है ‘जय किसान, जय जवान और जय ईमान’ ।
भारतीय किसान का समूचा जीवन उसके अपूर्व परिश्रम, ईमानदारी, लगन व कर्तव्यनिष्ठा की अद्भुत मिसाल है। वह कर्मठ और सत्यता की मूर्ति है। भारतीय किसान बहुत ही मेहनती है। उसकी मेहनतकश – जिन्दगी को सारा देश नमन करता है। किसान जब खेत में मेहनत करके अनाज पैदा करता हैं तभी भोजन हमारी थालियों तक पहुंच पाता है। ऐसे में किसानों का सम्मान करना बेहद ज़रूरी है।
किसान दिवस एक राष्ट्रीय अवसर है जो हर साल 23 दिसंबर को मनाया जाता है। भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाले किसानों को यह दिन समर्पित है। ‘समृद्ध किसान समृद्ध भारत’ बनाने के लिए राष्ट्रीय किसान दिवस पूरे राष्ट्र में बड़े उमंग, उत्साह और रुचि के साथ मनाया जाता है।
प्रकृति तथा परिस्थितियों की विषमताओं से जूझने की क्षमता भारतीय किसानों में विद्यमान है। आधुनिकतम वैज्ञानिक साधनों को अपनाकर वह खेती करने के अनेक तरीके सीख रहा है। पहले की तुलना में वह अब अधिक अन्न उत्पादन करने लगा है। शिक्षा के माध्यम से उसमें काफी जागरूकता आई है। वह अपने अधिकारों के प्रति काफी सजग होने लगा है। यदि भारत को उन्नतिशील और सबल राष्ट्र बनाना है तो पहले किसानों को समृद्ध और आत्मनिर्भर बनाना होगा।
इसी उद्धेश्य से प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय की कृषि एवं ग्राम विकास प्रभाग द्वारा एक आध्यात्मिक खेती पद्धति को विकसित किया गया है जिसे शाश्वत यौगिक खेती परियोजना का रूप दिया गया है जिसमें किसानों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के लिए भारत की ऋषि-कृषि परम्परा को पुन:स्थापित करने का क्रान्तिकारी कदम है। इसमें परम्परागत जैविक खेती के साथ राजयोग का समावेश किया गया है। यह एक ऐसी कृषि पद्धति है जिसमें मन को परमात्मा से जोड़कर राजयोग की शक्ति का प्रयोग न केवल मनुष्यात्माओं पर बल्कि जीव-जन्तुओं, पेड़-पौधों पर करते हुए सम्पूर्ण प्रकृति को चैतन्य ऊर्जा के प्रकम्पनों से चार्ज किया जाता है। इस प्रकार धरती की उर्वराशक्ति पुनःस्थापित करके शुद्ध, सात्विक, पौष्टिक अनाज, फल तथा सब्जियों का उत्पादन किया जाता है।
यौगिक खेती पद्धति जीवन जीने की कला सिखाती है, जिसमें अनेकों किसानों ने अपना जीवन परिवर्तन किया है। इससे उन्होंने व्यसनों, बुरे संस्कारों, सामाजिक कुरीतियों तथा कर्ज मुक्त होकर फिर से अपना खोया हुआ आत्म सम्मान प्राप्त किया है। इस योजना के माध्यम से अन्न व मन की शुद्धता, श्रेष्ठ सुखमय समाज का निर्माण संभव है। इससे हमारा भारत फिर से स्वर्णिम बनेगा। इस मुहीम से जुड़कर हजारों किसान अपने जीवन को सफल सार्थक बना रहे हैं।
आज के दिन भारत के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का जन्मदिन भी है। जब कोई अन्नदाता को थैंक्स कहता है तो हमें बहुत अच्छा लगता है। जब भी आप खाना खाये बस दिल से दुआ करना अन्नदाता सुखी भवः। जब कोई खाना अच्छा बना, तो कहते है क्या स्वाद है लेकिन याद कीजिए उस किसान को जिसने यह अन्न उपजाया है। इस तरह देश के हरेक नागरिक में भी किसानों के प्रति आभार की भावना जगा सकते हैं।
किसान इस देश की शान है। भारत को सूपर पावर बनाने में किसान अहम भूमिका निभाते हैं। यह समय है किसानों के खोए हुए सम्मान को पुनः लौटाने का। उनका आत्म सम्मान जगाना इस कार्यक्रम का मकसद है। आत्म सम्मान एक ऐसा उपहार है जिसे प्राप्त करने से वह व्यक्ति और अच्छी तरह से मेहनत करके इस क्षेत्र में खुशी से तेजी से सफलता के शिखर को प्राप्त करता है। सम्मान का अर्थ है सम्यक रूप से मानना। स्वयं को अपने सच्चे स्वरूप में जानना, मानना और पहचानना है। आत्म विश्वास से ही आत्म सम्मान जागृत होगा, आत्म विश्वास का उद्गम आत्म जागृति से होता है, जिसके आधार पर आत्म सम्मान तथा अन्नदाता अपने स्वमान को जागृत कर सकता है।
