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सफलता की राह पर 8 कदम (भाग 2)

April 18, 2024

सफलता की राह पर 8 कदम (भाग 2)

आप अपनी सोच को सिर्फ एक मिनट का विराम देकर खुद से पूछें कि, जीवन का कोई लक्ष्य या उपलब्धि आपके लिए इतना अधिक मायने रखती है कि, उसको हासिल करते हुए कुछ महत्त्वपूर्ण रिश्तों के खो जाने का आपको कोई दुख नहीं होगा। साथ ही, ऐसे किसी भी अचीवमेंट का क्या महत्व; जिसे हासिल करने में आपको नींद न आने की बीमारी हो जाए, आपका डाइजेस्टिव सिस्टम कमज़ोर हो जाए या फिर आप हाई बीपी/ डायबिटीज़ का शिकार हो जाएं? इतना ही नहीं, हो सकता है कि आपको कोई मानसिक बीमारी; डिप्रेशन आदि हो जाए या फिर कभी आप आत्महत्या का प्रयास भी कर लें। दूसरी ओर, जीवन के उसी लक्ष्य को अपनी मानसिक शांति खोए बिना भी हासिल किया जा सकता है, भले ही सोची हुई उपलब्धि को हासिल करने में निर्धारित किए गए समय से कुछ ज्यादा वक्त ही क्यों न लग जाए।

 

इसलिए, सफलता की राह में सबसे पहला कदम है कि, हम अपने उद्देश्य के बारे में दोबारा विचार करें कि, उसे थोड़ा धीमी गति से भी हासिल किया जा सकता है, बजाय उस तेजी के साथ, जैसा हम दूसरों को करते हुए देखते हैं। जिस गलत एनर्जी के साथ; हम अपने लक्ष्य को पाने की दिशा में कार्य कर रहे हैं और जो हमें जल्दबाजी और चिंताएं दे रहा है वो और कुछ नहीं, हमारा कॉम्पिटिशन है। आजकल के हमारे मेन स्ट्रीम समाज में कॉम्पिटिशन एक ऐसी एनर्जी है जिसके बारे में हम यह नहीं कह सकते कि यह अनावश्यक है, लेकिन जब ये कंपेरिजन के साथ मिल जाता है, तो ये नेगेटिव और हमारे खुद के लिए ही हानिकारक बन जाता है। इसलिए कंपीट करें, कॉम्पिटिशन हेल्दी है, लेकिन तुलना न करें क्योंकि ये अनहेल्दी है। साथ ही, इस बात का भी ध्यान रखें कि, सफलता के लक्ष्य को पाने के लिए महत्त्वपूर्ण है कि, सीधे बड़े लक्ष्य को हासिल करने की जगह, पहले छोटे-छोटे गोल सेट करें। अपने लक्ष्य को हासिल करने की यात्रा में ये हमें हल्का बनाए रखते हैं और मुश्किलें आने पर हम थकते नहीं हैं। सफलता की राह पर बोझमुक्त रहने का भी ये एक तरीका है, क्योंकि कभी-कभी ये राह लंबी भी हो सकती है। इस आरामदायक यात्रा की एक और महत्वपूर्ण विशेषता है; आपकी यात्रा के साथियों को संतुष्ट रखना और उनके साथ किसी भी प्रकार के कोल्ड संबंधों को पनपने न दें। अधिकतर, लोगों को अपने काम या प्रोफेशनल टार्गेट को लेकर इतना ज्यादा जुनून रहता है कि, 12 घंटे अपने कार्यक्षेत्र पर रहना, किसी भी बिजी प्रोफेशनल के लिए इतनी आम बात हो जाती है कि, उनके पास अपने परिवार के सदस्यों के लिए समय ही नहीं होता है। इसकी वजह से उनके बीच में दूरियां और डिफरेंसेज बढ़ जाते हैं जिसका नेगेटिव प्रभाव उनके बच्चों और पति या पत्नी पर पड़ता है और वे असंतुष्ट रहते हैं।

(कल जारी रहेगा)

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