Brahma Kumaris Logo Hindi Official Website

Eng

Beautiful bondage raksha bandhan

भाई-बहन तक ही सीमित नहीं है रक्षा बन्धन का पर्व

रक्षा बन्धन का पर्व पवित्र रिश्तों का पर्व है। भारत सहित दुनिया के कई देशों में मनाये जाने वाले इस पर्व के पीछे अलग-अलग मान्यतायें हैं परन्तु निष्कर्ष रूप में सबकी मान्यतायें लगभग एक जैसी ही हैं। परम्परावादी देश भारत में बहन भाई की कलाई में राखी बांधकर अपने रक्षा की मांग करती हैं जबकि पौराणिक और अतीत की मान्यताओं पर प्रकाश डाला जाये तो स्पष्ट होता है कि यह पर्व केवल भाई-बहन तक ही सीमित नहीं था। 

श्रावण महीने में मनाये जाने वाले पर्व को उपासना और संकल्प का पर्व भी कहा गया है। श्रावणी मात्र कहने से ही श्रावणी पूर्णिमा का बोध हो जाता है। इसी सन्दर्भ में प्राचीन समय में रक्षा बन्धन को ‘सलोनो’ पर्व के नाम से भी जाना जाता था। पुराणों में ऐसी मान्यता है कि महर्षि दुर्वासा ने ग्रहों के प्रकोप से बचने हेतु रक्षा बंधन की व्यवस्था दी थी। महाभारत युग में श्रीकृष्ण ने ऋषियों को पूज्य मानकर उनसे रक्षा सूत्र बँधवाने को आवश्यक माना था ताकि ऋषियों के तप-बल से भक्तों की रक्षा हो सके। 

यह भी माना जाता है कि देवासुर संग्राम में देवताओं की विजय से रक्षा बंधन का त्यौहार शुरू हुआ। इसी देवासुर संग्राम के सम्बन्ध में एक किंवदती ऋग्वेद में स्पष्ट रूप से वर्णित है कि जब देवताओं और असुरों का युद्ध हुआ, तब देवताओं की विजय के बारे में कुछ संदेह होने लगा था। इस युद्ध में देवताओं के राजा इंद्र ने भी भाग लिया था। राजा इंद्र की पत्नी इंद्राणी श्रावण पूर्णिमा के दिन गुरू बृहस्पति के पास गई थी तब गुरू ने ही विजय के लिए रक्षा बंधन बांधने का सुझाव दिया था और राजा इंद्र की विजय हुई थी। बहरहाल जो भी हो परन्तु कालान्तर में इसका रूप बदलते-बदलते आज भौतिक युग में भाई-बहन के बीच आकर सिमट गया है। अब तो केवल शौक के वश बहन भाई के हाथ में सजावटी आधुनिक युग की राखी बांधती हैं और उससे स्थूल धन पाने की कामना रखती हैं। भाई भी कुछ ना कुछ उपहार के रूप में बहन को राखी का कर्ज अदा कर इतीश्री कर लेते हैं। आज भाव और भावना दोनों ही बदल गई है। 

श्रावण मास को सर्व आत्माओं के रक्षक परमपिता परमात्मा शिव भोलेनाथ का महीना भी माना जाता है जिसमें शिव भोलेनाथ के शीघ्र प्रसन्न होने की बात कही जाती है। इसी मास में रक्षा बन्धन मनाया जाने का रिवाज़ है। यह अपने आप में कई आध्यात्मिक रहस्यों को समेटे हुए हैं। आज समाज में आसुरी प्रवृत्तियों से कोई भी सुरक्षित नहीं है। आज रक्षा बंधन ने नये कलेवर का रूप ले लिया है और उसमें से आध्यात्मिकता की शक्ति और एकता की शक्ति की मजबूती टूट गई है। आज यह भावनाओं के बदले कामनाओं का पर्व बनकर रह गया है। यही कारण है कि आज के समाज में मानवीय मर्यादायें, पवित्र रिश्ते टूट रहे हैं तथा कलंकित हो रहे हैं। आज कोई भी आसुरी शक्तियों से स्वयं को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहा है। आज के सन्दर्भ में हमें रक्षा बन्धन के वास्तविक रहस्य को जानने की आवश्यकता है। जब तक हम रक्षा बन्धन के आध्यात्मिक रहस्य को नहीं समझेंगे तब तक इसको मनाना सिर्फ एक परम्परा बनकर रह जायेगी।

