भगवद्गीता महासम्मेलन – ओम् शान्ति रिट्रीट सेंटर गुरुग्राम
गीता के भगवान द्वारा राम राज्य की पुनर्स्थापना
उपरोक्त विषय पर कई शुभ चिंतकों ने प्रश्न उठाया कि गीता के भगवान का राम राज्य से क्या सम्बन्ध है? आज आवश्यकता इसी गुह्य सत्य को जानने की है कि गीता के भगवान परमात्मा का एक नाम ‘राम’ भी है। प्रायः भक्तजन एक दुसरे को प्रभु सिमरण करवाते हुए ‘राम राम जी’ ही कहते हैं। इस विषय पर निम्नलिखित कहावत तो है किन्तु हम इसके वास्तविक अर्थ पर विचार नहीं करतेः
एक राम दशरथ का बेटा, एक राम घट-घट मे बैठा
एक राम का सकल पसारा, एक राम इन सबसे न्यारा
जिस राम राज्य की कल्पना भारत के बापू गाँधी जी ने भी की थी, उसकी पुनर्स्थापना विश्व के बापू निराकार परमात्मा शिव (निराकार राम) अब फिर से कल्प (5000 वर्ष) पूर्व की तरह कर रहे हैं। सर्वमान्य है कि केवल निराकार ज्योतिस्वरुप शिव ही परमात्मा हैं। शिव की ही वन्दना ‘परमात्मने नमः’ कहकर की जाती है। ब्रह्मा, विष्णु, शंकर सहित अन्य सभी की वन्दना में देवाय नमः कहा जाता है। हर कल्प के आदि में निराकार शिव, प्रजापिता ब्रह्मा के साकार शरीर-रूपी- रथ में अवतरित होकर ईश्वरीय ज्ञान एवं राजयोग (सच्ची गीता) की शिक्षा द्वारा नई पावन दैवी सृष्टि की पुनर्स्थापना करते हैं। खुशखबरी यह है कि गीता के भगवान का यह ईश्वरीय कर्त्तव्य वर्तमान समय पुनः चल रहा है और शीघ्र ही नया स्वर्णिम युग धरती पर आने वाला है। वर्तमान कलियुगी पतित दुःखी अशान्त दुनियाँ प्राकर्तिक आपदाओं एवं परमाणु शस्त्रों के द्वारा महाविनाश के लक्षण भी अब स्पष्ट दिखाई दे रहे हैं।
इस अति महत्वपूर्ण वृतान्त की अधिक जानकारी के लिए कार्यक्रम में सम्मिलित होने का आपको हार्दिक निमंत्रण है।
ईश्वरीय सेवा में,
आपकी शुभचिन्तक ब्रह्माकुमारीज़