यह सम्मान किसानों को समाज में एक श्रेष्ठ व्यक्तित्व का एहसास कराता है। साथ ही उन्हें वर्तमान के अनेकों मुश्किलों के दौर से भरे अतीत को भुलाकर आत्म विश्वास के साथ एक नई शुरुआत करने के लिए प्रेरित करता है। जब जीवन में आने वाले संघर्षों का सामना करने के लिए किसान स्वयं को सक्षम नहीं मानता, जब उसे अपने ही सामर्थ्य पर विश्वास नहीं रहता तब वह सद्गुणों को त्याग कर दुर्गुणों को अपनाता है। मनुष्य के मन में दुर्बलता तब आती है जब उसमें आत्म विश्वास नहीं होता। आत्म सम्मान से परिपूर्ण मन अपने जीवन में सुख, शांति एवं आत्मीय भावनाओं को सबल करता है, जीवन में सुनहरे पलों को लाता है, विश्वास के साथ हर परिस्थिति का आंकलन करके उससे पार होता है, सफलता की सीढ़ियों पर पहुंचाता है तथा सच्चे सम्मान को प्राप्त करता है।
जो व्यक्ति स्वयं से प्यार करना सीख जाता है, वह स्वयं का सम्मान करना भी सीख जाता है, खुद से प्यार करने का मतलब अपने सत्य स्वरूप में आत्म स्वरूप को निहारना है। स्वयं के प्रति प्योर पॉजिटिव फीलिंग लाना है। जब आप स्वयं से प्यार करेंगे तो आप स्वयं को सुधार सकेंगे। दूसरों के लिए हम अच्छा सोचने लायक तभी बन पायेंगे जब हम खुद के बारे में अच्छा सोच पायेंगे। जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए कुछ अच्छा करने के साथ सकारात्मक विचारों की भी ज़रूरत होती है। राजयोग सकारात्मक विचारों का सच्चा स्त्रोत है।
जब किसान खुद के बारे में, उत्तम खेती करने के बारे में अच्छा सोचेंगे तभी उनके आत्म विश्वास में वृद्धि होगी। आत्म सम्मान की वृद्धि के लिए स्वयं की देखभाल करना बहुत ज़रूरी है जैसे कि समय पर खाना, उठना, बैठना, कपडे ठीक ढंग से पहनना, अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना आदि। यदि स्वयं मन से कमज़ोर होंगे तो दूसरों पर हमें निर्भर रहना पडेगा। दूसरों के ऊपर निर्भर रहेंगे तो धीरे-धीरे हमारा आत्म सम्मान कम होता जायेगा। हमें अपने आत्म सम्मान को बनाये रखते हुए सभी का सम्मान करना है। आत्म सम्मान कोई खरीदने का विषय नहीं है, उधार भी नहीं लिया जा सकता है, हमारी हर सकारात्मक सोच हमें सफलता की ओर बढ़ाती है। इसलिए खुद पर आत्म विश्वास होना अति आवश्यक है। इस छोटी सी जिंदगी में हमें बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उसमें हमें हार नहीं माननी चाहिए जब तक हमें खुद पर भरोसा है तो हम हार नहीं मान सकते हैं। खुद के ऊपर विश्वास रखना ही पहला कदम है।
राजयोग हमें योगी जीवन द्वारा निर्मल मन से सच्चे अर्थ में स्वाभिमानी बनना सिखाता है यही इस कार्यक्रम का एक मात्र उद्धेश्य है।
कहा जाता है कि जल है तो कल है। जल परमात्मा का दिव्य वरदान है और धरती पर स्थित समस्त जीवराशियों के लिए अमृत है। इस पृथ्वी पर 75% पानी है किन्तु उसमें से मात्र 1% पानी ही उपयोग लायक है। इस 1% पानी का 76% पानी खेती में उपयोग किया जाता है और इस खेती में उपयोग होने वाले पानी में से 50% से अधिक पानी बर्बाद होता है। वर्तमान समय जब सारा विश्व जल संकट से जूझ रहा है ऐसे समय पर हम सबकी यह जिम्मेवारी है कि जल का विवेकपूर्ण उपयोग करें एवं पानी को प्रदूषित होने से बचायें।
