Om Shanti ka Gupt Arth

ओम शांति: सिर्फ एक अभिवादन मात्र नहीं

इस तेज़ रफ़्तार दुनिया में, जहाँ बातचीत केवल “हैलो” कहकर शुरू होती है और कुछ ही क्षणों में आगे बढ़ जाती है—क्या आपने कभी सोचा है कि यदि कोई एक शब्द ऐसा हो जो हमें थमा दे, हमें भीतर झाँकने का अवसर दे, और आत्मा की गहराई से जोड़े?

ब्रह्माकुमारीज़ में, कुछ अलग अनुभव होता है।
जब आप सेवाकेंद्र पर आते हैं या ऑनलाइन मेडिटेशन सुनते हैं, तो आप देखेंगे कि यहाँ “हैलो” या “नमस्ते” की जगह एक विशेष शब्द बोला जाता है—“ओम शांति”।

शुरुआत में यह एक पारंपरिक आध्यात्मिक अभिवादन की तरह लग सकता है,
लेकिन वास्तव में इन दो शब्दों में एक बहुत गहरी सच्चाई छुपी हुई है।

“ओम शांति” केवल एक ग्रीटिंग नहीं है। यह आत्मा की अपनी सच्ची पहचान की ओर एक शांत वापसी है।

जब हम यह कहते हैं, तो हम न केवल दूसरों को सम्मान दे रहे होते हैं, बल्कि स्वयं को भी अपने असली स्वरूप की याद दिला रहे होते हैं।

यह सिर्फ शब्द नहीं—यह एक अनुभव है।
एक निमंत्रण है—भीतर उतरने का, रुकने का, और आत्मिक मौन में लौटने का।

"Om Shanti” isn’t just a greeting—it’s a return to soul consciousness. Say it mindfully, and reconnect with your inner peace.

ओम शांति का गुप्त अर्थ

ओम शांति की शक्ति को समझने के लिए हमें सतह से ऊपर उठकर इसके पीछे छिपे गहरे अर्थ को समझना होगा।

ओम : मैं आत्मा हूँ

ओम” शब्द आत्मा का प्रतीक है; मैं कौन हूँ? मैं न यह शरीर, न नाम, न भूमिका, न कोई पद हूँ। मैं इस समय और रूप से परे एक शाश्वत, ज्योतिर्मय बिंदु स्वरूप हूँ। मुझ आत्मा पर कोई लेबल नहीं होता। मैं शुद्ध, और शक्तिशाली चैतन्य ऊर्जा हूँ।

शांति : शांति ही वास्तविक स्वरूप है

शांति” का अर्थ केवल बाहरी मौन नहीं, बल्कि वह गहरी और अडोल शांति है जो हर आत्मा के भीतर है। यही हमारी मूल स्थिति है जिसे हमने जीवन के शोर और आपाधापी में कहीं खो दिया है। 

इसलिए जब हम “ओम शांति” कहते हैं, तो हम केवल शांति की कामना नहीं करते बल्कि यह भाव प्रकट करते है : “मैं एक शांत स्वरूप आत्मा हूँ।” 

यह केवल शब्द नहीं, एक स्व-स्वीकृति है। यह सत्य की अभिव्यक्ति की एक स्मृति है।

"Om Shanti” isn’t just a greeting—it’s a return to soul consciousness. Say it mindfully, and reconnect with your inner peace.

ओम शांति: एक जागरूकता का आह्वान

जब हम “ओम शांति” कहते हैं, तो यह केवल एक शब्द नहीं होता—यह एक आत्मिक स्मृति का आह्वान होता है।

यह शब्द हमें हमारी मूल अवस्था, हमारी सच्ची पहचान की ओर वापिस ले जाता है।

दुनिया की आपाधापी में हम भूल जाते हैं कि हम कौन हैं। हम अपने शरीर, रिश्तों, प्रोफेशन और परिस्थितियों से खुद को पहचानने लगते हैं। इसी भ्रम में तनाव, डर और अपेक्षाएं जन्म लेती हैं।

लेकिन “ओम शांति” कहते ही, जैसे हम अपने भीतर झांकते हैं… और वहां पाते हैं—एक शांत, स्थिर, शाश्वत आत्मा।

यह एक क्षणिक स्मरण होता है, लेकिन उसका प्रभाव गहरा होता है।
यह शब्द हमें परमात्मा से जोड़ता है—जो शांति के अनंत स्रोत हैं।
और साथ ही हमारी ऊर्जा को स्थिर, शांत और शुद्ध बनाता है।

ओम शांति केवल एक अभिवादन नहीं, बल्कि एक आत्म-स्वरूप में लौटने की क्रिया है।
हर बार जब हम इसे सोचते हैं, बोलते हैं, अनुभव करते हैं—हम भीतर से थोड़े और शांत, थोड़े और शक्तिशाली बन जाते हैं।

"Om Shanti” isn’t just a greeting—it’s a return to soul consciousness. Say it mindfully, and reconnect with your inner peace.