वर्तमान समाज में बढ़ते अत्याचार, भ्रष्टाचार, व्यभिचार को समाप्त करने के लिए तथा पुनः एक मर्यादित समाज बनाने के लिए रक्षा बंधन के यथार्थ रहस्य को जानकर मनाने की आवश्यकता है। आज तो रक्षा बन्धन का रूप इतना बदल गया है कि पहले के जमाने की तरह से ब्राह्मण द्वारा यजमानों को ‘रक्षा सूत्र’ बांधने की परम्परा भी समाप्त हो गई है। आज न तो श्रेष्ठ आचरण वाले ब्राह्मण रहे और न ही उनके संकल्पों को दृढ़ता से अनुसरण करने वाले यजमान। इसी मानवीय विभीषिका की घड़ी में हमें पुनः अपने प्राचीन काल में हुई रक्षा बन्धन की सत्य घटनाओं के रहस्य को जानने की आवश्यकता है।

वास्तव में रक्षा बंधन के पर्व का प्रारम्भ स्वयं परमपिता परमात्मा ने किया था। जब इस सृष्टि पर मानवीय संवेदनायें शून्य हो जाती हैं, मानवीय रिश्ते टूटने लगते हैं तब परमात्मा अवतरित होकर सच्चे ब्राह्मणों की रचना करते हैं तथा उन्हें अपवित्रता को समाप्त करने तथा आसुरी वृत्तियों से मुक्त होने का संकल्प देते हैं। इसलिए रक्षा बन्धन को भाई-बहन के सम्बन्ध से जोड़ा जाता है। रिश्तों में सबसे ज्यादा पवित्रता भाई-बहनों के बीच की होती है। परमात्मा यही याद दिलाते हैं कि आप सभी मनुष्यात्मायें एक परमात्मा की संतान हैं। एक संतान होने के कारण आपस में शारीरिक रूप से भाई-बहन तथा आत्मिक रूप से भाई-भाई है। इसलिए ही प्रचलित कहावत है कि हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख ईसाई, आपस में सब भाई-भाई। 

जहाँ तक परमात्मा भोलेनाथ के प्रसन्न होने की बात है तो यह सत्य है कि जब कोई भी बच्चा अपने माता-पिता का पूर्ण आज्ञाकारी होता है तो माँ-बाप प्रसन्न अवश्य होते हैं। इसी तरह से परमपिता परमात्मा शिव हम सभी के माता-पिता है। उनकी आज्ञा है कि आज पूरे विश्व में रावण राज्य यानी आसुरी शक्तियों का बोलबाला है। इसे समाप्त करने के लिए रक्षा बन्धन को केवल एक पारम्परिक रूप में नहीं बल्कि स्वयं जगतपिता परमात्मा शिव की आज्ञा समझकर पवित्रता के रिश्तों को पुनर्स्थापित करने के लिए मनाया जाए। 

