आज भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय और प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के संयुक्त अभियान ” अमृत महोत्सव से स्वर्णिम भारत की ओर ” के तहत `सर्व धर्म सम्मेलन ` कार्यक्रम पथिक नगर स्थित ओम शांति सभागार मे सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम में उपस्थित प्रतिनिधियों में विवेकानन्द केन्द्र से बलराज जी आचार्य, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से रामप्रसाद जी माणम्या , ओशो सुरधाम से डॉ॰ एस.के. लोहानी , गुरुद्वारा भीलवाड़ा से ज्ञानी जी , जैन धर्म के महावीर जी पोखतना , गायत्री परिवार से देवेन्द्र त्रिपाठी जी , पं.अशोक जी व्यास, ब्रहाकुमारीज की भीलवाड़ा क्षेत्रीय मुख्य संचालिका इन्द्रा दीदी नें “धर्म व आध्यात्म द्वारा श्रेष्ठ दुनिया की स्थापना” विषय पर अपने विचार व्यक्त किए | विश्वविद्यालय के नियमित भाई बहनों के अतिरिक्त अन्य धर्म के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे |
कार्यक्रम का शुभारंभ परमज्योति की याद में दीप प्रज्वलन से हुआ ।
ब्रह्माकुमारी इन्द्रा दीदी ने कहा कि हर धर्म में ईश्वर का ज्योति स्वरूप सर्वमान्य है। ईश्वर सर्वोच्च है। उसे याद रखने के लिए उससे परिचय, स्नेह , सम्बन्ध होना आवश्यक है। सदा याद के लिए समानता जरुरी है। वह परमात्मा अभी आ गया है। वह अजन्मा है। उससे बुद्धियोग लगाना है। आत्मा की बैटरी चार्ज करने के लिए ईश्वर से सम्बन्ध जोड़ना है। इस जीवन रूपी महाभारत युद्ध में पाँच प्रतिशत परमात्म प्रीत बुद्धि पाण्डव ही चाहिए। दीदी ने कार्यक्रम के अंत में ईश्वरीय अनुभूति राजयोग का अति शान्ति और आनन्द प्रद अभ्यास कराया ।
कार्यक्रम में गूरुद्वारा के ज्ञानी जी ने कहा कि यह शरीर देन हैं अपने माता-पिता , फिर भगवान की । माता पिता की सेवा करने वाला ही धर्म में आ सकता है। हमें शान्ति और मानवता को अपनाना होगा । परमात्मा ने जिस धर्म में जन्म दिया उसे पालन करना है। परमात्मा का शुकराना अदा करते रहना ।
विवेकानंद केंद्र के प्रतिनिधि बलराज जी आचार्य ने शिकागो धर्म सम्मेलन में स्वामी विवेकानन्द जी के महान वक्तव्य के सारांश को दोहराया । आपने कहा कि हिन्दुस्तान की बौद्धिक सम्पदा विश्व में सर्वाधिक सम्पन्न है ।
ओशो रजनीश के प्रतिनिधि एस के लोहानी खालिस जी ने ओशो की संक्षिप्त जीवन यात्रा पर प्रकाश डाला व ओशो के सिद्धान्त बताये ।
रामप्रसाद जी ने ज्ञानी के लक्षण बताये है। सकल विश्व में प्रसारित भारत के आध्यात्मिक ज्ञान की प्रशंसा की ।
अखिल विश्व गायत्री परिवार के देवेन्द्र त्रिपाठी जी ने श्रीराम शर्मा आचार्य जी सिद्धांतों को सबके सम्मुख रखा और कहा कि श्रेष्ठ दुनिया के लिए कथनी व करनी के अन्तर को समाप्त करना है। उपासना , साधना और आराधना को भगवद् प्राप्ति के साधन बताए है। संयम के प्रकार बताये ।
फादर फास्टर ने बताया कि हमारे कर्म ही हमारी पहचान है। बुराई को छोड़ कर फिर प्रार्थना कीजिए।
महावीर जी पोखरना ने बताया कि जैन धर्म का महामंत्र `णमोकार मंत्र` है। हमें अपना कार्मिक खाता शुद्ध करना है। पाँच व्रत अंगिकार करना है।
पं. अशोक व्यास ने कहा कि मानव जीवन की श्रेष्ठता को समझना है। जागृति से ईश्वर की प्राप्ति होती है। परमात्मा को याद करते रहेंगे तो वो भी याद करते रहेंगे । शाकल्य में तन , मन व धन शामिल किये जाते हैं। धर्म में माया की समझ होना अनिवार्य है। आज की सबसे बड़ी बीमारी तो यह स्मार्ट फोन हो गया है।
बोहरा समुदाय की तस्लीम बहन ने बताया कि ब्रह्माकुमारीज राजयोग दर्शन के कारण ही जीवन में भोजन की और विचारों की शुद्धता मिली । स्वयं का परिचय मिला ।
महंत सुधीर जी शांडिल्य ने कहा कि हम अपने विचार रूपी बीज को उन्नत बनाले तो सदा खुशी की फसल लहललाने लगेगी । त्याग से ही प्राप्तियाँ कर सकते हैं।
सभी वक्ताओं का माल्यार्पण व शाल पहनाकर अभिनंदन किया गया |
बाबा धाम के ट्रस्टी पं. शिवप्रसादशास्त्री, निंबेश्वर मंदिर के महंत प्रदीप तिवारी, ओधड़ संत गागारामजी का भी कार्यक्रम में सम्मान किया गया।
कार्यक्रम का संचालन ब्रह्माकुमारी तरुणा बहन ने किया ।
ब्रह्माकुमार भ्राता अमोलक ने सभी का आभार प्रकट किया।
रपट तयार की गई –डॉ राजकुमार सेन
Beneficieries: 210
Guests: Dr S. K. Lohani Khalis, Devendra Tripathi , Gayatri Parivaar Devraj from Vivekanand Kendra
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