ट्रैफिक कंट्रोल का अभ्यास – शांति का एक विराम

दिन भर की दौड़-भाग और जिम्मेदारियों के बीच, क्या आपने कभी अपने विचारों के ट्रैफिक को रोककर आत्मा को विश्राम दिया?

ब्रहमाकुमारीज़ में, हम एक मिनट का ट्रैफिक कंट्रोल अभ्यास करते हैं।

हर घंटे एक शांतिपूर्ण संगीत बजता है—बस एक मिनट के लिए। उस क्षण हम जो कुछ भी कर रहे होते हैं, उसे रोक देते हैं। आँखें बंद करते हैं… और अंदर की ओर ध्यान केंद्रित करते हैं।

मन ही मन दोहराते हैं: “ॐ शांति… मैं एक शांत, स्थिर आत्मा हूँ।”

इस एक मिनट का अभ्यास हमारे भीतर की गति को धीमा कर देता है। विचारों की भीड़ छंट जाती है। शांति, स्पष्टता और ऊर्जा की एक नई लहर अनुभव होती है।

यह एक छोटा सा विराम, पूरे दिन की गुणवत्ता को बदल सकता है। यह हमें याद दिलाता है कि हम सिर्फ कर्म करने वाली मशीन नहीं, बल्कि शुद्ध, शांत और जागरूक आत्मा हैं।

तो आज से एक निर्णय लें—हर घंटे रुकें… और आत्मा को एक मिनट का विश्राम दें।

“ॐ शांति… मैं एक शांत आत्मा हूँ।”
यह अभ्यास आपकी आंतरिक स्थिति को ट्रांसफॉर्म कर देगा।

"Om Shanti” isn’t just a greeting—it’s a return to soul consciousness. Say it mindfully, and reconnect with your inner peace.

ओम शांति कैसे हमारे जीवन में परिवर्तन लाता है 

आइए देखते हैं कि यह छोटा लेकिन शक्तिशाली वाक्य कैसे हमारे जीवन में वास्तविक परिवर्तन लाता है।

1. यह मन को तुरंत शांत करता है

जब आपके मन में विचार दौड़ रहे हों, तो धीरे से मन में कहें:

“ओम शांति… मैं एक शांत आत्मा हूँ”

यह आपके विचारों की गति को धीमा करता है, भीतर के शोर को शांत करता है।

जब हम यह याद करते हैं कि हम आत्मा हैं। केवल कर्म करने वाले कर्ता या प्रदर्शनकर्ता नहीं तो हमारे विचार हल्के हो जाते हैं, प्रतिक्रियाएँ कोमल हो जाती हैं। और यह आत्मा के लिए एक रीसेट बटन जैसा है।

इसे किसी मुश्किल बातचीत, परीक्षा या तनावपूर्ण निर्णय से पहले आज़माएँ। आप बदलाव महसूस करेंगे।

2. It Changes How We See People

2. यह दूसरों को देखने का तरीका बदलता है

जब हम बॉडी-कांशियस रहते हैं, तो हम दूसरों को उनके रोल या बिहेवियर के आधार पर जज करते हैं। हम उन्हें “मेरा रूड सहयोगी” या “मेरा कठिन पारिवारिक सदस्य” के रूप में देखते हैं। लेकिन जब ‘ओम शांति’ हमारी इनर लैंग्वेज का हिस्सा बन जाता है, तब हम हर किसी को आत्मा के रूप में देखने लगते हैं।

हर आत्मा की अपनी एक कहानी होती है, अपने सबक होते हैं और अपनी स्ट्रगल्स होती हैं। जब हम दूसरों को सोल-कांशियसनेस की नजर से देखते हैं, तो समझ बढ़ती है और जजमेंट कम हो जाता है।

इससे शांतिपूर्ण और सम्मानजनक रिश्ते बनते हैं – जो कंट्रोल पर नहीं बल्कि अवेयरनेस पर आधारित होते हैं।

It Builds a Silent Aura of Peace

3. यह शांति का एक मौन आभामंडल रचता है

हमारा हर विचार एक ऊर्जा विकिरण करता है। जब हम शांतिपूर्ण विचार करते हैं, हम अपने चारों ओर एक शक्तिशाली आभामंडल बना लेते हैं। जिसे दूसरे लोग भी अनुभव करते हैं। वे जानते नहीं कि ऐसा क्यों है, पर आपके पास रहकर वे सहज महसूस करते हैं।

मन में ओम शांति का स्मरण एक शांत वातावरण निर्मित करता है। यह हमें दूसरों की नकारात्मकता से बचाता है और यह दूसरों को भी सुरक्षा और स्थिरता का अनुभव कराता है।

हम शांति के जीते-जागते प्रतीक बन जाते हैं।

"Om Shanti” isn’t just a greeting—it’s a return to soul consciousness. Say it mindfully, and reconnect with your inner peace.