शाश्वत यौगिक खेती को अपनाना, ज़मीन का समतलीकरण करना, फसल अवशेषों का अच्छादन, टपक तथा फव्वारा सिंचाई, मोटे अनाज जैसे कम पानी की जरूरत वाली फसलों का चयन, कृषि वाणिकी, सहफसली खेती, खेत तालाब, रेनवाटर हार्वेस्टिंग द्वारा बोरवेल का रिचार्ज करना, कुएं-तालाब तथा पोखरों का पुनः भरण करना, जलाशयों को स्वच्छ तथा गहरा करने से तथा राजयोग के माध्यम से जल संरक्षण का दृढ़ संकल्प लेना है।
मैं धरतीपुत्र हूँ, धरती माता का सच्चा सुपुत्र हूँ, मेरा जीवन धरती माँ की तरह करुणा का महासागर है, मेरा जीवन त्याग और तपस्या का दूसरा नाम है, कृषि ही मेरा जीवन है, यही मेरा आराधना है और यही मेरी शक्ति है, मेरा जीवन अपूर्व परिश्रम, ईमानदारी, लगन व कर्तव्यनिष्ठा की अद्भुत मिसाल है, मैं अन्नदाता कर्मठ और सत्यता की मूर्ति हूँ, मुझ में प्रकृति तथा परिस्थितियों की विषमताओं से जूझने की क्षमता विद्यमान है, मेरी समृद्धि और आत्मनिर्भरता ही देश को उन्नतिशील और सबल राष्ट्र बनाती है, मेरा यह कर्तव्य है कि मैं अपनी समझ आत्म विश्वास व सच्ची लगन से इस कार्य को सम्पन्न करूँ, साथ ही परम्परागत जैविक यौगिक खेती के साथ राजयोग का समावेश कर एक ऐसी कृषि पद्धति का निर्माण करूँ, जिसमें मन को परमात्मा से जोड़कर राजयोग की शक्ति द्वारा न केवल मनुष्य आत्माओं बल्कि जीव जंतुओं पेड़ पौधों तथा सम्पूर्ण प्रकृति को चैतन्य ऊर्जा के प्रकम्पनों से पवित्र बनाऊँ, जिससे मन व अन्न की शुद्धि व सुखमय समाज का निर्माण करने में मददगार बनेगा और हमारा देश भारत फिर से स्वर्णिम बनेगा।
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On this Teachers’ Day, recognize God as the Supreme Teacher who guides us through every phase of life. His divine wisdom and light help us navigate challenges, offering profound lessons in love, patience, and inner peace.
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Dadi Prakashmani, lovingly known as ‘Dadi,’ exemplified leadership that blended profound wisdom with motherly love. As the head of the Brahma Kumaris, she expanded the organization globally, establishing thousands of Rajyoga meditation centers. Her leadership was defined by humility, sweetness, and the ability to connect deeply with every soul she encountered.
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मानसिक बीमारी शारीरिक बीमारी से कई गुना हानिकारक होती है। भगवान शिवपिता का सिखाया हुआ सहज राजयोग मानसिक विकारों को नष्ट कर आत्मा को पवित्र बनाता है। यह आत्मिक शांति और सकारात्मक चिंतन से संपूर्ण स्वास्थ्य प्राप्त करने का मार्ग है।
सहज राजयोग: सर्वांगीण स्वास्थ्य पाने का एकमात्र मार्ग। शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, नैतिक, आर्थिक और सामाजिक स्वास्थ्य को सुधारने के लिए भगवान शिवपिता का सिखाया हुआ सहज राजयोग अपनाएं। यह जीवन शैली को स्वस्थ बनाता है और सकारात्मक चिंतन से जीवन को सुख-शांति भरा बनाता है।
इस विराट सृष्टि में अनेक प्रकार के योग प्रचलित हैं। ‘योग’ का वास्तविक अर्थ है ‘जोड़ना’ अथवा ‘मिलाप’, जो आत्मा का परमात्मा से संबंध जोड़ता है। ‘योग’ का सही अर्थ जानने के लिए परमात्मा के गुण, रूप, और परमधाम का यथार्थ परिचय आवश्यक है। परमपिता परमात्मा के द्वारा सिखाया गया यह योग मन की शांति, आत्मिक सुख, और दिव्यता की अनुभूति कराता है।
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