
A message for Diwali – from an Olympian
The most profound need of the human spirit is to love and be loved, to belong and to manifest the highest principles, values and virtues,
वर्तमान समय में लोगों में जन्मदिन मनाने का रिवाज काफी प्रचलित है। शायद यह प्रथा हमारे पूज्य महापुरुषों व देवताओं के जन्मदिन मनाने से ही प्रेरित है। भारत में आए दिन कभी विवेकानन्द, कभी महावीर, कभी गाँधी, कभी तिलक की जयंती और कभी सुभाषचंद्र बोस का जन्मदिन मनाया जाता है। इनमें से कई व्यक्ति तो राजनैतिक क्षेत्र में प्रतिभाशाली माने गए हैं और अन्य केवल धार्मिक क्षेत्र में। दोनों ही क्षेत्रों में समान रूप से शायद कभी भी किसी का प्रभुत्व नहीं रहा है। यदि किसी का रहा भी होगा तो वह उच्च कोटि का नहीं होगा। परंतु श्रीकृष्ण जिनका जन्मदिन भारतवासी हर वर्ष भादों कृष्ण पक्ष में अष्टमी के दिन मनाते हैं, उनका जीवन विलक्षण व अद्भुत था। श्रीकृष्ण निर्विवाद रूप से एक अत्यंत महान धार्मिक व्यक्ति भी थे और उनमें राजनैतिक कुशलता भी अद्वितीय थी । अतः श्रीकृष्ण को चित्रों व मंदिरों में सदैव प्रभामंडल व रत्नजड़ित स्वर्णमुकुट से सुशोभित दिखाया जाता है। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व धार्मिक व राजनैतिक दोनों सत्ताओं की पराकाष्ठा प्राप्त उनकी याद दिलाता है। आज जिन राजनैतिक नेताओं का जन्मदिन मनाया जाता है वे प्रायः रत्नजड़ित स्वर्णमुकुट से भी सुसज्जित नही हैं, वे महाराजाधिराज व पूज्य श्री की उपाधियों से भी युक्त नहीं हैं। अतः श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर्व इस दृष्टिकोण से अद्भुत है क्योंकि श्रीकृष्ण को तो भारत के राजा भी पूजते हैं और महात्मा भी महान एवं पूज्य मानते हैं।
श्रीकृष्ण जन्म से ही महान थे परंतु जिन प्रसिद्ध व्यक्तियों के जन्मदिन सार्वजनिक पर्व बन गए हैं। वे जन्म से पूज्य व महान नही थे। जैसे विवेकानंद सन्यास के बाद ही महान माने गए व महात्मा गाँधी प्रौढ़ अवस्था में ही एक आदर्श राजनैतिक नेता अथवा संत के रूप में प्रसिद्ध हुए । यही बात तुलसी, कबीर, दयानंद, वर्धमान महावीर आदि के बारे में कही जा सकती है परंतु श्रीकृष्ण की यह विशेषता है कि उनके जन्म के साथ ही उनकी माता को विष्णु का साक्षात्कार हुआ था और वे जन्म से ही पूज्य पदवी को प्राप्त थे। उनकी किशोरावस्था के चित्रों में भी उन्हें ताजों से सुशोभित दिखाया जाता है। बाल्यावस्था के चित्रों में भी वे मोरपंख, मणिजड़ित आभूषणों तथा प्रभामंडल युक्त दिखाए जाते हैं। अन्य किसी व्यक्ति को इस प्रकार जन्म से प्रभामंडल युक्त चित्रित नही किया जाता।
श्रीकृष्ण 16 कला सम्पूर्ण और सर्वांग सुंदर थे। यह भी सत्य है कि जिन व्यक्तियों की जयंतियाँ मनाई जाती हैं वे 16 कला सम्पन्न नही थे। श्रीकृष्ण में शारीरिक आरोग्यता और सुंदरता थी, आत्मिक बल और पवित्रता थी तथा दिव्य गुणों की पराकाष्ठा थी। सतयुग से लेकर कलियुग के अंत तक मनुष्य चोले में जो सर्वोत्तम जन्म हो सकता है वह उनका था, अन्य कोई शारीरिक या आत्मिक दोनों दृष्टिकोणों से उतना सुंदर, आकर्षक, प्रभावशाली व्यक्ति नहीं हुआ और न ही हो सकता है। श्रीकृष्ण का व्यक्तित्व इतना महान और आकर्षक था कि यदि आज भी वे इस पृथ्वी पर कुछ देर के लिए प्रकट हो जाएँ तो क्या हिंदू, क्या मुसलमान, क्या ईसाई, क्या यहूदी सभी उनके सामने नत मस्तक हो जाएँगे और मंत्रमुग्ध हो उनकी छवि निहारते खड़े रह जाएँगे ।
श्रीकृष्ण इतने महान कैसे बने? श्रीकृष्ण जन्म से ही इतने महान थे तो अवश्य ही उन्होंने पूर्व जन्म में कोई महान पुण्य किया होगा जिससे ही उन्होंने सर्वश्रेष्ठ देव पद तथा राज्य- भाग्य प्राप्त किया था। श्रीकृष्ण को योगीराज भी कहते हैं। उनके जीवन में किसी वस्तु भोग्य, आयुष्य आदि को कमी नहीं थी क्योंकि उन्होंने अपने पूर्व जन्म में योगाभ्यास किया होगा। श्रीकृष्ण के नाम के साथ तो श्री की उपाधि का प्रयोग करते हैं परंतु अपने जीवन में श्रेष्ठता लाने पर हमें विचार करना चाहिए। श्रीकृष्ण को मनमोहन अर्थात् मन को मोह लेने वाला कहा गया है क्योंकि उनका किसी व्यक्ति, वस्तु, वैभव में मोह नहीं था बल्कि सभी के मन को वे आकर्षित करने में सक्षम थे। कृष्ण शब्द का भी अर्थ है आकर्षित करने वाला, बुराइयों से छुड़ाने वाला अथवा आनंद स्वरूप ।
अतः आज आवश्यकता है नवचेतना की अपने जीवन के नव निर्माण की नए एवं उज्ज्वल विचारों को, जीवन में नई तरंग पैदा करने वाली नई तान को तब यहाँ नई जमीन और नया इनसान बनेगा, नई दुनिया और नया जहान बनेगा उस नए वितान में नए तरीके से श्रीकृष्ण का शुभागमन होगा, सुखद आगमन होगा, स्वर्गिक शासन होगा।
परमपिता परमात्मा निराकार शिव उसी नवयुग की स्थापना कर रहे हैं जिसमें श्रीकृष्ण पुनः इस सृष्टि पर अवतरित होंगे। इस बार की जन्माष्टमी निश्चय ही हमारे लिए स्वर्गारोहण के लिए सोपान सिद्ध होगी। ऐसी शुभ जन्माष्टमी के लिए आप सबको शुभकामनाएँ।
Courtesy :- Watercolor vector created by Harryarts – www.freepik.com
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