ओम शांति को कैसे अपने जीवन का एक हिस्सा बनाएं

इसके लिए हमें अपनी दिनचर्या छोड़ने की आवश्यकता नहीं है। ओम शांति बहुत ही धीरे से और सरलता से किसी भी क्षण में समा सकता है।

सुबह की जागरूकता के समय

अपने दिन की शुरुआत हड़बड़ी से नहीं, बल्कि शांति की स्मृति से करें। मोबाइल उठाने से पहले एक मिनट मौन में बैठें और सोचें:

“ओम शांति… मैं एक शांत आत्मा हूँ।”

यह भावना आपके पूरे दिन को मार्गदर्शन देगी।

अभिवादन के रूप में

ओम शांति को एक अभिवादन के रूप में उपयोग करें; दूसरों के साथ भी, स्वयं के साथ भी। चाहे इसे ज़ोर से न भी बोलें, इसकी कंपन आपके चारों ओर शांति का वातावरण रचती है।

चुनौतियों से पहले

जीवन में जब भी कोई परिस्थिति कठिन लगे, तो रुकें और सोचें: ओम शांति। यह आपके मन को स्थिर करेगा और भावनाओं को शांत कर आगे बढ़ने में मदद करेगा।

प्रति घंटे ट्रैफिक कंट्रोल का अभ्यास

हर घंटे एक सौम्य घंटी वाली धुन सेट करें। जब वह बजे, एक मिनट के लिए रुकें। जहाँ कहीं भी मन दौड़ रहा था, वहाँ से अपने सत्य पर लौटें। आत्मा की ओर ध्यान दें। सोचें: “ओम शांति।

यह सारे सरल अभ्यास पूरे दिन भर हमारे भीतर की शांति को जीवित रखते हैं।

"ओम शांति" सिर्फ एक अभिवादन नहीं, यह आत्मा की गहराई से जुड़ने का माध्यम है। जानिए इसका रहस्य, अर्थ और शांति लाने की शक्ति।
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निर्देशित योग कमेंट्री द्वारा ओम शांति को सच्चे अर्थों में जीना

आराम से बैठ जाएं। अपनी आंखें आधी खुली रखें ताकि वर्तमान क्षण के प्रति जागरूक बने रहें।

गहरी सांस लें… और धीरे-धीरे छोड़ दें।

अब अपनी जागरूकता को भीतर की ओर ले जाएं।
मन ही मन सोचें: “ॐ शांति… मैं एक शांत आत्मा हूँ।”

अपने मस्तक के केंद्र में एक छोटे से सितारे के रूप में प्रकाश की कल्पना करें। वही प्रकाश ‘मैं’ हूँ – आत्मा।
पवित्र। शाश्वत। शांत।

शांति की तरंगों को महसूस करें जो आपके मन से होकर गुजर रही हैं…
विचारों को धीमा कर रही हैं… भावनाओं को कोमल बना रही हैं…
शरीर को आराम दे रही हैं… तनाव को छोड़ रही हैं।

अब इस शांति के प्रकाश को फैलते हुए देखें…
अपने चारों ओर… अपने परिवार में… अपने कार्य में… पूरी दुनिया में।

परमात्मा से जुड़ें – जो शांति के सागर हैं।
उनसे ऊर्जा लें। इस ऊर्जा को अपने भीतर समा जाने दें।

अब धीरे-धीरे वर्तमान क्षण में लौटें, इस शांत शक्ति को अपने साथ लिए हुए।

ॐ शांति… ॐ शांति… ॐ शांति।

"ओम शांति" सिर्फ एक अभिवादन नहीं, यह आत्मा की गहराई से जुड़ने का माध्यम है। जानिए इसका रहस्य, अर्थ और शांति लाने की शक्ति।

मनन और प्रयोग

  • जब हम दिन की शुरुआत यह सोचकर करें कि “मैं एक शांत आत्मा हूँ,” तो हमारे अंदर क्या परिवर्तन आता है?
  • क्या हम दिन भर में केवल एक-एक मिनट रुककर अपनी शांति की स्मृति में लौट सकते हैं?
  • यदि हम दूसरों को आत्मा समझकर देखें, बात करें न कि उनकी भूमिका, पद आदि समझकर तो हमारे संबंध कैसे बदलेंगे?

क्या आप जानते हैं कि शांति की यात्रा कुछ और बनने में नहीं है बल्कि अपने उस सच्चे और वास्तविक स्वरूप में लौटने की है जो हम पहले से ही हैं।

ओम शांति।

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