इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन और विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा मधुमेह से बढ़ती चिंताओं को मद्देनजर रखते हुए और इसके प्रति जागरूकता फैलाने के लिए 1991 से विश्व मधुमेह दिवस मनाया जा रहा है। इस उपलक्ष में ब्रह्माकुमारिज के चिकित्सा प्रभाग एवं ग्लोबल हॉस्पिटल रिसर्च सेण्टर द्वारा डायबीटीज एंड मेंटल हेल्थ विषय के तहत ऑनलाइन पैनल डिस्कशन आयोजित किया गया जिसमें ग्लोबल हॉस्पिटल से डायबीटोलोजिस्ट डॉ. श्रीमंत साहू, दिल्ली से वेलबीइंग सायक्याट्रिस्ट के फाउंडर डॉ. अवधेश शर्मा और राजयोग शिक्षिका बीके श्रेया ने पैनलिस्ट के तौर पर सभी को मार्गदर्शन किया।
इस मौके पर बोलते हुए डॉ. श्रीमंत साहू ने कहा, हम मेडिकल कालेज में जब स्टुडेंटस् थे तब बताया जाता था कि यह बुजुर्ग लोगों को होनेवाली बीमारी है। लेकिन आज हम देख रहे है कि छोटे बच्चों को भी यह बीमारी होने लगी है और यह लाइफ स्टाईल से होनेवाली बीमारी है। एकही जनरेशन में पेरेंटस् को डायबेटिस न होते हुए भी छोटे बच्चे, टीनएजर्स को डायबेटिस हो रहा है। गलत खानपान, गलत जीवनशैली, गलत सोचविचार से जो स्ट्रेस आता है उसके कारण ही यह सब हो रहा है। लाईफ स्टाईल मे बदलाव ही इसका समाधान है।
डॉ. अवधेश शर्मा ने कहा, जब हम खाते है तो हमको या मुह को नही मालूम होता कि मै मीठा खा रहा हूं या क्या खा रहा हूँ। वह हमारा मन निर्णय लेता है। अल्टिमेटली हमारे मन के अंदर डिसाइड होता है कि मुझे क्या खाना है। एक तरफ हलवा पडा हुआ है और एक तरफ मान लीजिए कि सॅलद पडा हुआ है तो क्या चूज करना है यह डिसीजन मेरा मन लेता है।