आज प्रत्येक मनुष्य के अन्दर आसुरी और दैवीय शक्तियों का युद्ध चल रहा है, उसमें विजय प्राप्त करने के लिए यह रक्षा बन्धन का पर्व अति आवश्यक है। अब ऐसा समय आ गया है जब परमपिता परमात्मा शिव स्वयं इसकी याद दिला रहे हैं तथा पवित्रता की सच्ची राखी बांधकर पवित्र रिश्तों, पवित्र समाज तथा एक वैश्विक आध्यात्मिक क्रान्ति का आगाज कर चुके हैं। इसलिए भारत को विश्वगुरू का दर्जा दिलाने वाली सर्व मनुष्यात्माओं अब उठो और परमात्मा के निर्देश पर इस पावन रक्षा बन्धन के पर्व पर पवित्रता की सच्ची-सच्ची राखी बांधकर संसार सागर में डूब रही मानवीय नैय्या को पार लगाने में मददगार बनो। यही राखी का सच्चा संदेश तथा परमात्मा शिव का आदेश है। और यह त्यौहार ऐसे समय की याद दिलाता है जब परमपिता परमात्मा ने प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा कन्याओं-माताओं को ब्राह्मण पद पर आसीन किया, उन्हें ज्ञान का कलश दिया और उन द्वारा भाई-बहन के सम्बन्ध की पवित्रता की स्थापना का कार्य किया, जिसके फलस्वरूप सतयुगी पवित्र सृष्टि की स्थापना हुई। उसी पुनीत कार्य की आज पुनरावृत्ति हो रही है। ब्रह्माकुमारी बहनें ईश्वरीय ज्ञान और सहज राजयोग द्वारा ब्राह्मण पद पर आसीन होकर, बहन-भाई के शुद्ध स्नेह और पवित्रता के शुद्ध संकल्प की राखी बाँधती है।

ओम शांति

नज़दीकी राजयोग मेडिटेशन सेंटर

Related

Tribute to our supreme teacher on teachers day

परमात्मा, हमारे जीवन का प्रकाशस्तंभ: शिक्षक दिवस पर विशेष

शिक्षक दिवस पर विशेष: जानिए कैसे परमात्मा, हमारे परम शिक्षक, जीवन की हर चुनौती में हमें मार्गदर्शन करते हैं। आदर्श शिक्षक की भूमिका और ईश्वर के दिव्य शिक्षण का महत्व।

Read More »
The divine significance of raksha bandhan

The Divine Significance Of Raksha Bandhan

Raksha Bandhan is more than a festival; it’s a celebration of divine protection, purity, and spiritual awakening. Each ritual—from applying tilak to tying the Rakhi—holds deep spiritual significance. Embrace the festival with pure thoughts, soul consciousness, and the gift of

Read More »
स्व-निर्भरता का उत्सव (स्वतंत्रता दिवस पर आध्यात्मिक संदेश)

स्व-निर्भरता का उत्सव (स्वतंत्रता दिवस पर आध्यात्मिक संदेश)

हम सभी स्वतंत्रता और स्व-निर्भरता चाहते हैं, लेकिन क्या यह केवल अपना घर, अपना कमरा, अपने पैसे और अपने निर्णय लेने के बारे में है? हम सभी राजनीतिक, आर्थिक, शारीरिक और सामाजिक स्वतंत्रता की तलाश करते हैं, लेकिन यह सब

Read More »
Rakhi beautiful relationship

न्यारा और प्यारा बंधन है रक्षा बंधन

रक्षा बंधन भाई-बहन के रिश्ते का एक अनूठा त्यौहार है, जो ईश्वरीय और धार्मिक महत्व को दर्शाता है। यह त्यौहार न केवल पवित्रता की रक्षा करता है, बल्कि सांसारिक आपदाओं से भी बचाव करता है। जानें, कैसे भगवान ही हमारी

Read More »
Significance of rakhi

राखी का महत्व

रक्षा बंधन एक महत्वपूर्ण भारतीय त्यौहार है जो भाई-बहन के अटूट प्रेम और आत्मिक संबंध को दर्शाता है। तिलक, मिठाई और राखी के आध्यात्मिक रहस्यों को जानें, जो हमें पवित्रता और सच्चाई का महत्व सिखाते हैं। परमात्मा शिव की शिक्षाओं

Read More »
Raksha bandha festival of rakhi featured image

पवित्रता और भाईचारे का पर्व है रक्षा बंधन

रक्षा बंधन एक पवित्र पर्व है जो भाई-बहन के बीच अटूट प्रेम और आत्मिक संबंध को दर्शाता है। कलियुग की विपरीत परिस्थितियों में, यह पर्व हमें आत्मिक ज्ञान से जोड़कर सच्चे भाईचारे की भावना को जागृत करता है। अपने प्रियजनों

Read More »